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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
अय्यूब 42:1-6

अय्यूब का यहोवा को उत्तर

42 इस पर अय्यूब ने यहोवा को उत्तर देते हुए कहा:

“यहोवा, मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है।
    तू योजनाऐं बना सकता है और तेरी योजनाओं को कोई भी नहीं बदल सकता और न ही उसको रोका जा सकता है।
यहोवा, तूने यह प्रश्न पूछा कि ‘यह अबोध व्यक्ति कौन है जो ये मूर्खतापूर्ण बातें कह रहा है’
    यहोवा, मैंने उन चीजों के बारे में बातें की जिन्हें मैं समझता नहीं था।
    यहोवा, मैंने उन चीजों के बारे में बातें की जो मेरे समझ पाने के लिये बहुत अचरज भरी थी।

“यहोवा, तूने मुझसे कहा, ‘हे अय्यूब सुन और मैं बोलूँगा।
    मैं तुझसे प्रश्न पूछूँगा और तू मुझे उत्तर देगा।’
यहोवा, बीते हुए काल में मैंने तेरे बारे में सुना था
    किन्तु स्वयं अपनी आँखों से मैंने तुझे देख लिया है।
अत: अब मैं स्वयं अपने लिये लज्जित हूँ।
    यहोवा मुझे खेद है
धूल और राख में बैठ कर
    मैं अपने हृदय और जीवन को बदलने की प्रतिज्ञा करता हूँ।”

अय्यूब 42:10-17

10 इस प्रकार जब अय्यूब अपने मित्रों के लिये प्रार्थना कर चुका तो यहोवा ने अय्यूब की फिर सफलता प्रदान की। परमेश्वर ने जितना उसके पास पहले था, उससे भी दुगुना उसे दे दिया। 11 अय्यूब के सभी भाई और बहनें अय्यूब के घर वापस आ गये और हर कोई जो अय्यूब को पहले जानता था, उसके घर आया। अय्यूब के साथ उन सब ने एक बड़ी दावत में खाना खाया। क्योंकि यहोवा ने अय्यूब को बहुत कष्ट दिये थे, इसलिये उन्होंने अय्यूब को सान्त्वना दी। हर किसी व्यक्ति ने अय्यूब को चाँदी का एक सिक्का और सोने की एक अंगूठी भेंट में दीं।

12 यहोवा ने अय्यूब के जीवन के पहले भाग से भी अधिक उसके जीवन के पिछले भाग को अपना आशीर्वाद प्रदान किया। अय्यूब के पास चौदह हजार भेड़ें छ: हजार ऊँट, दो हजार बैल तथा एक हजार गधियाँ हो गयीं। 13 अय्यूब के सात पुत्र और तीन पुत्रियाँ भी हो गयीं। 14 अय्यूब ने अपनी सबसे बड़ी पुत्री का नाम रखा यमीमा। दूसरी पुत्री का नाम रखा कसीआ। और तीसरी का नाम रखा केरेन्हप्पूक। 15 सारे प्रदेश में अय्यूब की पुत्रियाँ सबसे सुन्दर स्त्रियाँ थीं। अय्यूब ने अपने पुत्रों को साथ अपनी सम्पत्ति का एक भाग अपनी पुत्रियाँ को भी उत्तराधिकार में दिया।

16 इसके बाद अय्यूब एक सौ चालीस साल तक और जीवित रहा। वह अपने बच्चों, अपने पोतों, अपने परपोतों और परपोतों की भी संतानों यानी चार पीढ़ियों को देखने के लिए जीवित रहा। 17 जब अय्यूब की मृत्यु हुई, उस समय वह बहुत बूढ़ा था। उसे बहुत अच्छा और लम्बा जीवन प्राप्त हुआ था।

भजन संहिता 34:1-8

जब दाऊद ने अबीमेलेक के सामने पागलपन का आचरण किया। जिससे अबीमेलेक उसे भगा दे, इस प्रकार दाऊद उसे छोड़कर चला गया। उसी अवसर का दाऊद का एक पद।

मैं यहोवा को सदा धन्य कहूँगा।
    मेरे होठों पर सदा उसकी स्तुति रहती है।
हे नम्र लोगों, सुनो और प्रसन्न होओ।
    मेरी आत्मा यहोवा पर गर्व करती है।
मेरे साथ यहोवा की गरिमा का गुणगान करो।
    आओ, हम उसके नाम का अभिनन्दन करें।
मैं परमेश्वर के पास सहायता माँगने गया।
उसने मेरी सुनी।
    उसने मुझे उन सभी बातों से बचाया जिनसे मैं डरता हूँ।
परमेश्वर की शरण में जाओ।
    तुम स्वीकारे जाओगे।
    तुम लज्जा मत करो।
इस दीन जन ने यहोवा को सहायता के लिए पुकारा,
    और यहोवा ने मेरी सुन ली।
    और उसने सब विपत्तियों से मेरी रक्षा की।
यहोवा का दूत उसके भक्त जनों के चारों ओर डेरा डाले रहता है।
    और यहोवा का दूत उन लोगों की रक्षा करता है।
चखो और समझो कि यहोवा कितना भला है।
    वह व्यक्ति जो यहोवा के भरोसे है सचमुच प्रसन्न रहेगा।

भजन संहिता 34:19-22

19 सम्भव है सज्जन भी विपत्तियों में घिर जाए।
    किन्तु यहोवा उन सज्जनों की उनकी हर समस्या से रक्षा करेगा।
20 यहोवा उनकी सब हड्डियों की रक्षा करेगा।
    उनकी एक भी हड्डी नहीं टूटेगी।
21 किन्तु दुष्ट की दुष्टता उनको ले डूबेगी।
    सज्जन के विरोधी नष्ट हो जायेंगे।
22 यहोवा अपने हर दास की आत्मा बचाता है।
    जो लोग उस पर निर्भर रहते हैं, वह उन लोगों को नष्ट नहीं होने देगा।

इब्रानियों 7:23-28

23 अब देखो, ऐसे बहुत से याजक हुआ करते थे जिन्हें मृत्यु ने अपने पदों पर नहीं बने रहने दिया। 24 किन्तु क्योंकि यीशु अमर है, इसलिए उसका याजकपन भी सदा-सदा बना रहने वाला है। 25 अतः जो उसके द्वारा परमेश्वर तक पहुँचते हैं, वह उनका सर्वदा के लिए उद्धार करने में समर्थ है क्योंकि वह उनकी मध्यस्थता के लिए ही सदा जीता है।

26 ऐसा ही महायाजक हमारी आवश्यकता को पूरा कर सकता है, जो पवित्र हो, दोषरहित हो, शुद्ध हो, पापियों के प्रभाव से दूर रहता हो, स्वर्गों से भी जिसे ऊँचा उठाया गया हो। 27 जिसके लिए दूसरे महायाजकों के समान यह आवश्यक न हो कि वह दिन प्रतिदिन पहले अपने पापों के लिए और फिर लोगों के पापों के लिए बलियाँ चढ़ाए। उसने तो सदा-सदा के लिए उनके पापों के हेतु स्वयं अपने आपको बलिदान कर दिया। 28 किन्तु परमेश्वर ने शपथ के साथ एक वाचा दिया। यह वाचा व्यवस्था के विधान के बाद आया और इस वाचा ने प्रमुख याजक के रूप में पुत्र को नियुक्त किया जो सदा-सदा के लिए सम्पूर्ण बन गया।

मरकुस 10:46-52

अंधे को आँखें

(मत्ती 20:29-34; लूका 18:35-43)

46 फिर वे यरीहो आये और जब यीशु अपने शिष्यों और एक बड़ी भीड़ के साथ यरीहो को छोड़ कर जा रहा था, तो बरतिमाई (अर्थ “तिमाई का पुत्र”) नाम का एक अंधा भिखारी सड़क के किनारे बैठा था। 47 जब उसने सुना कि वह नासरी यीशु है, तो उसने ऊँचे स्वर में पुकार पुकार कर कहना शुरु किया, “दाऊद के पुत्र यीशु, मुझ पर दया कर।”

48 बहुत से लोगों ने डाँट कर उसे चुप रहने को कहा। पर वह और भी ऊँचे स्वर में पुकारने लगा, “दाऊद के पुत्र, मुझ पर दया कर!”

49 तब यीशु रुका और बोला, “उसे मेरे पास लाओ।”

सो उन्होंने उस अंधे व्यक्ति को बुलाया और उससे कहा, “हिम्मत रख! खड़ा हो! वह तुझे बुला रहा है।” 50 वह अपना कोट फेंक कर उछल पड़ा और यीशु के पास आया।

51 फिर यीशु ने उससे कहा, “तू मुझ से अपने लिए क्या करवाना चाहता है?”

अंधे ने उससे कहा, “हे रब्बी, मैं फिर से देखना चाहता हूँ।”

52 तब यीशु बोला, “जा, तेरे विश्वास से तेरा उद्धार हुआ।” फिर वह तुरंत देखने लगा और मार्ग में यीशु के पीछे हो लिया।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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