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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
एस्तेर 7:1-6

हामान को प्राणदण्ड

फिर राजा और हामान महारानी एस्तेर के साथ भोजन करने के लिये चले गये। इसके बाद जब वे दूसरे दिन के भोज में दाखमधु पी रहे थे तो राजा ने एस्तेर से फिर एक प्रश्न किया, “महारानी एस्तेर, तुम मुझ से क्या माँगना चाहती हो? जो कुछ तुम मांगोगी, पाओगी। बताओ तुम्हें क्या चाहिए? मैं तुम्हें कुछ भी दे सकता हूँ। यहाँ तक कि मेरा आधा राज्य भी।”

इस पर महारानी एस्तेर ने जवाब दिया, “हे महाराज! यदि मैं तुम्हें भाती तुम्हारी कृपा पात्र हूँ और यदि यह तुम्हें अच्छा लगता हो तो कृपा करके मुझे जीने दीजिये और मैं तुमसे यह चाहती हूँ कि मेरे लोगों को भी जीने दीजिये! बस मैं यही माँगती हूँ। ऐसा मैं इसलिये चाहती हूँ कि मुझे और मेरे लोगों को विनाश, हत्या और पूरी तरह से नष्ट कर डालने के लिए बेच डाला गया है। यदि हमें दासों के रूप में बेचा जाता, तो मैं कुछ नहीं कहती क्योंकि वह कोई इतनी बड़ी समस्या नहीं होती जिसके लिये राजा को कष्ट दिया जाता।”

इस पर महाराजा क्षयर्ष ने महारानी एस्तेर से पूछा, “तुम्हारे साथ ऐसा किसने किया कहाँ है? वह व्यक्ति जिसने तुम्हारे लोगों के साथ ऐसा व्यवहार करने की हिम्मत की?”

एस्तेर ने कहा, “हमारा विरोधी और हमारा शत्रु यह दुष्ट हामान ही है।”

तब हामान राजा और रानी के सामने आतंकित हो उठा।

एस्तेर 7:9-10

राजा के एक खोजे सेवक ने जिसका नाम हर्बोना था, कहा, “हामान के घर के पास पचहत्तर फुट लम्बा फाँसी देने का एक खम्भा बनाया गया है। हामान ने यह खम्भा मोर्दकै को फाँसी पर चढ़ाने के लिये बनाया था। मोर्दकै वही व्यक्ति है जिसने तुम्हारी हत्या के षड़यन्त्र को बताकर तुम्हारी सहायता की थी।”

राजा बोला, “उस खम्भे पर हामान को लटका दिया जाये!”

10 सो उन्होंने उसी खम्भे पर जिसे उसने मोर्दकै के लिए बनाया था हामान को लटका दिया। इसके बाद राजा ने क्रोध करना छोड़ दिया।

एस्तेर 9:20-22

20 जो कुछ घटा था, उसकी हर बात को मोर्दकै ने लिख लिया और फिर उसे महाराजा क्षयर्ष के सभी प्रांतों में बसे यहूदियों को एक पत्र के रूप में भेज दिया। दूर पास सब कहीं उसने पत्र भेजे। 21 मोर्दकै ने यहूदियों को यह बताने के लिए ऐसा किया कि वे हर साल अदार महीने की चौदहवीं और पन्द्रहवीं तारीख को पूरीम का उत्सव मनाया करें। 22 यहूदियों को इन दिनों को पर्व के रूप में इसलिए मनाना था कि उन्हीं दिनों यहूदियों ने अपने शत्रुओं से छुटकारा पाया था। उन्हें उस महीने को इसलिए भी मनाना था कि यही वह महीना था जब उनका दु:ख उनके आनन्द में बदल गया था। वही यह महीना था जब उनका रोना—धोना एक उत्सव के दिन के रूप में बदल गया था। मोर्दकै ने सभी यहूदियों को पत्र लिखा। उसने उन लोगों से कहा कि वे उन दिनों को उत्सव के रूप में मनाएँ। यह समय एक ऐसा समय हो जब लोग आपस में एक दूसरे को उत्तम भोजन अर्पित करें तथा गरीब लोगों को उपहार दें।

भजन संहिता 124

दाऊद का एक मन्दिर का आरोहण गीत।

यदि बीते दिनों में यहोवा हमारे साथ नहीं होता तो हमारे साथ क्या घट गया होता
    इस्राएल तू मुझको उत्तर दे
यदि बीते दिनों में यहोवा हमारे साथ नहीं होता तो हमारे साथ क्या घट गया होता
    जब हम पर लोगों ने हमला किया था तब हमारे साथ क्या बीतती।
जब कभी हमारे शत्रु ने हम पर क्रोध किया,
    तब वे हमें जीवित ही निगल लिये होते।
तब हमारे शत्रुओं की सेनाएँ
    बाढ़ सी हमको बहाती हुई उस नदी के जैसी हो जाती
    जो हमें डूबा रहीं हो।
तब वे अभिमानी लोग उस जल जैसे हो जाते
    जो हमको डुबाता हुआ हमारे मुँह तक चढ़ रहा हो।

यहोवा के गुण गाओ।
    यहोवा ने हमारे शत्रुओं को हमको पकड़ने नहीं दिया और न ही मारने दिया।

हम जाल में फँसे उस पक्षी के जैसे थे जो फिर बच निकला हो।
    जाल छिन्न भिन्न हुआ और हम बच निकले।
हमारी सहायता यहोवा से आयी थी।
    यहोवा ने स्वर्ग और धरती को बनाया है।

याकूब 5:13-20

प्रार्थना की शक्ति

13 यदि तुम में से कोई विपत्ति में पड़ा है तो उसे प्रार्थना करनी चाहिए और यदि कोई प्रसन्न है तो उसे स्तुति-गीत गाने चाहिए। 14 यदि तुम्हारे बीच कोई रोगी है तो उसे कलीसिया के अगुवाओं को बुलाना चाहिए कि वे उसके लिए प्रार्थना करें और उस पर प्रभु के नाम में तेल मलें। 15 विश्वास के साथ की गई प्रार्थना से रोगी निरोग होता है। और प्रभु उसे उठाकर खड़ा कर देता है। यदि उसने पाप किए हैं तो प्रभु उसे क्षमा कर देगा।

16 इसलिए अपने पापों को परस्पर स्वीकार और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो ताकि तुम भले चंगे हो जाओ। धार्मिक व्यक्ति की प्रार्थना शक्तिशाली और प्रभावपूर्ण होती है। 17 नबी एलिय्याह एक मनुष्य ही था ठीक हमारे जैसा। उसने तीव्रता के साथ प्रार्थना की कि वर्षा न हो और साढ़े तीन साल तक धरती पर वर्षा नहीं हुई। 18 उसने फिर प्रार्थना की और आकाश में वर्षा उमड़ पड़ी तथा धरती ने अपनी फसलें उपजायीं।

एक आत्मा की रक्षा

19 हे मेरे भाईयों, तुम में से कोई यदि सत्य से भटक जाए और उसे कोई फिर लौटा लाए तो उसे यह पता होना चाहिए कि 20 जो किसी पापी को पाप के मार्ग से लौटा लाता है वह उस पापी की आत्मा को अनन्त मृत्यु से बचाता है और उसके अनेक पापों को क्षमा किए जाने का कारण बनता है।

मरकुस 9:38-50

जो हमारा विरोधी नहीं है, हमारा है

(लूका 9:49-50)

38 यूहन्ना ने यीशु से कहा, “हे गुरु, हमने किसी को तेरे नाम से दुष्टात्माएँ बाहर निकालते देखा है। हमने उसे रोकना चाहा क्योंकि वह हममें से कोई नहीं था।”

39 किन्तु यीशु ने कहा, “उसे रोको मत। क्योंकि जो कोई मेरे नाम से आश्चर्य कर्म करता है, वह तुरंत बाद मेरे लिए बुरी बातें नहीं कह पायेगा। 40 वह जो हमारे विरोध में नहीं है हमारे पक्ष में है। 41 जो इसलिये तुम्हें एक कटोरा पानी पिलाता है कि तुम मसीह के हो, मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ, उसे इसका प्रतिफल मिले बिना नहीं रहेगा।

पापों के परिणाम के बारे में यीशु की चेतावनी

(मत्ती 18:6-9; लूका 17:1-2)

42 “और जो कोई इन नन्हे अबोध बच्चों में से किसी को, जो मुझमें विश्वास रखते हैं, पाप के मार्ग पर ले जाता है, तो उसके लिये अच्छा है कि उसकी गर्दन में एक चक्की का पाट बाँध कर उसे समुद्र में फेंक दिया जाये। 43 यदि तेरा हाथ तुझ से पाप करवाये तो उसे काट डाल, टुंडा हो कर जीवन में प्रवेश करना कहीं अच्छा है बजाय इसके कि दो हाथों वाला हो कर नरक में डाला जाये, जहाँ की आग कभी नहीं बुझती। 44 [a] 45 यदि तेरा पैर तुझे पाप की राह पर ले जाये उसे काट दे। लँगड़ा हो कर जीवन में प्रवेश करना कहीं अच्छा है, बजाय इसके कि दो पैरों वाला हो कर नरक में डाला जाये। 46 [b] 47 यदि तेरी आँख तुझ से पाप करवाए तो उसे निकाल दे। काना होकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कहीं अच्छा है बजाय इसके कि दो आँखों वाला हो कर नरक में डाला जाये। 48 जहाँ के कीड़े कभी नहीं मरते और जहाँ की आग कभी बुझती नहीं।

49 “हर व्यक्ति को आग पर नमकीन बनाया जायेगा।[c]

50 “नमक अच्छा है। किन्तु नमक यदि अपना नमकीनपन ही छोड़ दे तो तुम उसे दोबारा नमकीन कैसे बना सकते हो? अपने में नमक रखो और एक दूसरे के साथ शांति से रहो।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International