Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
आगामी न्याय-दण्ड की चेतावनी
21 मसीह येशु ने उनसे फिर कहा, “मैं जा रहा हूँ. तुम मुझे खोजते-खोजते अपने ही पाप में मर जाओगे. जहाँ मैं जा रहा हूँ, तुम वहाँ नहीं आ सकते.”
22 तब यहूदी आपस में विचार करने लगे, “कहीं वह आत्महत्या तो नहीं करेगा क्योंकि वह कह रहा है, ‘जहाँ मैं जा रहा हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते’?”
23 मसीह येशु ने उनसे कहा, “तुम नीचे के हो, मैं ऊपर का हूँ, तुम इस संसार के हो, मैं इस संसार का नहीं हूँ. 24 मैं तुमसे कह चुका हूँ कि तुम्हारे पापों में ही तुम्हारी मृत्यु होगी. क्योंकि जब तक तुम यह विश्वास न करोगे कि मैं वह हूँ, जो मैं कहता हूँ कि मैं हूँ, तुम्हारी अपने ही पापों में मृत्यु होना निश्चित है.”
25 तब उन्होंने उनसे पूछा, “कौन हो तुम?”
मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुमसे मैं अब तक क्या कहता आ रहा हूँ? 26 तुम्हारे विषय में मुझे बहुत कुछ कहना और निर्णय करना है. मैं संसार से वही कहता हूँ, जो मैंने अपने भेजनेवाले से सुना है. मेरे भेजनेवाले विश्वासयोग्य हैं.”
27 वे अब तक यह समझ नहीं पाए थे कि मसीह येशु उनसे पिता परमेश्वर के विषय में कह रहे थे. 28 मसीह येशु ने उनसे कहा, “जब तुम मनुष्य के पुत्र को ऊँचा उठाओगे तब तुम जान लोगे कि मैं वही हूँ और यह भी कि मैं स्वयं कुछ नहीं कहता, मैं वही कहता हूँ, जो पिता ने मुझे सिखाया है. 29 मेरे भेजनेवाले मेरे साथ हैं, उन्होंने मुझे अकेला नहीं छोड़ा क्योंकि मैं सदा वही करता हूँ, जिसमें उनकी खुशी है.” 30 ये सब सुन कर अनेकों ने मसीह येशु में विश्वास किया.
मसीह येशु तथा अब्राहाम—परमेश्वर की वास्तविक सन्तान
31 तब मसीह येशु ने उन यहूदियों से, जिन्होंने उन्हें मान्यता दे दी थी, कहा, “यदि तुम मेरी शिक्षाओं का पालन करते रहोगे तो वास्तव में मेरे शिष्य होगे. 32 तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा.”
33 उन्होंने मसीह येशु को उत्तर दिया, “हम अब्राहाम के वंशज हैं और हम कभी भी किसी के दास नहीं हुए. तुम यह कैसे कहते हो ‘तुम स्वतन्त्र हो जाओगे’?”
34 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: हर एक व्यक्ति, जो पाप करता है, वह पाप का दास है. 35 दास हमेशा घर में नहीं रहता; पुत्र हमेशा रहता है. 36 इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतन्त्र करे तो तुम वास्तव में स्वतन्त्र हो जाओगे. 37 मैं जानता हूँ कि तुम अब्राहाम के वंशज हो फिर भी तुम मेरी हत्या करने की ताक में हो; यह इसलिए कि तुमने मेरे सन्देश को ह्रदय में ग्रहण नहीं किया. 38 मैं वही कहता हूँ, जो मैंने साक्षात अपने पिता को करते हुए देखा है, परन्तु तुम वह करते हो, जो तुमने अपने पिता से सुना है.”
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