Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
आदर्स पत्नी
10 गुणवन्ती पत्नी कउन पाइ सकत ह?
उ जन मणि-मणिकन स कहूँ जियादा कीमती अहइ।
11 ओकर पति ओकर बिस्सास कइ सकत ह।
ओका कउनो भी अच्छी चिजियन क कमी नाही होइ।
12 सतपत्नी पति क संग उत्तिम व्यवहार करत ह।
आपन जिन्नगी भर ओकरे बरे कबहुँ विपत्ति नाहीं उपजावत।
13 उ हमेसा ऊनी अउ सूती ओढ़ना बनावइ मँ व्यस्त रहत ह।
14 उ उ पानी क जहाज क नाईं अहइ जउन दूर देस स आवात ह
अउर हर कहुँ स घरे पर भोज्य वस्तु लिआवत ह।
15 भिंसारे उठिके उ खइया क बनावत ह।
अपने परिवारे क अउर दासियन क हींसा ओनका देत ह।
16 उ लखिके अउ परखिके खेत मोल लेत ह।
आपन कमात भवा धन स दाख क बारी लगावत ह।
17 उ बड़ी मेहनत करत ह।
उ आपन सबहिं काम करइ क समर्थ अहइ।
18 जब भी उ आपन बनाईं चीज क बेंचत ह, तउ लाभ कमात ह।
उ देर रात तलक दीप जलाइ क काम करत ह।
19 उ सूत कातत अउर आपन वस्तु बुनत ह।
20 उ हमेसा ही दीनदुःखी क दान देत ह,
अउर कंगाल जल क सहायता करत ह।
21 जब सर्दी पड़त ह तउ उ आपन परिवार बरे चिंतित नाहीं होत ह।
काहेकि उ सबहिं क उत्तिम गरम ओढ़ना दइ रखे अहइ।
22 उ चादर बनावत ह अउर बिस्तरा पइ फैलावत ह।
उ सने स बना भवा बढ़िया अउर बेंगनी ओढ़ना पहिरत ह।
23 लोग ओकरे पति क आदर करत ही
उ जगह पावत ह नगर प्रमुखन क बीच।
24 उ अति उत्तिम बइपारी बनत ह।
उ ओढ़नन अउर कमरबंदन क बनाइके ओनका बइपारी लोगन क बेचत ह।
25 उ सक्तीवाली अहइ, अउर आन-बान वाली अहइ।
अउर बिस्सास क संग भविस्य क ओर लखत ह।
26 जब उ बोलत ह, उ विवेकपूर्ण रहत ह।
ओकरी जीभ लोगन क पिरेम करइ अउर दाया करइ क सिच्छा देत ह।
27 उ कबहुँ भी आलस नाहीं करत
अउर आपन घर बार क चिजियन पइ हर एक दिन धियान रखत ह।
28 ओकर बच्चन खड़ा होत हीं अउर ओका आदर देत हीं अउर ओकरे बारे मँ अच्छी बातन करत ह।
ओकर पति ओकरी तारीफ करत ह।
29 ओकर पति कहत ह, “बहोत स उच्चकोटि क मेहरारूअन अहइ।
किन्तू ओन सब मँ तू ही सर्वोत्तम पत्नी अहा।”
30 आकर्षण धोकाबाज़ अहइ अउर सुन्नरता दुइ पल क अहइ।
मुला उ मेहरारू जेका यहोवा क डर बाटइ, ओकरी तारीफ हाइ चाही।
31 ओका उ प्रतिफल द्या जेकर उ जोग्ग अहइ।
अउर जउन काम उ किहेस ह, ओनके बरे सारे लोग क बीच मँ ओकर तारीफ करा।
पहिला भाग
(भजन 1–41)
1 उ मनई सचमुच धन्य होइ जउन दुस्टन क सलाह न मानी,
अउर पापियन क संग सामिल नाहीं होत ह
अउर ओनकर संग नाहीं रहत ह
जउन परमेस्सर क बरे सम्मान नाहीं दिखावत ह।[a]
2 उ नीक मनई अहइ जउन यहोवा क उपदेसन स पिरेम राखत ह।
उ तउ दिन रात ओन उपदेसन क मनन करत ह।
3 एहसे उ मनई उ बृच्छ जइसा मजबूत बनत ह
जेका सिंचाई क नहर क किनारे रोपा गवा ह।
उ उ बृच्छ क नाई बाटइ, जउन छेत्र मँ फल देत ह
अउ जेकर पत्ता कबहुँ नाहीं मुरझातेन।
उ जउन भी करत ह सफल ही होत ह।
4 मुला टुस्ट मनई अइसे नाहीं होतेन।
दुस्ट मनई उ भूसा क नाई होत हीं जेनका हवा क झोकां उड़ाइ लइ जात ह।
5 एह बरे दुस्ट मनई निआव क मुकाबला नाहीं कइ पइहीं।
सज्जन लोगन क सभा मँ उ पचे दोखी ठहरावा जइहीं अउर ओन पापी लोगन क बख्सा न जाइ।
6 एकर कारण इ बाटइ कि यहोवा सज्जन लोगन क अगुवाइ करत ह,
मुला दुर्जन लोग खो जाइहीं।
सच्चा विवेक
13 भला तोहमाँ, गियानी अउर समझदार कउन हयेन? जउन हयेन, ओका अपने करमन अपने अच्छे चाल चलन स उ नम्रता स प्रकट करम जउ गियान स उत्पन्न होत ह। 14 परन्तु अगर तू जउने लोगन क हिरदइ कड़वाहट, ईर्सा अउर सुवारथ भरा हुआ बा, तउन ओनके सामने अपने गियान क ढोल न पीटा। अइसेन कइके त तू सत्य प परदा डावत भए असत्य बोलत अहा। 15 अइसेन “गियान” तउ परमेस्सर स नाहीं, बल्कि उ त सांसारिक अहइ। आत्मिक नाहीं अहइ। अउर सइतान क अहइ। 16 काहेकि जहाँ ईर्सा अउर सुवारथ पूर्ण महत्वपूर्ण इच्छा रहत ह, उहाँ अव्यवस्था अउर भरम अउर हर तरह क खराब बात रहत हीं। 17 परन्तु परमेस्सर आवइवाला गियान सबसे पहिले तउ पवित्तर होत ह, फिन सान्तिपूर्ण, सहज-खुस करुना स भरा होत ह। अउर ओसे अच्छा करमन क फसल उपजत ह। उ पच्छपात रहित अउर सच्चा भी होत ह। 18 सान्ति क बरे काम करइवाले लोगन क भी धरमपूर्ण जीवन क फल मिली अगर ओका सान्तिपूर्ण तरीके मँ कीन्ह गवा अहइ।
परमेस्सर क अर्पित होइ जा
4 तोहरे बीच लड़ाइ-झगड़ा क का कारन बाटेन? का ओनकर कारण तोहरे अपने ही भित्तर का वासना नाहीं बाटइ? तोहार उ भोग बिलासपूर्ण इच्छा भी जउन तोहरे भित्तर हमेसा द्वन्द करत रहत हीं? 2 तू लोग चाहत अहा परन्तु तोहे मिल नाहीं पावत। तोहमाँ ईर्सा बा अउर तू दुसरे क हतिया करत हया फिन जउन चाहत अहा, पाइ नाहीं सकत्या। अउर इही बरे तू लड़त-झगड़त रहत अहा अउर युद्ध करत अहा। आपन इच्छित चीजन क तू पाइ नाहीं सकत्या काहेकि तू ओन्हे परमेस्सर स नाहीं मँगत्या। 3 अउर जब मांगत भी अहा लेकिन पउत्या नाहीं काहेकि तोहार उद्देस्स पवित्तर नाहीं होत। काहेकि तू ओन्हे अपने भोग-बिलास मँ ही नस्ट करइ क बरे माँगत अहा।
7 इही बरे अपने आपके परमेस्सर क अधीन कइ द्या। सइतान क विरोध करा। उ तोहरे सामने स भागि खड़ा होइ। 8 पममेस्सर क लगे आवा, उहउ तोहरे लगे आवइ। अरे पापियन, आपन हाथ सुद्ध करा अउर अरे संदेह करइवालन, अपने हिरदइ क पवित्तर करा।
आपन मउत क बारे मँ ईसू क कहब
(मत्ती 17:22-23; लूका 9:43b-45)
30 उ सबइ हुवाँ छोड़ि चलेन अउर गलील होइ क जात रहेन अउ ईसू नाहीं चाहत रहा कि कउनो एका जानइ कि उ सब कहाँ बाटन? 31 एह बरे उ आपन चेलन क सिच्छा देत रहा। उ ओनसे कहेस, “मनई क पूत मनइयन क हाथन स पकड़वाइ जाई अउर उ सबइ ओका मारि डइहीं। मारि डाए क तीन दिना क पाछे उ जिन्दा होइ जाइ।” 32 मुला चेलन इ न समझेन कि ईसू का मतलब अहइ अउर उ ओसे ऍकरे बारे मँ पूछइ क डेरात रहेन।
ईसू कहत ह कि सबते बड़कवा कउन अहइ
(मत्ती 18:1-5; लूका 9:46-48)
33 ईसू चेलन क साथ कफरनहूम आएन। उ सबइ एक घरे मँ गएन। उ ओनसे पूछेस, “राहे मँ तू सबइ का बतियात रह्या?” 34 मुला उ सबइ खमोस होइ गएन। एह बरे उ सबइ राहे मँ एक दुसरे स सोचेन बिचारेन कि कउन सबस बड़कवा अहइ।
35 तउ उ बैठि गवा। उ बारहु प्रेरितन आपन नगिचे बोलाएस अउर ओनसे कहेस, “जदि कउनो सब स बड़का होइ चाहत ह, तउ ओका सब स छोट होइ क परी अउर उ सबन क नउकर होइ।”
36 अउर एक बचवा क लइके सब क समन्वा खड़ा किहेस। ओका आपन कोरा मँ लेत भवा ईसू ओनसे कहेस, 37 “जउन एकउ इन बचवन मँ एकउ क मोरे नाउँ स आपनावत ह, उ हमार सुआगत करत अहइ, उ न सिरिफ मोका अपनावत ह, मुला उहउ क अपनावत ह, जउन मोका पठएस ह।”
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.