Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
भजन संहिता 73:21-28

21 जब मोर हिरदय किरया रहा अउर मोरे दिमाग जख्मी रहा,
22     मइँ विवेकहीन रहा अउर मइँ समुझइ मँ असमर्थ रहा।
मइँ एक तोहार संग
    एक निर्बुद्धि जनावर जइसा बेउहार किहेउँ।
23 तउ पइ भी मइँ सदा तोहार संग अहउँ।
    हे परमेस्सर, तू मोरे हाथ थामइ क मोर मदद किहा ह।
24 हे परमेस्सर, तू मोका राह देखाँवत, अउर मोका सलाह देत अहा।
    आखीर मँ तू आपन महिमा क मौजूदगी मँ मोका अगुवाई करब्या।
25 हे परमेस्सर, सरगे मँ बस तू ही अकेला मोर अहा,
    अउर धरती पइ मोका का चाही, जब तू मोरे साथ अहा?
26 चाहे मोर मनवा टूटि जाइ अउर मोर काया नस्ट होइ जाइ।
    मुला उ चट्टान मोरे लगे बाटइ जउन मोर सहायता करत ह।
    परमरेस्सर मोरे लगे सदा अहइ।
27 हे परमेस्सर, जउन लोग तोहका तजत हीं, उ पचन्क तू नास कइ देब्या।
    तू ओन लोगन क जउन तोहेसे मुड़ जात हीं, बर्बाद कइ देब्या।
28 मुला मोरे बरे, परमेस्सर क निअरे रहब नीक अहइ।
    मइँ आपन सुरच्छा स्थान आपन सुआमी यहोवा क बनाएउँ ह।
    हे परमेस्सर, मइँ ओन सबहिं बातन क बखान करब जेनका तू किहा ह।

नीतिवचन 29

29 जउन बार बार डाँट डपट खाइ क बाद भी उहइ बेउहार करत ह तउ निहचय ही उ अचानक बर्बाद होइ जाइ। ओकर बरे कउनो आसा तलक नाहीं बची।

जब धर्मी जन क अधिकार पावत ह तउ लोग आनन्द मनावत हीं। जब दुट्ठ सासक बन जात ह तउ लोग कराहत हीं।

अइसा जब जउन विवेक स पिरेम राखत ह, बाप क आनन्द पहोंचावत ह। मुला जउन रंडियन क संगत करत ह, आपन धन खोइ देत ह।

निआव स राजा देस क स्थिरता देत ह। किन्तु राजा जब लालची होत ह तउ लोग आपन काम करवावइ बरे ओका घूस देत हीं। तब देस दुर्बल होइ जात ह।

जउन अपने साथी क चापलूसी करत ह उ आपन गोड़वन बरे जाल पसारत ह।

पापी खुद आपन बिछाइ भइ जालि मँ फँसत ह। मुला एक धर्मी गावत अउर खुस रहत ह।

सज्जन चाहत हीं कि गरीब क निआव मिलइ किन्तु दुट्ठन क ओनकी तनिकउ चिन्ता नाहीं होत ह।

जउन अइसा सोचत हीं कि हम दूसरन स उत्तिम अही, उ पचे विपत्ति उपजावत अउर सारे सहर क तहस-नहस कइ देत हीं। मुला जउन जन बु्द्धिमान होत हीं, सान्ति क कायम करत हीं।

बुद्धिमान जन जदि मूरख क साथ मँ वाद-विवाद सुलझावइ चाहत ह, तउ मूरख उत्तेजित हो जात ह मूरखता क बातन करत ह जेहसे दुइनउँ क बीच सन्धि नाहीं होइ पावत

10 खून क पिआसे लोग, सच्चे लोगन स घिना करत हीं। किन्तु सच्चे लोग ओनकर जिन्नगी बचावइ क जतन करत ह।

11 मूरख मनई क लउ बहोतइ हाली किरोध आवत ह। मुला बुद्धिमान धीरा धइके आपन पइ नियंत्रण राखत ह।

12 जदि एक सासक झूठी बातन क सुनत ह तउ ओकर सब अधिकारी भ्रस्ट होइ जात हीं।

13 एक हिंसाब स गरीब अउर जउन मनई क लूटत ह, उ समान अहइ। यहोवा ही दुइनउँ क बनाएस ह।

14 अगर कउनो राजा गरीब पइ निआव स पूर्ण रहत ह तउ ओकर सासन बहोत लम्बे काल बना रही।

15 सजा अउर डाँट स सुबुद्धि मिलत ह किन्तु जदि महतारी-बाप मनचाहा करइ क खुला छोड़ि देइँ, तउ उ आपन महतारी क लज्जा बनी।

16 दुट्ठ क राज मँ पाप पनप जात हीं मुला अन्तिम जीत तउ सज्जन क ही होत ह।

17 पूत क दण्डित करा जब उ अनुचित करइ, फुन तउ तोहका ओह पइ सदा ही घमण्ड होइ। उ तोहरी लज्जा क कारण कबहुँ नाहीं होइ।

18 अगर कउनो देस परमेस्सर क राहे पइ नाहीं चलत तउ उ देस मँ सान्ति नाहीं होइ। किन्तु उ देस जउन परमेस्सर क व्यवस्था पइ चलत ह, आनन्दित रही।

19 सिरिफ सब्द मात्र स दास नाहीं सुधरत ह। चाहे उ तोहार बात क समुझ लेइ, मुला ओकर पालन नाहीं करी।

20 अगर कउनो बगैर बिचारे भए बोलत ह तउ ओकरे बरे कउनो आसा नाहीं। जियादा आसा होत ह एक मूरख बरे अपेच्छा उ मनई क जउन बिचारे बिना बोलइ।

21 अगर तू आपन दास क सदा उ देब्या जउन भी उ चाहइ, तउ अंत मँ उ तोहार एक उत्तिम दास नाहीं रही।

22 किरोधी मनई मतभेद भड़कावत ह, अउर अइसा जन जेका किरोध आवत होइ, बहोत स पापन क अपराधी बनत ह।

23 मनई क अहंकार नीचा देखावत ह, मुला उ मनई जेकर हिरदय विनम्र होत आदर पावत ह।

24 जउन चोर क संग धरत ह उ आपन स दुस्मनी करत ह। काहेकि अदालत मँ जब ओका फुरइ बोलइ क होइ तउ उ कछू भी कहइ स बहोत डेरान रहब्या।

25 डर मनई बरे फंदा साबित होत ह, मुला जेकर आस्था यहोवा पइ रहत ह, सुरच्छित रहत ह।

26 बहोत लोग सासक क मीत होइ चाहत हीं, मुला उ यहोवा ही अहइ, जउन लोगन क फुरइ निआव करत ह।

27 सज्जन घिना करत हीं अइसे ओन लोगन स जउन सच्चे नाहीं होतेन, अउर दुट्ठ सच्चे लोगन स घिना राखत हीं।

यूहन्ना 7:25-36

का ईसू ही मसीह अहइ?

25 फिन यरुसलेम मँ रहइवाले लोगन मँ स कछू कहेन, “का इहइ तउ उ मनई नाहीं अहइ जेहिका उ लोग मार डावा चाहत अहइँ? 26 मुला देखा; उ तउ सब मनइयन क बीच मँ बोलत अहइ अउर कउनो ओसे कछू नाहीं कहत अहइँ। का इ बात नाहीं होइ सकत कि यहूदी नेता क पता होइ ग होइ कि इहइ मसीह अहइ। 27 खैर हम सबका तउ पता होइ ग अहइ कि इ कहाँ स आइ बाटइ। जब असली मसीह आइ जाइ तउ कउनो न जान पाइ कि उ कहाँ स आवा।”

28 ईसू जब मन्दिर मँ उपदेस देत रहा तउ बड़े जोर स कहेस, “तू पचे मोका जानत अहा अउर इहउ जानत अहा कि मइँ कहाँ स आएउँ। मइँ अपनी कइँती नाहीं आइ अहउँ। मइँ ओकरे पास स आएउँ ह जउन मोका भेजे अहइ, उहइ सच्चा अहइ, तू पचे ओका नाहीं जानत अहा। 29 मुला मइँ ओका जानत अहउँ, काहेकि मोका उहइ पठएस।”

30 फिन उ पचे ओका बन्दी बनाइ क जतन करइ लागेन मुला कउनो ओह पइ हाथ नाहीं डाइ पाएस, एह बरे कि ओकर समइ अबहीं पूरा नाहीं भवा रहा। 31 तमाम मनई ओकरे मँ बिसवास करइ लागेन अउर कहइ लागेन, “जब मसीह आई तउ उ जेतना अद्भुत कारजन इ करत बा ओसे जियादा उ थोड़ा कइ पाई। का उ अइसा करी?”

यहूदियन क ईसू क बन्दी बनावइ क कोसिस

32 फरीसियन इ सुनेन कि भीड़ मँ तमाम मनई चुप्पे चुप्पे ईसू क बारे मँ कहत रहेन्ह अउर मुख्ययाजक अउर फरीसियन मन्दिर क सिपाहियन क ईसू क गिरफ्तार करइ बरे भेजेन। 33 फिन ईसू बोला, “मइँ तू पचेन्क साथ कछू समी तलक अउ रहब, फिन ओकरे पास वापिस लौट जाब, जउन मोका हियाँ भेजे अहइ। 34 तू पचे मोका ढूँढ़िब्या मुला ढूँढ़ि न पउब्या। काहेकि तू पचे हुवाँ तलक न जाइ पाउब्या जहाँ मइँ रहब।”

35 ऍकरे बाद यहूदी आपस मँ बतियाइ लागेन, “इ कहाँ जाइवाला अहइ, जहाँ हम पचे एँका न ढूँढ़ि पाऊब। साइत ह हुवाँ तउ नाहीं जात अहइ जहाँ हमार मनइयन यूनानी नगरन मँ तितर बितर होइके रहत हीं। का इ यूनानियन मँ उपदेस देई? 36 जउन इ कहत अहइ: ‘तू मोका ढूँढ़ि न पउब्या’ अउर ‘जहाँ मइँ रहब, हुवाँ तू पहुँच नाहीं सकत ह।’ ओकर क मतलब अहइ?”

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.