Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
आरोहण गीत।
1 जउन लोग यहोवा क भरोसे रहत हीं, उ पचे सिय्योन क पहाड़ जइसे होइहीं।
ओनका कबहुँ कउनो डुगाइ नाहीं पाई।
उ पचे सदा ही अटल रइहीं।
2 यहोवा आपन लोगन क वइसे ही आपन आस्रय मँ लिहस ह, जइसे यरूसलेम चारिहुँ कइँती पहाड़न स घिरा बाटइ।
यहोवा सदा-सर्वदा आपन लोगन क रच्छा करी।
3 बुरे लोग भले लोगन क धरती क ऊपर राज्ज नाहीं कइ सकिहीं,
अगर बुरे लोग अइसा करइ लग जाइँ तउ होइ सकत ह सज्जन लोग भी बुरा काम करइ लागइँ।
4 हे यहोवा, भले लोगन क संग भला करा,
जेनकर मन बेकसूर अहइँ।
5 मुला यहोवा ओन लोगन क सज़ा देइ
जउन दुट्ठ मनई क संग ओनका मानइ तजि दिहस ह।
हुवाँ इस्राएल मँ सान्ति रहइ द्या।
10 सुना, हे मोर पूत! जउन कछू मइँ कहत हउँ तू ओका ग्रहण करा। तू अनगिनत बरिस जिअत रहब्या। 11 मइँ तोहका बुद्धि क मागेर् पइ चलइ क राह देखावत हउँ, अउर सरल मार्गन पइ अगुवाई करत हउँ। 12 जब तू अगवा बढ़ब्या तोहार गोड़ रूकावट नाहीं पइहीं, अउर जब तू दउड़ब्या ठोकर नाहीं खाब्या। 13 सिच्छा क थामे रहा, ओका तू जिन छो़ड़ा। एकर रखवारी करा। इहइ तोहार जिन्नगी अहइ।
14 तू दुट्ठ लोगन क राहे पइ कदम जिन धरा। बुरे लोगन क राहे पइ जिन चला। 15 तू एहसे बचत रहा। एह क ओर कदम जिन बढ़ावा। एहसे तू मुड़ि जा अउर एकरे बगल स गुजर जा। 16 उ पचे बुरे करम किए बगैर सोइ नाहीं पउतेन। उ पचे नींद खोइ चुकत हीं जब तलक कउनो क नाहीं गिरउतेन। 17 उ पचे तउ बस हमेसा नीच होइ क रोटी खात हीं अउर हिंसा क दाखरस पिअत हीं।
18 मुला नीक लोगन क राह वइसे होत ह जइसे भिंसारे क किरण होत ह, जउन दिन क पूर्ण होइ तलक आपन प्रकास मँ बढ़त ही चली जात ह। 19 मुला दुठ्न लोगन क मारग अँधियारा जइसा होत ह। उ पचे नाहीं जानत ह कि केकर कारण उ पचे ठोकर खात ह या गिरत ह।
20 हे मोर पूत, जउन कछू मइँ कहत हउँ ओह पइ तू धियान द्या। मोर बचनन क तू कान लगाइके सुना। 21 ओनका आपन दृस्टि स ओझर जिन होइ द्या। आपन हिरदय पइ तू ओनका धरे रहा। 22 काहेकि जउन ओनका पावत हीं ओनके बरे उ सबइ जिन्नगी बन जात हीं अउर उ पचे एक मनई क संपूर्ण तने क तन्दुरूस्ती बनत हीं। 23 सबन स बड़की बात इ अहइ कि तू आपन विचार क बारे मँ होसियार रहा। काहेकि तोहार विचार जिन्नगी क कब्जे मँ राखत हीं।
24 तू आपन मुँह स कुटिलता क दूर राखा। तू आपन ओंठन स गलत बात दूर राखा। 25 आपन आंखिन क हमेसा सिधे रखा, आपन पलकन क समन्वा क ओर रखा। 26 आपन गोड़न बरे तू सोझ मारग बनावा। बस तू ओन राहन पइ चला जउन निहचइ ही सुरच्छित अहइँ। 27 दाहिने क या बाएँ क जिन डुगा। तू आपन गोड़न क बुराई स रोके रहा।
12 जे व्यवस्था क पाए बगैर पाप किहेन उ सब व्यवास्था क बाहेर ही उ छिन्न होइ जइहीं अउर जे व्यवस्था मँ रहिके पाप किहेन ओनकइ निपटारा व्यवस्था क अन्दरइ दण्ड दीन्ह जाई। 13 काहेकि जे कोई सिरफ व्यवस्था क कथा सुनत ह परमेस्सर की दृष्टि मँ धर्मी नाहीं अहइ बल्कि जे व्यवस्था पर चलत अहइँ उही धरमी कहरावा जइही।
14 सो जब गैर यहूदियन जेनके लगे व्यवस्था नाहीं बा, सुभाव स व्यवस्था क बातन पर चलत ह, तउ चाहे ओनके पास व्यवस्था न भी होइ तउ भी उ आपन व्यवस्था खुद ही अहइँ। 15 उ लोगन अपने मन प लिखे व्यवस्था क करमन का देखावत बाटेन। ओनके विवेक ओनकइ साच्छी अहइँ। ओनके मानसिक संघर्ष ओनका अपराधी व निरदोस कहत अहइ।
16 इ सब बातन उ दिना होइही जउने दिना परमेस्सर मनइयन क छुपी बातन क, जउने क मइँ उपदेस देइत हउँ इ उ सुसमाचार क मुताबिक मसीह ईसू निआव करी।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.