Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
संगीत निर्देशक के लिए शोकन्नीभ की संगत पर कोरह परिवार का एक कलात्मक प्रेम प्रगीत।
1 सुन्दर शब्द मेरे मन में भर जाते हैं,
जब मैं राजा के लिये बातें लिखता हूँ।
मेरे जीभ पर शष्द ऐसे आने लगते हैं
जैसे वे किसी कुशल लेखक की लेखनी से निकल रहे हैं।
2 तू किसी भी और से सुन्दर है!
तू अति उत्तम वक्ता है।
सो तुझे परमेश्वर आशीष देगा!
6 हे परमेश्वर, तेरा सिंहासन अमर है!
तेरा धर्म राजदण्ड है।
7 तू नेकी से प्यार और बैर से द्वेष करता है।
सो परमेश्वर तेरे परमेश्वर ने तेरे साथियों के ऊपर
तुझे राजा चुना है।
8 तेरे वस्त्र महक रहे है जैसे गंध रास, अगर और तेज पात से मधुर गंध आ रही।
हाथी दाँत जड़ित राज महलों से तुझे आनन्दित करने को मधुर संगीत की झँकारे बिखरती हैं।
9 तेरी माहिलायें राजाओं की कन्याएँ है।
तेरी महारानी ओपीर के सोने से बने मुकुट पहने तेरे दाहिनी ओर विराजती हैं।
होशे का गोमेर को दासता से छुड़ाना
3 इसके बाद यहोवा ने मुझसे फिर कहा, “यद्यपि गोमेर के बहुत से प्रेमी हैं। किन्तु तुझे उससे प्रीत बनाये रखनी चाहिये। क्यों क्योंकि यह तेरा यहोवा कासा आचरण होगा। यहोवा इस्राएल की प्रजा पर अपना प्रेम बनाये रखता है किन्तु इस्राएल के लोग अन्य देवताओं की पूजा करते रहते हैं और वे दाख के पुओं को खाना पसन्द करते हैं।”
2 सो मैंने गोमेर को चाँदी के पन्द्रह सिक्कों और नौ बुशल जौ के बदले खरीद लिया। 3 फिर उससे कहा, “तुझे घर में मेरे साथ बहुत दिनों तक रहना है। तुझे किसी वेश्या के जैसा नहीं होना चाहिये। किसी पराये पुरूष के साथ नहीं रहना है। मैं तभी वास्तव में तेरा पति बनूँगा।”
4 इसी प्रकार, इस्राएल के लोग बहुत दिनों तक बिना किसी राजा या मुखिया के रहेंगे। वे बिना किसी बलिदान अथवा बिना किसी स्मृति पत्थर के रहेंगे। उनके पास कोई याजकों की पोशाक नहीं होगी या उनके कोई गृह देवता नहीं होंगे। 5 इसके बाद इस्राएल के लोग वापस लौट आयेंगे और तब वे अपने यहोवा परमेश्वर और अपने राजा दाऊद की खोज करेंगे। अंतिम दिनों में वे यहोवा को और उसकी नेकी को आदर देने आयेंगे।
यीशु का पिलातुस के सामने लाया जाना
(मत्ती 27:1-2, 11-31; मरकुस 15:1-20; लूका 23:1-25)
28 फिर वे यीशु को कैफा के घर से रोमी राजभवन में ले गये। सुबह का समय था। यहूदी लोग राजभवन में नहीं जाना चाहते थे कि कहीं अपवित्र[a] न हो जायें और फ़सह का भोजन न खा सकें। 29 तब पिलातुस उनके पास बाहर आया और बोला, “इस व्यक्ति के ऊपर तुम क्या दोष लगाते हो?”
30 उत्तर में उन्होंने उससे कहा, “यदि यह अपराधी न होता तो हम इसे तुम्हें न सौंपते।”
31 इस पर पिलातुस ने उनसे कहा, “इसे तुम ले जाओ और अपनी व्यवस्था के विधान के अनुसार इसका न्याय करो।”
यहूदियों ने उससे कहा, “हमें किसी को प्राणदण्ड देने का अधिकार नहीं है।” 32 (यह इसलिए हुआ कि यीशु ने जो बात उसे कैसी मृत्यु मिलेगी, यह बताते हुए कही थी, सत्य सिद्ध हो।)
© 1995, 2010 Bible League International