Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
दाऊद का एक गीत।
1 मैं प्रेम और खरेपन के गीत गाऊँगा।
यहोवा मैं तेरे लिये गाऊँगा।
2 मैं पूरी सावधानी से शुद्ध जीवन जीऊँगा।
मैं अपने घर में शुद्ध जीवन जीऊँगा।
हे यहोवा तू मेरे पास कब आयेगा
3 मैं कोई भी प्रतिमा सामने नहीं रखूँगा।
जो लोग इस प्रकार तेरे विमुख होते हैं, मुझो उनसे घृणा है।
मैं कभी भी ऐसा नहीं करूँगा।
4 मैं सच्चा रहूँगा।
मैं बुरे काम नहीं करूँगा।
5 यदि कोई व्यक्ति छिपे छिपे अपने पड़ोसी के लिये दुर्वचन कहे,
मैं उस व्यक्ति को ऐसा करने से रोकूँगा।
मैं लोगों को अभिमानी बनने नहीं दूँगा
और मैं उन्हें सोचने नहीं दूँगा, कि वे दूसरे लोगों से उत्तम हैं।
6 मैं सारे ही देश में उन लोगों पर दृष्टि रखूँगा।
जिन पर भरोसा किया जा सकता और मैं केवल उन्हीं लोगों को अपने लिये काम करने दूँगा।
बस केवल ऐसे लोग मेरे सेवक हो सकते जो शुद्ध जीवन जीते हैं।
7 मैं अपने घर में ऐसे लोगों को रहने नहीं दूँगा जो झूठ बोलते हैं।
मैं झूठों को अपने पास भी फटकने नहीं दूँगा।
8 मैं उन दुष्टों को सदा ही नष्ट करूँगा, जो इस देश में रहते है।
मै उन दुष्ट लोगों को विवश करूँगा, कि वे यहोवा के नगर को छोड़े।
मन्दिर में साक्षीपत्र का सन्दूक
8 तब राजा सुलैमान ने इस्राएल के सभी अग्रजों, परिवार समूहों के प्रमुखों तथा इस्राएल के परिवारों के प्रमुखों को एक साथ यरूशलेम में बुलाया। सुलैमान चाहता था कि वे साक्षीपत्र के सन्दूक को दाऊद नगर से मन्दिर में लायें। 2 इसलिये इस्राएल के सभी लोग राजा सुलैमान के साथ आये। यह एतानीम महीने में विशेष त्यौहार (आश्रयों का त्यौहार) के समय हुआ। (यह वर्ष का सातवाँ महीना था)।
3 इस्राएल के सभी अग्रज स्थान पर आए। तब याजकों ने पवित्र सन्दूक उठाया। 4 वे पवित्र तम्बू और तम्बू में की सभी चीज़ों सहित यहोवा के पवित्र सन्दूक को ले आए। लेवीवंशियों ने याजकों की साहायता इन चीज़ों को ले चलने में की। 5 राजा सुलैमान और इस्राएल के सभी लोग साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने इकट्ठे हुए। उन्होंने अनेक बलि भेंट की। उन्होंने इतनी अधिक भेड़ें और पशु मारे कि कोई व्यक्ति उन सभी को गिनने में समर्थ नहीं था। 6 तब याजकों ने यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को उसके उचित स्थान पर रखा। यह मन्दिर के भीतर सर्वाधिक पवित्र स्थान में था। साक्षीपत्र का सन्दूक करूब (स्वर्गदूतों) के पंखों के नीचे रखा गया। 7 करूब (स्वर्गदूतों) के पंख पवित्र सन्दूक के ऊपर फैले थे। वे पवित्र सन्दूक और उसको ले चलने में सहायक बल्लियों को ढके थे। 8 ये सहायक बल्लियाँ बहुत लम्बी थीं। यदि कोई व्यक्ति पवित्र स्थान में सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने खड़ा हो, तो वह बल्लियों के सिरों को देख सकता था। किन्तु बाहर को कोई भी उन्हें नहीं देख सकता था। वे बल्लियाँ आज भी वहाँ अन्दर हैं। 9 पवित्र सन्दूक के भीतर केवल दो अभिलिखित शिलायें थीं। वे दो अभिलिखित शिलायें वही थीं, जिन्हें मूसा ने होरेब नामक स्थान पर पवित्र सन्दूक में रखा था। होरेब वह स्थान था जहाँ यहोवा ने इस्राएल के लोगों के साथ उनके मिस्र से बाहर आने के बाद वाचा की।
10 याजकों ने सन्दूक को सर्वाधिक पवित्र स्थान में रखा। जब याजक पवित्र स्थान से बाहर आए तो बादल[a] यहोवा के मन्दिर में भर गया। 11 याजक अपना काम करते न रह सके क्योंकि मन्दिर यहोवा के प्रताप[b] से भर गया था। 12 तब सुलैमान ने कहा:
“यहोवा ने गगन में सूर्य को चमकाया,
किन्तु उसने काले बादलों में रहना पसन्द किया।
13 मैंने तेरे लिए एक अद्भुत मन्दिर बनाया, एक निवास,
जिसमें तू सदैव रहेगा।”
14 इस्राएल के सभी लोग वहाँ खड़े थे। इसलिये सुलैमान उनकी ओर मुड़ा और परमेश्वर ने उन्हें आशीर्वाद देने को कहा। 15 तब राजा सुलैमान ने यहोवा से एक लम्बी प्रार्थना की। जो उसने प्रार्थना की वह यह है:
“इस्राएल का यहोवा परमेश्वर महान है। यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से जो कुछ कहा—उन्हें उसने स्वयं पूरा किया है। यहोवा ने मेरे पिता से कहा, 16 ‘मैं अपने लोगों इस्राएलियों को मिस्र से बाहर लाया। लेकिन मैंने अभी तक इस्राएल परिवार समूह से किसी नगर को नहीं चुना है, कि मुझे सम्मान देने के लिये मन्दिर—निर्माण करे। और मैंने अपने लोग, इस्राएलियों का मार्ग दर्शक कौन व्यक्ति हो, उसे नहीं चुना है। किन्तु अब मैंने यरूशलेम को चुना है जहाँ मैं सम्मानित होता रहूँगा। किन्तु अब, दाऊद को मैंने चुना है। मेरे इस्राएली लोगों पर शासन करने के लिये।’
17 “मेरे पिता दाऊद बहुत अधिक चाहते थे कि वे यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर के सम्मान के लिये मन्दिर बनाएं। 18 किन्तु यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से कहा, ‘मैं जानता हूँ कि तुम मेरे सम्मान के लिये मन्दिर बनाने की प्रबल इच्छा रखते हो और यह अच्छा है कि तुम मेरा मन्दिर बनाना चाहते हो। 19 किन्तु तुम वह व्यक्ति नहीं हो जिसे मैंने मन्दिर बनाने के लिये चुना है। तुम्हारा पुत्र मेरा मन्दिर बनाएगा।’
20 “इस प्रकार यहोवा ने जो प्रतिज्ञा की थी उसे पूरी कर दी है। अब मैं अपने पिता दाऊद के स्थान पर राजा हूँ। अब मैं यहोवा की प्रतिज्ञा के अनुसार इस्राएल के लोगों पर शासन कर रहा हूँ और मैंने इस्राएल के परमेश्वर के लिये मन्दिर बनाया है। 21 मैंने मन्दिर में एक स्थान पवित्र सन्दूक के लिये बनाया है। उस पवित्र सन्दूक में वह साक्षीपत्र है जो वाचा यहोवा ने हमारे पूर्वजों के साथ किया था। यहोवा ने वह वाचा तब की जब वह हमारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर ले आया था।”
यहूदी नेताओं के विरुद्ध यीशु की चेतावनी
(मत्ती 16:5-12)
14 यीशु के शिष्य कुछ खाने को लाना भूल गये थे। एक रोटी के सिवाय उनके पास और कुछ नहीं था। 15 यीशु ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा, “सावधान! फरीसियों और हेरोदेस के ख़मीर से बचे रहो।”
16 “हमारे पास रोटी नहीं है,” इस पर, वे आपस में सोच विचार करने लगे।
17 वे क्या कह रहे हैं, यह जानकर यीशु उनसे बोला, “रोटी पास नहीं होने के विषय में तुम क्यों सोच विचार कर रहे हो? क्या तुम अभी भी नहीं समझते बूझते? क्या तुम्हारी बुद्धि इतनी जड़ हो गयी है? 18 तुम्हारी आँखें हैं, क्या तुम देख नहीं सकते? तुम्हारे कान हैं, क्या तुम सुन नहीं सकते? क्या तुम्हें याद नहीं? 19 जब मैंने पाँच हजार लोगों के लिये पाँच रोटियों के टुकड़े किये थे और तुमने उन्हें कितनी टोकरियों में बटोरा था?”
“बारह”, उन्होंने कहा।
20 “और जब मैंने चार हज़ार के लिये सात रोटियों के टुकड़े किये थे तो तुमने कितनी टोकरियाँ भर कर उठाई थीं?”
“सात”, उन्होंने कहा।
21 फिर यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम अब भी नहीं समझे?”
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