Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
1 यहोवा के गुण गाओ!
यहोवा का अपने सम्पूर्ण मन से ऐसी उस सभा में धन्यवाद करता हूँ
जहाँ सज्जन मिला करते हैं।
2 यहोवा ऐसे कर्म करता है, जो आश्चर्यपूर्ण होते हैं।
लोग हर उत्तम वस्तु चाहते हैं, वही जो परमेश्वर से आती है।
3 परमेश्वर ऐसे कर्म करता है जो सचमुच महिमावान और आश्चर्यपूर्ण होते हैं।
उसका खरापन सदा—सदा बना रहता है।
4 परमेश्वर अद्भुत कर्म करता है ताकि हम याद रखें
कि यहोवा करूणापूर्ण और दया से भरा है।
5 परमेश्वर निज भक्तों को भोजन देता है।
परमेश्वर अपनी वाचा को याद रखता है।
6 परमेश्वर के महान कार्य उसके प्रजा को यह दिखाया
कि वह उनकी भूमि उन्हें दे रहा है।
7 परमेश्वर जो कुछ करता है वह उत्तम और पक्षपात रहित है।
उसके सभी आदेश पूरे विश्वास योग्य हैं।
8 परमेश्वर के आदेश सदा ही बने रहेंगे।
परमेश्वर के उन आदेशों को देने के प्रयोजन सच्चे थे और वे पवित्र थे।
9 परमेश्वर निज भक्तों को बचाता है।
परमेश्वर ने अपनी वाचा को सदा अटल रहने को रचा है, परमेश्वर का नाम आश्चर्यपूर्ण है और वह पवित्र है।
10 विवेक भय और यहोवा के आदर से उपजता है।
वे लोग बुद्धिमान होतेहैं जो यहोवा का आदर करते हैं।
यहोवा की स्तुति सदा गायी जायेगी।
1 इस समय दाऊद बहुत अधिक बूढ़ा हो गया था। वह अपनी गरमाई खो चुका था। उसके सेवक उसे कम्बल ओढ़ाते थे किन्तु वह फिर भी ठंडा रहता था। 2 इसलिये उसके सेवकों ने उससे कहा, “हम आपकी देखभाल के लिये एक युवती की खोज करेंगे। वह आपके समीप लेटेगी और आपको गरम रखेगी।” 3 इसलिये राजा के सेवकों ने इस्राएल प्रदेश में चारों ओर एक युवती की खोज आरम्भ की। वे राजा को गरम रखने के लिये एक सुन्दर लकड़ी की खोज कर रहे थे। उन्हें अबीशग नाम की एक लड़की मिली। वह शूनेमिन नगर की थी। वे युवती को राजा के पास ले आए। 4 लड़की बहुत सुन्दर थी। उसने राजा की देख—रेख और सेवा की। किन्तु राजा दाऊद ने उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध नहीं किया।
5-6 राजा दाऊद का पुत्र अदोनिय्याह बहुत घमण्डी हो गया। उसने घोषणा की, “मैं राजा बनूँगा।” अदोनिय्याह की माँ का नाम हग्गीत था। अदोनिय्याह राजा बनने का बहुत इच्छुक था। इसलिये वह अपने लिये एक रथ, घोड़े और आगे दौड़ने वाले पाँच सौ व्यक्तियों को लाया। राजा ने अपने पुत्र अदोनिय्याह को कभी सुधारा नहीं। दाऊद ने उससे कभी यह नहीं पूछा, “तुम ये कार्य क्यों कर रहे हो” अदोनिय्याह वह पुत्र था जो अबशालोम के बाद उत्पन्न हुआ था। अदोनिय्याह एक बहुत सुन्दर व्यक्ति था।
7 अदोनिय्याह ने सरुयाह के पुत्र योआब और याजक एब्यातार से बातें कीं। उन्होंने उसकी सहायता की। 8 किन्तु बहुत से लोग उन कामों को ठीक नहीं समझते थे जिन्हें अदोनिय्याह कर रहा था। वे नहीं समझते थे कि वह राजा होने के योग्य हो गया है। ये लोग याजक सादोक, यहोयादा का पुत्र बनायाह, नातान नबी, शिमी, रेई और राजा दाऊद के विशेष रक्षक थे। इसलिये ये लोग अदोनिय्याह के साथ नहीं हुए।
9 तब अदोनिय्याह ने कुछ जानवरों को मेलबलि के लिये मारा। उसने कुछ भेड़ों, कुछ गायों और कुछ मोटे बछड़ों को मारा। अदोनिय्याह ने एनरोगेल के पास जोहेलेत की चट्टान पर ये बलियाँ चढ़ाईं। अदोनिय्याह ने इस विशेष उपासना में अपने साथ आने के लिये उनेक व्यक्तियों को आमन्त्रित किया। अदोनिय्याह ने अपने सभी भाईयों, (राजा के अन्य पुत्रों) तथा यहूदा के समस्त राज्य कर्मचारियों को आमन्त्रित किया। 10 किन्तु अदोनिय्याह ने नातान नबी, या बनायाह या अपने पिता के विशेष रक्षक या अपने भाई सुलैमान को आमन्त्रित नहीं किया।
11 जब नातान ने इसके बारे में सुना, वह सुलैमान की माँ बतशेबा के पास गया। नातान ने उससे पूछा, “क्या तुमने सुना है कि हग्गीत का पुत्र अदोनिय्याह क्या कर रहा है उसने अपने को राजा बना लिया है और वास्तविक राजा दाऊद इसके बारे में कुछ नहीं जानता। 12 तुम्हारा जीवन और तुम्हारे पुत्र सुलैमान का जीवन खतरे में पड़ सकता है। किन्तु मैं तुम्हें बताऊँगा कि अपने को बचाने के लिये तुम्हें क्या करना चाहिए। 13 राजा दाऊद के पास जाओ और उससे कहो, ‘मेरे राजा, आपने मुझे वचन दिया था कि आपके बाद मेरा पुत्र सुलैमान अगला राजा होगा। फिर, अदोनिय्याह राजा क्यों बन गया है’ 14 तब, जब तुम उससे बात कर ही रही होगी, मैं अन्दर आऊँगा। जब तुम चली जाओगी तब मैं जो कुछ घटित हुआ है उसके बारे में राजा को बातऊँगा। इससे यह प्रदर्शित होगा कि तुमने अदोनिय्याह के बारे में जो कुछ कहा है, वह सत्य है।”
15 अत: बतशेबा राजा के सोने के कमरे में अन्दर उससे मिलने गई। राजा बहुत अधिक बूढ़ा था। शूनेमिन से आई लड़की अबीशग वहाँ उसकी देख—रेख कर रही थी। 16 बतशेबा राजा के सामने प्रणाम करने झुकी। राजा ने पूछा, “तुम क्या चाहती हो?”
17 बतशेबा ने उत्तर दिया, “मेरे राजा, आपने अपने परमेश्वर, यहोवा का नाम लेकर मुझसे प्रतिज्ञा की थी। आपने कहा था, ‘तुम्हारा पुत्र सुलैमान मेरे बाद राजा होगा। मेरे सिंहासन पर सुलैमान शासन करेगा।’ 18 किन्तु अब अदोनिय्याह राजा हो गया है और आप इसे जानते भी नहीं। 19 अदोनिय्याह ने मेलबलि के लिये कई जानवरों को मार डाला है। उसने बहुत से बैलों, मोटे बछड़ों और भेड़ों को मारा है और उसने आपके सभी पुत्रों को आमन्त्रित किया है। उसने याजक एब्यातार और आपकी सेना के सेनापति योआब को भी आमन्त्रित किया है। किन्तु उसने आपके पुत्र सुलैमान को आमन्त्रित नहीं किया, जो आपकी सेवा करता है। 20 मेरे राजा, इस्राएल के सभी लोगों की आँखें आप पर लगी हैं। वे आपके इस निर्णय की प्रतीक्षा कर रहै हैं कि आपके बाद कौन राजा होगा। 21 जब आप मेरेंगे तो आप अपने पूर्वजों के साथ दफनाये जायेंगे। उस समय लोग यही कहेंगे कि मैं और सुलैमान अपराधी हैं।”
22 जब बतशेबा राजा से बातें कर रही थी, नातान नबी उससे मिलने आया। 23 सेवकों ने राजा से कहा, “नातान नबी आये हैं।” अत: नातान ने प्रवेश किया और राजा के पास गया। नातान राजा के सामने धरती तक झुका। 24 तब नातान ने कहा, “मेरे राजा, क्या आपने यह घोषणा कर दी है कि आपके बाद अदोनिय्याह नया राजा होगा क्या आपने यह निर्णय कर लिया है कि आपके बाद अदोनिय्याह लोगों पर शासन करेगा। 25 आज उसने घाटी में विशेष मेलबलियाँ भेंट की हैं। उसने कई बैलों, मोटे बछड़ों और भेड़ों को मारा है और उसने आपके अन्य सभी पुत्रों, सेना के सेनापति और याजक एब्यातार को आमन्त्रित किया है। अब वे उनके साथ खा रहे हैं और पी रहे हैं और वे कह रहे हैं, ‘राजा अदोनिय्याह दीर्घायु हो!’ 26 किन्तु उसने मुझे या याजक सादोक, यहोयादा के पुत्र बनायाह या आपके पुत्र सुलैमान को आमन्त्रित नहीं किया। 27 क्या यह आपने किया है हम आपकी सेवा और आपकी आज्ञा का पालन करते हैं। आपने हम लोगों से पहले ही क्यों नहीं कहा कि आपने उसे अपने बाद होने वाला राजा चुना है?”
28 तब राजा दाऊद ने कहा, “बतशेबा से अन्दर आने को कहो!” अत: बतशेबा अन्दर राजा के सामने आई।
29 तब राजा ने एक प्रतिज्ञा की “यहोवा परमेश्वर ने मुझे हर एक खतरे से बचाया है और यहोवा परमेश्वर शाश्वत है। मैं तुम से प्रतिज्ञा करता हूँ। 30 मैं आज वह कार्य करूँगा जिसका वचन मैंने इसके पूर्व तुम्हें दिया था। मैंने यह प्रतिज्ञा यहोवा इस्राएल के परमेश्वर की शक्ति से की थी। मैंने प्रतिज्ञा की थी कि तुम्हारा पुत्र सुलैमान मेरे बाद राजा होगा और मेरे बाद सिंहासन पर मेरा स्थान वही लेगा। मैं अपनी प्रतिज्ञा पूरी करुँगा।”
यहूदियों द्वारा स्तिफनुस का विरोध
8 स्तिफनुस एक ऐसा व्यक्ति था जो अनुग्रह और सामर्थ्य से परिपूर्ण था। वह लोगों के बीच बड़े-बड़े आश्चर्य कर्म और अद्भुत चिन्ह प्रकट किया करता था। 9 किन्तु तथाकथित स्वतन्त्र किये गये लोगों के आराधनालय के कुछ लोग जो कुरेनी और सिकन्दरिया से तथा किलिकिया और एशिया से आये यहूदी थे, वे उसके विरोध में वाद-विवाद करने लगे। 10 किन्तु वह जिस बुद्धिमानी और आत्मा से बोलता था, वे उसके सामने नहीं ठहर सके।
11 फिर उन्होंने कुछ लोगों को लालच देकर कहलवाया, “हमने मूसा और परमेश्वर के विरोध में इसे अपमानपूर्ण शब्द कहते सुना है।” 12 इस तरह उन्होंने जनता को, बुजुर्ग यहूदी नेताओं को और यहूदी धर्मशास्त्रियों को भड़का दिया। फिर उन्होंने आकर उसे पकड़ लिया और सर्वोच्च यहूदी महासभा के सामने ले आये।
13 उन्होंने वे झूठे गवाह पेश किये जिन्होंने कहा, “यह व्यक्ति इस पवित्र स्थान और व्यवस्था के विरोध में बोलते कभी रुकता ही नहीं है। 14 हमने इसे कहते सुना है कि यह नासरी यीशु इस स्थान को नष्ट-भ्रष्ट कर देगा और मूसा ने जिन रीति-रिवाजों को हमें दिया है उन्हें बदल देगा।” 15 फिर सर्वोच्च यहूदी महासभा में बैठे हुए सभी लोगों ने जब उसे ध्यान से देखा तो पाया कि उसका मुख किसी स्वर्गदूत के मुख के समान दिखाई दे रहा था।
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