Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
आरोहण गीत।
1 हे यहोवा, मैं गहन कष्ट में हूँ
सो सहारा पाने को मैं तुम्हें पुकारता हूँ।
2 मेरे स्वामी, तू मेरी सुन ले।
मेरी सहायता की पुकार पर कान दे।
3 हे यहोवा, यदि तू लोगों को उनके सभी पापों का सचमुच दण्ड दे
तो फिर कोई भी बच नहीं पायेगा।
4 हे यहोवा, निज भक्तों को क्षमा कर।
फिर तेरी अराधना करने को वहाँ लोग होंगे।
5 मैं यहोवा की बाट जोह रहा हूँ कि वह मुझको सहायता दे।
मेरी आत्मा उसकी प्रतीक्षा में है।
यहोवा जो कहता है उस पर मेरा भरोसा है।
6 मैं अपने स्वामी की बाट जोहता हूँ।
मैं उस रक्षक सा हूँ जो उषा के आने की प्रतीक्षा में लगा रहता है।
7 इस्राएल, यहोवा पर विश्वास कर।
केवल यहोवा के साथ सच्चा प्रेम मिलता है।
यहोवा हमारी बार—बार रक्षा किया करता है।
8 यहोवा इस्राएल को उनके सारे पापों के लिए क्षमा करेगा।
25 अबशालोम की अत्याधिक प्रशंसा उसके सुन्दर रूप के लिये थी। इस्राएल में कोई व्यक्ति इतना सुन्दर नहीं था जितना अबशालोम। अबशालोम के सिर से पैर तक कोई दोष नहीं था। 26 हर एक वर्ष के अन्त में अबशालोम अपने सिर के बाल काटता था और उसे तोलता था। बालों का तोल लगभग पाँच पौंड था। 27 अबशालोम के तीन पुत्र थे और एक पुत्री। उस पुत्री का नाम तामार था। तामार एक सुन्दर स्त्री थी।
अबशालोम योआब को अपने से मिलने के लिये विवश करता है
28 अबशालोम पूरे दो वर्ष तक, दाऊद से मिलने की स्वीकृति के बिना, यरूशलेम में रहा। 29 अबशालोम ने योआब के पास दूत भेजे। इन दूतों ने योआब से कहा कि तुम अबशालोम को राजा के पास भेजो। किन्तु योआब अबशालोम से मिलने नहीं आया। अबशालोम ने दूसरी बार सन्देश भेजा। किन्तु योआब ने फिर भी आना अस्वीकार किया।
30 तब अबशालोम ने अपने सेवकों से कहा, “देखो, योआब का खेत मेरे खेत से लगा है। उसके खेत में जौ की फसल है। जाओ और जौ को जला दो।”
इसलिये अबशालोम के सेवक गए और योआब के खेत में आग लगानी आरम्भ की। 31 योआब उठा और अबशालोम के घर आया। योआब ने अबशालोम से कहा, “तुम्हारे सेवकों ने मेरे खेत को क्यों जलाया?”
32 अबशालोम ने योआब से कहा, “मैंने तुमको सन्देश भेजा। मैंने तुमसे यहाँ आने को कहा। मैं तुम्हें राजा के पास भेजना चाहता था। मैं उससे पूछना चाहता था कि उसने गशूर से मुझे घर क्यों बुलाया। मैं उससे मिल नहीं सकता, अत: मेरे लिये गशूर में रहना कहीं अधिक अच्छा था। अब मुझे राजा से मिलने दो। यदि मैंने पाप किया है तो वह मुझे मार सकता है।”
अबशालोम दाऊद से मिलता है
33 तब योआब राजा के पास आया और अबशालोम का कहा हुआ सुनाया। राजा ने अबशालोम को बुलाया। तब अबशालोम राजा के पास आया। अबशालोम ने राजा के सामने भूमि पर माथा टेक कर प्रणाम किया, और राजा ने अबशालोम का चुम्बन किया।
एक दूसरे की सहायता करो
6 हे भाईयों, तुममें से यदि कोई व्यक्ति कोई पाप करते पकड़ा जाए तो तुम आध्यात्मिक जनों को चाहिये कि नम्रता के साथ उसे धर्म के मार्ग पर वापस लाने में सहायता करो। और स्वयं अपने लिये भी सावधानी बरतो कि कहीं तुम स्वयं भी किसी परीक्षा में न पड़ जाओ। 2 परस्पर एक दूसरे का भार उठाओ। इस प्रकार तुम मसीह की व्यवस्था का पालन करोगे। 3 यदि कोई व्यक्ति महत्त्वपूर्ण न होते हुए भी अपने को महत्त्वपूर्ण समझता है तो वह अपने को धोखा देता है। 4 अपने कर्म का मूल्यांकन हर किसी को स्वयं करते रहना चाहिये। ऐसा करने पर ही उसे अपने आप पर, किसी दूसरे के साथ तुलना किये बिना, गर्व करने का अवसर मिलेगा। 5 क्योंकि अपना दायित्त्व हर किसी को स्वयं ही उठाना है।
जीवन खेत-बोने जैसा है
6 जिसे परमेश्वर का वचन सुनाया गया है, उसे चाहिये कि जो उत्तम वस्तुएँ उसके पास हैं, उनमें अपने उपदेशक को साझी बनाए।
7 अपने आपको मत छलो। परमेश्वर को कोई बुद्धू नहीं बना सकता क्योंकि जो जैसा बोयेगा, वैसा ही काटेगा। 8 जो अपनी काया के लिए बोयेगा, वह अपनी काया से विनाश की फसल काटेगा। किन्तु जो आत्मा के खेत में बीज बोएगा, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की फसल काटेगा। 9 इसलिए आओ हम भलाई करते कभी न थकें, क्योंकि यदि हम भलाई करते ही रहेंगे तो उचित समय आने पर हमें उसका फल मिलेगा। 10 सो जैसे ही कोई अवसर मिले, हमें सभी के साथ भलाई करनी चाहिये, विशेषकर अपने धर्म-भाइयों के साथ।
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