Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
24 लोग देखते हैं, परमेश्वर को विजय अभियान की अगुवाई करते हुए।
लोग मेरे पवित्र परमेश्वर, मेरे राजा को विजय अभियान का अगुवाई करते देखते हैं।
25 आग—आगे गायकों की मण्डली चलती है, पीछे—पीछे वादकों की मण्डली आ रही हैं,
और बीच में कुमारियाँ तम्बूरें बजा रही है।
26 परमेश्वर की प्रशंसा महासभा के बीच करो!
इस्राएल के लोगों, तुम यहोवा के गुण गाओ!
27 छोटा बिन्यामीन उनकी अगुवायी कर रहा है।
यहूदा का बड़ा परीवार वहाँ है।
जबूलून तथा नपताली के नेता वहाँ पर हैं।
28 हे परमेश्वर, हमें निज शक्ति दिखा।
हमें वह निज शक्ति दिखा जिसका उपयोग तूने हमारे लिए बीते हुए काल में किया था।
29 राजा लोग, यरूशलेम में तेरे मन्दिर के लिए
निज सम्पति लायेंगे।
30 उन “पशुओं” से काम वांछित कराने के लिये निज छड़ी का प्रयोग कर।
उन जातियों के “बैलो” और “गायों” को आज्ञा मानने वालें बना।
तूने जिन राष्ट्रों को युद्ध में हराया
अब तू उनसे चाँदी मंगवा ले।
31 तू उनसे मिस्र से धन मँगवा ले।
हे परमेश्वर, तू अपने धन कूश से मँगवा ले।
32 धरती के राजाओं, परमेश्वर के लिए गाओं!
हमारे स्वामी के लिए तुम यशगान गाओ!
33 परमेश्वर के लिए गाओ! वह रथ पर चढ़कर सनातन आकाशों से निकलता है।
तुम उसके शक्तिशाली स्वर को सुनों!
34 इस्राएल का परमेश्वर तुम्हारे किसी भी देवों से अधिक बलशाली है।
वह जो निज भक्तों को सुदृढ़ बनाता।
35 परमेश्वर अपने मन्दिर में अदृभुत है।
इस्राएल का परमेश्वर भक्तों को शक्ति और सामर्थ्य देता है।
परमेश्वर के गुण गाओ!
16 शाऊल की पुत्री मीकल खिड़की से देख रही थी। जब यहोवा का पवित्र सन्दूक नगर में आया तो दाऊद यहोवा के सामने नाच—कूद कर रहा था। मीकल ने यह देखा और वह दाऊद पर गुस्सा हो गई। उसने सोचा कि वह अपने आप को मूर्ख सिद्ध कर रहा है।
17 दाऊद ने पवित्र सन्दूक के लिये एक तम्बू लगाया। इस्राएलियों ने यहोवा के सन्दूक को तम्बू में उसकी जगह पर रखा। तब दाऊद ने होमबलि और मेलबलि यहोवा को चढ़ाई।
18 जब दाऊद ने होमबलि और मेलबलि चढ़ाना पूरा किया तब उसने सर्वशक्तिमान यहोवा के नाम पर लोगों को आशीर्वाद दिया। 19 दाऊद ने रोटी, किशमिश का टुकड़ा, और खजूर की रोटी का हिस्सा इस्राएल के हर एक स्त्री—पुरुष को दिया। तब सभी लोग अपने घर गये।
मीकल दाऊद को डाँटती है
20 दाऊद अपने घर में आशीर्वाद देने गया। किन्तु शाऊल की पुत्री मीकल उससे मिलने निकल आई। मीकल ने कहा, “आज इस्राएल के राजा ने अपना ही सम्मान नहीं किया। तुमने अपनी प्रजा की दासियों के सामने अपने वस्त्र उतार दिये। तुम उस मूर्ख की तरह थे जो बिना लज्जा के अपने वस्त्र उतारता है!”
21 तब दाऊद ने मीकल से कहा, “यहोवा ने मुझे चुना है, न कि तुम्हारे पिता और उसके परिवार के किसी व्यक्ति ने। यहोवा ने मुझे इस्राएल के अपने लोगों का मार्ग दर्शक बनने के लिये चुना। यही कारण है कि मैं यहोवा के सामने उत्सव मनाऊँगा और नृत्य करूँगा। 22 संभव है, मैं तुम्हारी दृष्टि में अपना सम्मान खो दूँ। संभव है मैं तुम्हारी निगाह में ही कुछ गिर जाऊँ। किन्तु जिन लड़कियों के बारे में तुम बात करती हो वे मेरा सम्मान करती हैं।”
23 शाऊल की पुत्री को कभी सन्तान न हुई। वह बिना सन्तान के मरी।
31 “तो फिर इस पीढ़ी के लोगों की तुलना मैं किस से करूँ की वे कैसे हैं? 32 वे बाज़ार में बैठे उन बच्चों के समान हैं जो एक दूसरे से पुकार कर कहते है:
‘हमने तुम्हारे लिये बाँसुरी बजायी पर
तुम नहीं नाचे।
हमने तुम्हारे लिए शोक-गीत
गाया पर तुम नहीं रोये।’
33 क्योंकि बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना आया जो न तो रोटी खाता था और न ही दाखरस पीता था और तुम कहते हो, ‘उसमें दुष्टात्मा है।’ 34 फिर खाते पीते हुए मनुष्य का पुत्र आया, पर तुम कहते हो, ‘देखो यह पेटू है, पियक्कड़ है, कर वसूलने वालों और पापियों का मित्र है।’ 35 बुद्धि की उत्तमता तो उसके परिणाम से ही सिद्ध होती है।”
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