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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 68:24-35

24 लोग देखते हैं, परमेश्वर को विजय अभियान की अगुवाई करते हुए।
    लोग मेरे पवित्र परमेश्वर, मेरे राजा को विजय अभियान का अगुवाई करते देखते हैं।
25 आग—आगे गायकों की मण्डली चलती है, पीछे—पीछे वादकों की मण्डली आ रही हैं,
    और बीच में कुमारियाँ तम्बूरें बजा रही है।
26 परमेश्वर की प्रशंसा महासभा के बीच करो!
    इस्राएल के लोगों, तुम यहोवा के गुण गाओ!
27 छोटा बिन्यामीन उनकी अगुवायी कर रहा है।
    यहूदा का बड़ा परीवार वहाँ है।
    जबूलून तथा नपताली के नेता वहाँ पर हैं।

28 हे परमेश्वर, हमें निज शक्ति दिखा।
    हमें वह निज शक्ति दिखा जिसका उपयोग तूने हमारे लिए बीते हुए काल में किया था।
29 राजा लोग, यरूशलेम में तेरे मन्दिर के लिए
    निज सम्पति लायेंगे।
30 उन “पशुओं” से काम वांछित कराने के लिये निज छड़ी का प्रयोग कर।
    उन जातियों के “बैलो” और “गायों” को आज्ञा मानने वालें बना।
तूने जिन राष्ट्रों को युद्ध में हराया
    अब तू उनसे चाँदी मंगवा ले।
31 तू उनसे मिस्र से धन मँगवा ले।
    हे परमेश्वर, तू अपने धन कूश से मँगवा ले।
32 धरती के राजाओं, परमेश्वर के लिए गाओं!
    हमारे स्वामी के लिए तुम यशगान गाओ!

33 परमेश्वर के लिए गाओ! वह रथ पर चढ़कर सनातन आकाशों से निकलता है।
    तुम उसके शक्तिशाली स्वर को सुनों!
34 इस्राएल का परमेश्वर तुम्हारे किसी भी देवों से अधिक बलशाली है।
    वह जो निज भक्तों को सुदृढ़ बनाता।
35 परमेश्वर अपने मन्दिर में अदृभुत है।
    इस्राएल का परमेश्वर भक्तों को शक्ति और सामर्थ्य देता है।

परमेश्वर के गुण गाओ!

2 शमूएल 6:6-12

जब दाऊद के लोग नकोन खलिहान में आये तो बैल लड़खड़ा पड़े। परमेश्वर का पवित्र सन्दूक बन्द गाड़ी से गिरने लगा। उज्जा ने पवित्र सन्दूक को पकड़ लिया। यहोवा उज्जा पर क्रोधित हुआ और उसे मार डाला।[a] उज्जा ने पवित्र सन्दूक को छूकर परमेश्वर के प्रति अश्रद्धा दिखाई। उज्जा वहाँ परमेश्वर के पवित्र सन्दूक के बगल में मरा। दाऊद निराश हो गया क्योंकि यहोवा ने उज्जा को मार डाला था। दाऊद ने उस स्थान को “पेरेसुज्जा” कहा।

दाऊद उस दिन यहोवा से डर गया। दाऊद ने कहा, “अब मैं यहोवा का पवित्र सन्दूक यहाँ कैसे ला सकता हूँ?” 10 इसलिये दाऊद यहोवा के पवित्र सन्दूक को दाऊद नगर में नहीं ले जाना चाहता था। दाऊद ने पवित्र सन्दूक को गत से आये हुये ओबेद—एदोम के घर में रखा। दाऊद पवित्र सन्दूक को सड़क से गत के ओबेद—एदोम के घर ले गया। 11 यहोवा का सन्दूक ओबेद—एदोम के घर में तीन महीने तक रहा। यहोवा ने ओबेद—एदोम और उसके सारे परिवार को आशीर्वाद दिया।

12 लोगों ने दाऊद से कहा, “यहोवा ने ओबेद—एदोम के परिवार और उसकी सारी चीजों को आशीर्वाद दिया क्योंकि परमेश्वर का पवित्र सन्दूक वहाँ है।” इसलिये दाऊद गया और ओबेद—एदोम के घर से परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को दाऊद नगर से ले आया। दाऊद ने इसे प्रसन्नता से किया।

प्रेरितों के काम 21:27-39

27 जब वे सात दिन लगभग पूरे होने वाले थे, कुछ यहूदियों ने उसे मन्दिर में देख लिया। उन्होंने भीड़ में सभी लोगों को भड़का दिया और पौलुस को पकड़ लिया। 28 फिर वे चिल्ला कर बोले, “इस्राएल के लोगो सहायता करो। यह वही व्यक्ति है जो हर कहीं हमारी जनता के, हमारी व्यवस्था के और हमारे इस स्थान के विरोध में लोगों को सिखाता फिरता है। और अब तो यह विधर्मियों को मन्दिर में ले आया है। और इसने इस प्रकार इस पवित्र स्थान को ही भ्रष्ट कर दिया है।” 29 (उन्होंने ऐसा इसलिये कहा था कि त्रुफिमुस नाम के एक इफिसी को नगर में उन्होंने उसके साथ देखकर ऐसा समझा था कि पौलुस उसे मन्दिर में ले गया है।)

30 सो सारा नगर विरोध में उठ खड़ा हुआ। लोग दौड़-दौड़ कर चढ़ आये और पौलुस को पकड़ लिया। फिर वे उसे घसीटते हुए मन्दिर के बाहर ले गये और तत्काल फाटक बंद कर दिये गये। 31 वे उसे मारने का जतन कर ही रहे थे कि रोमी टुकड़ी के सेनानायक के पास यह सूचना पहुँची कि समुचे यरूशलेम में खलबली मची हुई है। 32 उसने तुरंत कुछ सिपाहियों और सेना के अधिकारियों को अपने साथ लिया और पौलुस पर हमला करने वाले यहूदियों की ओर बढ़ा। यहूदियों ने जब उस सेनानायक और सिपाहियों को देखा तो उन्होंने पौलुस को पीटना बंद कर दिया।

33 तब वह सेनानायक पौलुस के पास आया और उसे बंदी बना लिया। उसने उसे दो ज़ंजीरों में बाँध लेने का आदेश दिया। फिर उसने पूछा कि वह कौन है और उसने क्या किया है? 34 भीड़ में से कुछ लोगों ने एक बात कही तो दूसरों ने दूसरी। इस हो-हुल्लड़ में क्योंकि वह यह नहीं जान पाया कि सच्चाई क्या है, इसलिये उसने आज्ञा दी कि उसे छावनी में ले चला जाये। 35-36 पौलुस जब सीढ़ियों के पास पहुँचा तो भीड़ में फैली हिंसा के कारण सिपाहियों को उसे अपनी सुरक्षा में ले जाना पड़ा। क्योंकि उसके पीछे लोगों की एक बड़ी भीड़ यह चिल्लाते हुए चल रही थी कि इसे मार डालो।

37 जब वह छावनी के भीतर ले जाया जाने वाला ही था कि पौलुस ने सेनानायक से कहा, “क्या मैं तुझसे कुछ कह सकता हूँ?”

सेनानायक बोला, “क्या तू यूनानी बोलता है? 38 तो तू वह मिस्री तो नहीं है न जिसने कुछ समय पहले विद्रोह शुरू कराया था और जो यहाँ रेगिस्तान में चार हज़ार आतंकवादियों की अगुवाई कर रहा था?”

39 पौलुस ने कहा, “मैं सिलिकिया के तरसुस नगर का एक यहूदी व्यक्ति हूँ। और एक प्रसिद्ध नगर का नागरिक हूँ। मैं तुझसे चाहता हूँ कि तू मुझे इन लोगों के बीच बोलने दे।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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