Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
परमेश्वर का पवित्र सन्दूक यरूशलेम लाया गया
6 दाऊद ने फिर इस्राएल के सभी चुने तीस हजार लोगों को इकट्ठा किया। 2 तब दाऊद और उसके सभी लोग यहूदा के बाले[a] में गये और परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को यहूदा के बाले से लेकर उसे यरूशलेम में ले आए। लोग पवित्र सन्दूक के पास यहोवा की उपासना करने के लिये जाते हैं। पवित्र सन्दूक यहोवा के सिंहासन की तरह है। पवित्र सन्दूक के ऊपर करूब की मूर्तियाँ हैं, और यहोवा इन स्वर्गदूतों पर राजा की तरह बैठता है। 3 उन्होंने परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को एक नई गाड़ी में रखा। वे गिबियाह में स्थित अबीनादाब के घर से पवित्र सन्दूक को ले जा रहे थे। उज्जा और अहह्यो नई गाड़ी चला रहे थे।
4 जब वे गिबियाह में अबीनादाब के घर से पवित्र सन्दूक ले जा रहे थे, तब उज्जा परमेश्वर के पवित्र सन्दूक सहित गाड़ी में बैठा था। अहह्यो पवित्र सन्दूक वाली गाड़ी के आगे आगे चल कर संचालन कर रहा था। 5 दाऊद और सभी इस्राएली यहोवा के सामने पूरे उत्साह के साथ नाच और गा रहे थे। ये संगीत वाद्य सनौवर लकड़ी के बने थे। वे वीणा, सितार, ढोल झांझ, और मंजीरा बजा रहे थे।
12 लोगों ने दाऊद से कहा, “यहोवा ने ओबेद—एदोम के परिवार और उसकी सारी चीजों को आशीर्वाद दिया क्योंकि परमेश्वर का पवित्र सन्दूक वहाँ है।” इसलिये दाऊद गया और ओबेद—एदोम के घर से परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को दाऊद नगर से ले आया। दाऊद ने इसे प्रसन्नता से किया। 13 जब यहोवा के पवित्र सन्दूक को ले चलने वाले छः कदम चले तो वे रूक गये और दाऊद ने एक बैल तथा एक मोटे बछड़े की बलि भेंट की। 14 तब दाऊद ने यहोवा के सामने पूरे उत्साह के साथ नृत्य किया। दाऊद ने एपोद पहन रखा था।
15 दाऊद और सभी इस्राएली यहोवा के पवित्र सन्दूक को नगर लाते समय उल्लास से उद्घोष करने और तुरही बजाने लगे। 16 शाऊल की पुत्री मीकल खिड़की से देख रही थी। जब यहोवा का पवित्र सन्दूक नगर में आया तो दाऊद यहोवा के सामने नाच—कूद कर रहा था। मीकल ने यह देखा और वह दाऊद पर गुस्सा हो गई। उसने सोचा कि वह अपने आप को मूर्ख सिद्ध कर रहा है।
17 दाऊद ने पवित्र सन्दूक के लिये एक तम्बू लगाया। इस्राएलियों ने यहोवा के सन्दूक को तम्बू में उसकी जगह पर रखा। तब दाऊद ने होमबलि और मेलबलि यहोवा को चढ़ाई।
18 जब दाऊद ने होमबलि और मेलबलि चढ़ाना पूरा किया तब उसने सर्वशक्तिमान यहोवा के नाम पर लोगों को आशीर्वाद दिया। 19 दाऊद ने रोटी, किशमिश का टुकड़ा, और खजूर की रोटी का हिस्सा इस्राएल के हर एक स्त्री—पुरुष को दिया। तब सभी लोग अपने घर गये।
दाऊद का एक पद।
1 यह धरती और उस पर की सब वस्तुएँ यहोवा की है।
यह जगत और इसके सब व्यक्ति उसी के हैं।
2 यहोवा ने इस धरती को जल पर रचा है।
उसने इसको जल—धारों पर बनाया।
3 यहोवा के पर्वत पर कौन जा सकता है?
कौन यहोवा के पवित्र मन्दिर में खड़ा हो सकता है और आराधना कर सकता है?
4 ऐसा जन जिसने पाप नहीं किया है,
ऐसा जन जिसका मन पवित्र है,
ऐसा जन जिसने मेरे नाम का प्रयोग झूठ को सत्य प्रतीत करने में न किया हो,
और ऐसा जन जिसने न झूठ बोला और न ही झूठे वचन दिए हैं।
बस ऐसे व्यक्ति ही वहाँ आराधना कर सकते हैं।
5 सज्जन तो चाहते हैं यहोवा सब का भला करे।
वे सज्जन परमेश्वर से जो उनका उद्धारक है, नेक चाहते हैं।
6 वे सज्जन परमेश्वर के अनुसरण का जतन करते हैं।
वे याकूब के परमेश्वर के पास सहायता पाने जाते हैं।
7 फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो!
सनातन द्वारों, खुल जाओ!
प्रतापी राजा भीतर आएगा।
8 यह प्रतापी राजा कौन है?
यहोवा ही वह राजा है, वही सबल सैनिक है,
यहोवा ही वह राजा है, वही युद्धनायक है।
9 फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो!
सनातन द्वारों, खुल जाओ!
प्रतापी राजा भीतर आएगा।
10 वह प्रतापी राजा कौन है?
यहोवा सर्वशक्तिमान ही वह राजा है।
वह प्रतापी राजा वही है।
मसीह में स्थितों के लिये आध्यात्मिक आशीषें
3 हमारे प्रभु यीशु मसीह का पिता और परमेश्वर धन्य हो। उसने हमें मसीह के रूप में स्वर्ग के क्षेत्र में हर तरह के आशीर्वाद दिये हैं। 4-5 संसार की रचना से पहले ही परमेश्वर ने हमें, जो मसीह में स्थित हैं, अपने सामने पवित्र और निर्दोष बनने कि लिये चुना। हमारे प्रति उसका जो प्रेम है उसी के कारण उसने यीशु मसीह के द्वारा हमें अपने बेटों के रूप में स्वीकार किये जाने के लिए नियुक्त किया। यही उसकी इच्छा थी और यही प्रयोजन भी था। 6 उसने ऐसा इसलिए किया कि वह अपनी महिमामय अनुग्रह के कारण स्वयं को प्रशंसित करे। उसने इसे हमें, जो उसके प्रिय पुत्र में स्थित हैं मुक्त भाव से प्रदान किया।
7 उसकी बलिदानी मृत्यु के द्वारा अब हम अपने पापों से छुटकारे का आनन्द ले रहे हैं। उसके सम्पन्न अनुग्रह के कारण हमें हमारे पापों की क्षमा मिलती है। अपने उसी प्रेम के अनुसार जिसे वह मसीह के द्वारा हम पर प्रकट करना चाहता था। 8 उसने हमें अपनी इच्छा के रहस्य को बताया है। 9 जैसा कि मसीह के द्वारा वह हमें दिखाना चाहता था। 10 परमेश्वर की यह योजना थी कि उचित समय आने पर स्वर्ग की और पृथ्वी पर की सभी वस्तुओं को मसीह में एकत्र करे।
11 सब बातें योजना और परमेश्वर के निर्णय के अनुसार की जाती हैं। और परमेश्वर ने अपने निजी प्रयोजन के कारण ही हमें उसी मसीह में संत बनने के लिये चुना है। यह उसके अनुसार ही हुआ जिसे परमेश्वर ने अनादिकाल से सुनिश्चित कर रखा था। 12 ताकि हम उसकी महिमा की प्रशंसा के कारण बन सकें। हम, यानी जिन्होंने अपनी सभी आशाएँ मसीह पर केन्द्रित कर दी हैं। 13 जब तुमने उस सत्य का संदेश सुना जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार था, और जिस मसीह पर तुमने विश्वास किया था, तो जिस पवित्र आत्मा का वचन दिया था, मसीह के माध्यम से उसकी छाप परमेश्वर के द्वारा तुम लोगों पर भी लगायी गयी। 14 वह आत्मा हमारे उत्तराधिकार के भाग की जमानत के रूप में उस समय तक के लिये हमें दिया गया है, जब तक कि वह हमें, जो उसके अपने है, पूरी तरह छुटकारा नहीं दे देता। इसके कारण लोग उसकी महिमा की प्रशंसा करेंगे।
हेरोदेस का विचार: यीशु यूहन्ना है
(मत्ती 14:1-12; लूका 9:7-9)
14 राजा हेरोदेस[a] ने इस बारे में सुना; क्योंकि यीशु का यश सब कहीं फैल चुका था। कुछ लोग कह रहे थे, “बपतिस्मा[b] देने वाला यूहन्ना मरे हुओं में से जी उठा है और इसीलिये उसमें अद्भुत शक्तियाँ काम कर रही हैं।”
15 दूसरे कह रहे थे, “वह एलिय्याह[c] है।”
कुछ और कह रहे थे, “यह नबी है या प्राचीनकाल के नबियों जैसा कोई एक।”
16 पर जब हेरोदेस ने यह सुना तो वह बोला, “यूहन्ना जिसका सिर मैंने कटवाया था, वही जी उठा है।”
बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना की हत्या
17 क्योंकि हेरोदेस ने स्वयं ही यूहन्ना को बंदी बनाने और जेल में डालने की आज्ञा दी थी। उसने अपने भाई फिलिप की पत्नी हेरोदियास के कारण, जिससे उसने विवाह कर लिया था, ऐसा किया। 18 क्योंकि यूहन्ना हेरोदेस से कहा करता था, “यह उचित नहीं है कि तुमने अपने भाई की पत्नी से विवाह कर लिया है।” 19 इस पर हेरोदियास उससे बैर रखने लगी थी। वह चाहती थी कि उसे मार डाला जाये पर मार नहीं पाती थी। 20 क्योंकि हेरोदेस यूहन्ना से डरता था। हेरोदेस जानता था कि यूहन्ना एक सच्चा और पवित्र पुरुष है, इसीलिये वह उसकी रक्षा करता था। हेरोदेस जब यूहन्ना की बातें सुनता था तो वह बहुत घबराता था, फिर भी उसे उसकी बातें सुनना बहुत भाता था।
21 संयोग से फिर वह समय आया जब हेरोदेस ने ऊँचे अधिकारियों, सेना के नायकों और गलील के बड़े लोगों को अपने जन्म दिन पर एक जेवनार दी। 22 हेरोदियास की बेटी ने भीतर आकर जो नृत्य किया, उससे उसने जेवनार में आये मेहमानों और हेरोदेस को बहुत प्रसन्न किया।
इस पर राजा हेरोदेस ने लड़की से कहा, “माँग, जो कुछ तुझे चाहिये। मैं तुझे दूँगा।” 23 फिर उसने उससे शपथपूर्वक कहा, “मेरे आधे राज्य तक जो कुछ तू माँगेगी, मैं तुझे दूँगा।”
24 इस पर वह बाहर निकल कर अपनी माँ के पास आई और उससे पूछा, “मुझे क्या माँगना चाहिये?”
फिर माँ ने बताया, “बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना का सिर।”
25 तब वह तत्काल दौड़ कर राजा के पास भीतर आयी और कहा, “मैं चाहती हूँ कि तू मुझे बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना का सिर तुरन्त थाली में रख कर दे।”
26 इस पर राजा बहुत दुखी हुआ, पर अपनी शपथ और अपनी जेवनार के मेहमानों के कारण वह उस लड़की को मना करना नहीं चाहता था। 27 इसलिये राजा ने उसका सिर ले आने की आज्ञा देकर तुरन्त एक जल्लाद भेज दिया। फिर उसने जेल में जाकर उसका सिर काट कर 28 और उसे थाली में रखकर उस लड़की को दिया। और लड़की ने उसे अपनी माँ को दे दिया। 29 जब यूहन्ना के शिष्यों ने इस विषय में सुना तो वे आकर उसका शव ले गये और उसे एक कब्र में रख दिया।
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