Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
यहोवा के दास दाऊद का एक पद: संगीत निर्देशक के लिये। दाऊद ने यह पद उस अवसर पर गाया था जब यहोवा ने शाऊल तथा अन्य शत्रुओं से उसकी रक्षा की थी।
1 उसने कहा, “यहोवा मेरी शक्ति है,
मैं तुझ पर अपनी करुणा दिखाऊँगा!
2 यहोवा मेरी चट्टान, मेरा गढ़, मेरा शरणस्थल है।”
मेरा परमेश्वर मेरी चट्टान है। मैं तेरी शरण मे आया हूँ।
उसकी शक्ति मुझको बचाती है।
यहोवा ऊँचे पहाड़ों पर मेरा शरणस्थल है।
3 यहोवा को जो स्तुति के योग्य है,
मैं पुकारुँगा और मैं अपने शत्रुओं से बचाया जाऊँगा।
4 मेरे शत्रुओं ने मुझे मारने का यत्न किया। मैं चारों ओर मृत्यु की रस्सियों से घिरा हूँ!
मुझ को अधर्म की बाढ़ ने भयभीत कर दिया।
5 मेरे चारों ओर पाताल की रस्सियाँ थी।
और मुझ पर मृत्यु के फँदे थे।
6 मैं घिरा हुआ था और यहोवा को सहायता के लिये पुकारा।
मैंने अपने परमेश्वर को पुकारा।
परमेश्वर पवित्र निज मन्दिर में विराजा।
उसने मेरी पुकार सुनी और सहायता की।
43 मुझे उनसे बचा ले जो मुझसे युद्ध करते हैं।
मुझे उन जातियों का मुखिया बना दे,
जिनको मैं जानता तक नहीं हूँ ताकि वे मेरी सेवा करेंगे।
44 फिर वे लोग मेरी सुनेंगे और मेरे आदेशों को पालेंगे,
अन्य राष्टों के जन मुझसे डरेंगे।
45 वे विदेशी लोग मेरे सामने झुकेंगे क्योंकि वे मुझसे भयभीत होंगे।
वे भय से काँपते हुए अपने छिपे स्थानों से बाहर निकल आयेंगे।
46 यहोवा सजीव है!
मैं अपनी चट्टान के यश गीत गाता हूँ।
मेरा महान परमेश्वर मेरी रक्षा करता है।
47 धन्य है, मेरा पलटा लेने वाला परमेश्वर
जिसने देश—देश के लोगों को मेरे बस में कर दिया है।
48 यहोवा, तूने मुझे शत्रुओं से छुड़ाया है।
तूने मेरी सहायता की ताकि मैं उन लोगों को हरा सकूँ जो मेरे विरुद्ध खड़े हुए।
तूने मुझे कठोर व्यक्तियों से बचाया है।
49 हे यहोवा, इसी कारण मैं देशों के बीच तेरी स्तुति करता हूँ।
इसी कारण मैं तेरे नाम का भजन गाता हूँ।
50 यहोवा अपने राजा की सहायता बहुत से युद्धों को जीतने में करता है!
वह अपना सच्चा प्रेम, अपने चुने हुए राजा पर दिखाता है।
वह दाऊद और उसके वंशजों के लिये सदा विश्वास योग्य रहेगा!
शाऊल की मृत्यु
31 पलिश्ती इस्राएल के विरुद्ध लड़े, और इस्राएली पलिश्तियों के सामने से भाग खड़े हुए। बहुत से इस्राएली गिलबो पर्वत पर मारे गये। 2 पलिश्ती शाऊल और उसके पुत्रों से बड़ी वीरता से लड़े। पलिश्तियों ने शाऊल के पुत्रों योनातान, अबीनादाब और मल्कीश को मार डाला।
3 युद्ध शाऊल के विरुद्ध बहुत बुरा रहा। धनुर्धारियों ने शाऊल पर बाण बरसाये और शाऊल बुरी तरह घायल हो गया। 4 शाऊल ने अपने उस नौकर से, जो कवच ले कर चल रहा था, कहा, “अपनी तलवार निकालो और मुझे मार डालो। तब वे विदेशी मुझे चोट पहुँचाने और मेरा मजाक उड़ाने नहीं आएंगे।” किन्तु शाऊल के कवचवाहक ने ऐसा करना अस्वीकार कर दिया। शाऊल का सहायक बहुत भयभित था। इसलिये शाऊल ने अपनी तलवार ली और अपने को मार डाला।
5 कवचवाहक ने देखा कि शाऊल मर गया। इसलिये उसने भी अपनी तलवार से अपने को मार डाला। वह वहीं शाऊल के साथ मर गया। 6 इस प्रकार शाऊल, उसके तीन पुत्र और उसका कवचवाहक सभी एक साथ उस दिन मरे।
पलिश्ती शाऊल की मृत्यु से प्रसन्न हैं
7 इस्राएलियों ने जो घाटी की दूसरी ओर रहते थे, देखा, कि इस्राएली सेना भाग रही थी। उन्होंने देखा कि शाऊल और उसके पुत्र मर गए हैं। इसलिये उन इस्राएलियों ने अपने नगर छोड़े और भाग निकले। तब पलिश्ती आए और उन्होंने उन नगरों को ले लिया।
8 अगले दिन, पलिश्ती शवों से चीज़ें लेने आए। उन्होंने शाऊल और उसके तीनों पुत्रों को गिलबो पर्वत पर मरा पाया। 9 पलिश्तियों ने शाऊल का सिर काट लिया और उसका कवच ले लिया। वे इस समाचार को पलिश्ती लोगों और अपनी देवमूर्तियों के पूजास्थल तक ले गये। 10 उन्होंने शाऊल के कवच को आश्तोरेत के पूजास्थल में रखा। पलिश्तियों ने शाऊल का शव बेतशान की दीवार पर लटका दिया।
11 याबेश गिलाद के लोगों ने उन सभी कारनामों को सुना जो पलिश्तियों ने शाऊल के साथ किये। 12 इसलिये याबेश के सभी सैनिक बेतशान पहुँचे। वे सारी रात चलते रहे! तब उन्होंने शाऊल के शव को बेतशान की दीवार से उतारा। उन्होंने शाऊल के पुत्रों के शवों को भी उतारा। तब वे इन शवों को याबेश ले आए। वहाँ याबेश के लोगों ने शाऊल और उसके तीनों पुत्रों के शवों को जलाया। 13 तब इन लोगों ने शाऊल और उसके पुत्रों की अस्थियाँ लीं और याबेश में पेड़ के नीचे दफनायीं। तब याबेश के लोगों ने शोक मनाया। याबेश के लोगों ने सात दिन तक खाना नहीं खाया।
साथियों की मदद करो
9 अब संतों की सेवा के विषय में, तुम्हें इस प्रकार लिखते चले जाना मेरे लिये आवश्यक नहीं है। 2 क्योंकि सहायता के लिये तुम्हारी तत्परता को मैं जानता हूँ और उसके लिये मकिदुनिया निवासियों के सामने यह कहते हुए मुझे गर्व है कि अखाया के लोग तो, पिछले साल से ही तैयार हैं और तुम्हारे उत्साह ने उन में से अधिकतर को कार्य के लिये प्रेरणा दी है। 3 किन्तु मैं भाइयों को तुम्हारे पास इसलिए भेज रहा हूँ कि तुम को लेकर हम जो गर्व करते हैं, वह इस बारे में व्यर्थ सिद्ध न हो। और इसलिए भी कि तुम तैयार रहो, जैसा कि मैं कहता आया हूँ। 4 नहीं तो जब कोई मकिदुनिया वासी मेरे साथ तुम्हारे पास आयेगा और तुम्हें तैयार नहीं पायेगा तो हम उस विश्वास के कारण जिसे हमने तुम्हारे प्रति दर्शाया है, लज्जित होंगे। और तुम तो और भी अधिक लज्जित होगे। 5 इसलिए मैंने भाईयों से यह कहना आवश्यक समझा कि वे हमसे पहले ही तुम्हारे पास जायें और जिन उपहारों को देने का तुम पहले ही वचन दे चुके हो उन्हें पहले ही से उदारतापूर्वक तैयार रखें। इसलिए यह दान स्वेच्छापूर्वक तैयार रखा जाये न कि दबाव के साथ तुमसे छीनी गयी किसी वस्तु के रूप में।
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