Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
महलत क राग पइ संगीत निर्देसक बरे दाऊद क एक ठु मस्किल।
1 मूरख ही सोचत ह कि परमेस्सर नाहीं होत ह।
इ तरह क लोग विनासकारी, भ्रस्ट, कुटिल होत हीं।
उ पचे तउ कउनो नीक काम नाहीं करतेन।
2 परमेस्सर अकासे मँ स नीचे सबइ लोगन क लखेस।
इ लखत ह कि का हिआँ स
कउनो बुद्धिमान मनई ओका हेरत रहत रहा?
3 मुला सबहिं लोग परमेस्सर स भटक गवा अहेन।
हर मनई बुरा अहइ।
कउनो भी मनई कउनो नीक करम नाहीं करत,
एक ठु भी नाहीं।
4 परमेस्सर कहत ह, “निहचय ही उ सबइ दुट्ठ लोग सत्य क जानत हीं।
उ सबइ दुट्ठ लोग मोरे मनवइयन क अइसे बरबाद करइ क तइयार अहइँ,
जइसे उ सबइ निज खइया क खाइ क तइयार रहत हीं”
5 मुला उ सबइ दुट्ठ लोग ऍतना डेराइ जइहीं,
जेतँना उ सबइ दुट्ठ लोग पहिले कबहुँ डेरानेन नाहीं।
एह बरे परमेस्सर इस्राएल क ओन दुट्ठ दुस्मन लोगन क तजेस ह।
परमेस्सर क मनवइयन ओनका हरइहीं
अउर परमेस्सर ओन दुट्ठन क हड्डियन क छितराइ देइ।
6 कउनो एक सिय्योन पर्वत स इस्राएल क बचाइ!
जब परमेस्सर आपन लोगन क स्थिति पुन:
स्थापित करी, याकूब क लोग खुस होइहीं।
हाँ इस्राएल बहोत खुस होइ।
24 तबहिं साऊल समूएल स कहेस, “मइँ पाप किहेउँ ह। मइँ यहोवा क हुकुम क नाहीं मानेउँ ह अउर मइँ उ नाहीं किहेउँ ह जउन तू करइ बरे कहया ह। मइँ मनइयन स डेरात हउँ ऍह बरे मइँ उहइ किहेउ जउन उ सबइ कहेन। 25 अब मइँ पराथना करत हउँ कि मोरे पाप क छिमा करा। मोरे संग लौटि आवा जेहसे मइँ यहोवा क आराधना कइ सकउँ।”
26 मुला समूएल साऊल स कहेस, “मइँ तोहरे संग न लउटब। तू पचे यहोवा क हुकुम क नाहीं मान्या ह अउर अब यहोवा तोहका इस्राएल क राजा क रुप मँ नकारत बाटइ।”
27 जब समूएल ओका बिदा करइ बरे मुड़ि गवा, साऊल समूएल क लबादे क धइ लिहेस। लबादा फाटि गवा। 28 समूएल साऊल स कहेस, “तू मोरे लबादा का फारि डाया ह। इहइ तरह यहोवा आज इस्राएल क राज्ज क तोहसे फारि डाएस ह। यहोवा राज्ज क तोहरे मीतन मँ स एक क दइ दिहेस ह। उ मनई तोहसे नीक बाटइ। 29 यहोवा इस्राएल क परमेस्सर अहइ। यहोवा हमेसा रहत ह। यहोवा लबार बोलत नाहीं अउर न ही आपन इरादा बदल देत ह। यहोवा मनइयन क नाई नाहीं जउन आपन पक्का बिचार बगदाइ देत ह।”
30 साऊल जवाब दिहेस ह, “ठीक बा, मइँ पाप किहेउँ ह। मुला कृपा कइके मोरे संग लउटा। इस्राएल क मनइयन अउ नेता लोगन क समन्वा कछू मान द्या। मोरे संग लउटि आवा जेहसे मइँ तोहरे यहोवा परमेस्सर क आराधना कइ सकउँ।” 31 समूएल साऊल क संग लउटि गवा अउ साऊल यहोवा क आराधना किहेस।
दुइ किसिम क फर
(मत्ती 7:17-20; 12:34b-35)
43 “कउनो भी अइसा उत्तिम बृच्छ नाहीं अहइ जेह पइ बुरा फर लागत होइ। न ही कउनो अइसा बुरा बृच्छ बाटइ, जेइ पइ उत्तिम फर आवति होइ। 44 हर बृच्छ आपन फर स पहिचाना जात ह। मनइयन कँटेहरी झारी स अंजीर नाहीं बटोरतेन। न ही कउनो झरबेली स मनई अंगूर बटोरत हीं। 45 एक नीक मनई क मन मँ अच्छाइ क भंडार बाटइ। अउर एक खोटा मनई, जउ ओकरे मने मँ बुराई बाटइ, उहइ स बुराई पइदा करत ह। काहेकि एक मनई मुँहना स उहइ बोलत ह, जउन ओकरे हिरदइ मँ उफनाइ के बाहेर आवत ह।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.