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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 53

महलत राग पर संगीत निर्देशक के लिए दाऊद का एक भक्ति गीत।

बस एक मूर्ख ही ऐसे सोचता है कि परमेश्वर नहीं होता।
    ऐसे मनुष्य भ्रष्ट, दुष्ट, द्वेषपूर्ण होते हैं।
    वे कोई अच्छा काम नहीं करते।
सचमुच, आकाश में एक ऐसा परमेश्वर है जो हमें देखता और झाँकता रहता है।
    यह देखने को कि क्या यहाँ पर कोई विवेकपूर्ण व्यक्ति
    और विवेकपूर्ण जन परमेश्वर को खोजते रहते हैं?
किन्तु सभी लोग परमेश्वर से भटके हैं।
    हर व्यक्ति बुरा है।
कोई भी व्यक्ति कोई अच्छा कर्म नहीं करता,
    एक भी नहीं।

परमेश्वर कहता है, “निश्चय ही, वे दुष्ट सत्य को जानते हैं।
    किन्तु वे मेरी प्रार्थना नहीं करते।
    वे दुष्ट लोग मेरे भक्तों को ऐसे नष्ट करने को तत्पर हैं, जैसे वे निज खाना खाने को तत्पर रहते हैं।”

किन्तु वे दुष्ट लोग इतने भयभीत होंगे,
    जितने वे दुष्ट लोग पहले कभी भयभीत नहीं हुए!
इसलिए परमेश्वर ने इस्राएल के उन दुष्ट शत्रु लोगों को त्यागा है।
    परमेश्वर के भक्त उनको हरायेंगे
और परमेश्वर उन दुष्टो की हड्डियों को बिखेर देगा।

इस्राएल को, सिय्योन में कौन विजयी बनायेगा? हाँ,
    परमेश्वर उनकी विजय को पाने में सहायता करेगा।
परमेश्वर अपने लोगों को बन्धुआई से वापस लायेगा,
    याकूब आनन्द मनायेगा।
    इस्राएल अति प्रसन्न होगा।

1 शमूएल 15:10-23

शमूएल का शाऊल को उसके पाप के बारे में बताना

10 शमूएल को यहोवा का सन्देश आया। 11 यहोवा ने कहा, “शाऊल ने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया है। इसलिए मुझे इसका अफसोस है कि मैंने उसे राजा बनाया। वह उन कामों को नहीं कर रहा है जिन्हें करने का आदेश मैं उसे देता हूँ।” शमूएल भड़क उठा और फिर उसने रात भर यहोवा की प्रार्थना की।

12 शमूएल अगले सवेरे उठा और शाऊल से मिलने गया। किन्तु लोगों ने बताया, “शाऊल यहूदा में कर्मेल नामक नगर को गया है। शाऊल वहाँ अपने सम्मान में एक पत्थर की यादगार बनाने गया था। तब शाऊल ने कई स्थानों की यात्रा की और अन्त में गिलगाल को चला गया।”

इसलिये शमूएल वहाँ गया जहाँ शाऊल था। शाऊल ने अमालेकियों से ली गई चीज़ों का पहला भाग ही भेंट में चढ़ाया था। शाऊल उन्हें होम बलि के रूप में यहोवा को भेंट चढ़ा रहा था। 13 शमूएल शाऊल के पास पुहँचा। शाऊल ने कहा, स्वागत, “यहोवा आपको आशीर्वाद दे! मैंने यहोवा के आदेशों का पालन किया है।”

14 किन्तु शमूएल ने कहा, “तो मैं ये आवाजें क्या सुन रहा हूँ? मैं भेड़ और पशुओं की आवाज क्यों सुन रहा हूँ?”

15 शाऊल ने उत्तर दिया, “सैनिकों ने उन्हें अमालेकियों से लिया। सैनिकों ने सर्वोत्तम भेड़ों और पशुओं को तुम्हारे परमेश्वर यहोवा को बलि के रूप में जलाने के लिए बचा लिया है। किन्तु हम लोगों ने अन्य सभी चीज़ों को नष्ट कर दिया है।”

16 शमूएल ने शाऊल से कहा, “रुको! मुझे तुमसे वही कहने दो जिसे पिछली रात यहोवा ने मुझसे कहा है।”

शाऊल ने उत्तर दिया, “मुझे बताओ।”

17 शमूएल ने कहा, “बीते समय में, तुमने यही सोचा था की तुम महत्वपूर्ण नहीं हो। किन्तु तब भी तुम इस्राएल के परिवार समूहों के प्रमुख बन गए। यहोवा ने तुम्हें इस्राएल का राजा चुना। 18 यहोवा ने तुम्हें एक विशेष सेवाकार्य के लिये भेजा। यहोवा ने कहा, ‘जाओ और उन सभी बुरे अमालेकियों को नष्ट करो! उनसे तब तक लड़ते रहो जब तक वे नष्ट न हो जायें!’ 19 किन्तु तुमने यहोवा की नहीं सुनी। तुम उन चीज़ों को रखना चाहते थे। इसलिये तुमने वह किया जिसे यहोवा ने बुरा कहा!”

20 शाऊल ने कहा, “किन्तु मैंने तो यहोवा की आज्ञा का पालन किया। मैं वहाँ गया जहाँ यहोवा ने मुझे भेजा। मैंने सभी अमालेकियों को नष्ट किया। मैं केवल उनके राजा अगाग को वापस लाया। 21 सैनिकों ने सर्वोतम भेड़ें और पशु गिलगाल में तुम्हारे परमेश्वर यहोवा को बलि देने के लिये चुने।”

22 किन्तु शमूएल ने उत्तर दिया, “यहोवा को इन दो में से कौन अधिक प्रसन्न करता है: होमबलियाँ और बलियाँ या यहोवा की आज्ञा का पालन करना? यह अधिक अच्छा है कि परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया जाये इसकी अपेक्षा कि उसे बलि भेंट की जाये। यह अधिक अच्छा है कि परमेश्वर की बातें सुनी जायें इसकी अपेक्षा कि मेढ़ों से चर्बी—भेंट की जाये। 23 आज्ञा के पालन से इनकार करना जादूगरी करने के पाप जैसा है। हठी होना और मनमानी करना मूर्तियों की पूजा करने जैसा पाप है। तुमने यहोवा की आज्ञा मानने से इन्कार किया। इसी करण यहोवा अब तुम्हें राजा के रूप में स्वीकार करने से इन्कार करता है।”

प्रकाशित वाक्य 21:22-22:5

22 नगर में मुझे कोई मन्दिर दिखाई नहीं दिया। क्योंकि सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर और मेमना ही उसके मन्दिर थे। 23 उस नगर को किसी सूर्य या चन्द्रमा की कोई आवश्यकता नहीं है कि वे उसे प्रकाश दें, क्योंकि वह तो परमेश्वर के तेज से आलोकित था। और मेमना ही उस नगर का दीपक है।

24 सभी जातियों के लोग इसी दीपक के प्रकाश के सहारे आगे बढ़ेंगे। और इस धरती के राजा अपनी भव्यता को इस नगर में लायेंगे। 25 दिन के समय इसके द्वार कभी बंद नहीं होंगे और वहाँ रात तो कभी होगी ही नहीं। 26 जातियों के कोष और धन सम्पत्ति को उस नगर में लाया जायेगा। 27 कोई अपवित्र वस्तु तो उसमें प्रवेश तक नहीं कर पायेगी और न ही लज्जापूर्ण कार्य करने वाले और झूठ बोलने वाले उसमें प्रवेश कर पाएँगे उस नगरी में तो प्रवेश बस उन्हीं को मिलेगा जिनके नाम मेमने की जीवन की पुस्तक में लिखे हैं।

22 इसके पश्चात् उस स्वर्गदूत ने मुझे जीवन देने वाले जल की एक नदी दिखाई। वह नदी स्फटिक की तरह उज्ज्वल थी। वह परमेश्वर और मेमने के सिंहासन से निकलती हुई नगर की गलियों के बीच से होती हुई बह रही थी। नदी के दोनों तटों पर जीवन वृक्ष उगे थे। उन पर हर साल बारह फसलें लगा करतीं थीं। इसके प्रत्येक वृक्ष पर प्रतिमास एक फसल लगती थी तथा इन वृक्षों की पत्तियाँ अनेक जातियों को निरोग करने के लिए थीं।

वहाँ किसी प्रकार का कोई अभिशाप नहीं होगा। परमेश्वर और मेमने का सिंहासन वहाँ बना रहेगा। तथा उसके सेवक उसकी उपासना करेंगे तथा उसका नाम उनके माथों पर अंकित रहेगा। वहाँ कभी रात नहीं होगी और न ही उन्हें सूर्य के अथवा दीपक के प्रकाश की कोई आवश्यकता रहेगी। क्योंकि उन पर प्रभु परमेश्वर अपना प्रकाश डालेगा और वे सदा सदा शासन करेंगे।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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