Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
1 मइँ यहोवा क धन्यवाद देत हउँ, काहेकि उ नीक अहइ।
ओकर पिरेम सदा ही रहत ह।
2 इस्राएल इ कहइ द्या,
“ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही रहत ह।”
19 सच्चाई क दुआरन क खोला,
ताकि मइँ भीतर आइ पाउँ अउर यहोवा क आराधना करउँ।
20 यहोवा क मौजूदगी मँ जाइ क दुआर हिआँ अहइ।
बस सिरिफ धर्मी लोग ही ओन दुआरन स होइके जाइ सकत हीं।
21 हे यहोवा, मोर पराथना क जवाब देइ बरे
अउर मोका रच्छा करइ बरे तोहका धन्यवाद देत अहउँ।
22 जउन पाथार क राज मिस्त्रियन नकार दिहे रहेन
उहइ पाथर क प्रयोग कोना क पाथर क रूप मँ कीन्ह गवा।
23 यहोवा इ घटना क होइ दिहस।
अउर हम सबइ एहमाँ अद्भूत महसूस कीन्ह।
24 इ उहइ दिना अहइ जेका यहोवा बनाएस ह।
आवा हम खुसी क अनुभव करी अउर आजु आनन्दित होइ जाइ।
25 लोग कहेन, “हे यहोवा, हम पचन क बचाव करा,
हे यहोवा हमार रच्छा करा।
26 उ मनई धन्न होइ जउन यहोवा क नाउँ मँ आवत अहइ।”
“मइँ यहोवा क घर मँ तोहार स्तुति करित हउँ।
27 यहोवा परमेस्सर अहइ।
उ आपन प्रकास स हम पचन क छाया दिहेस ह।
वेदी क कोनन पइ भेंट क मेमना क बाँधा।”
28 हे यहोवा, तू हमार परमेस्सर अहा, अउर मइँ तोहार धन्यवाद करत हउँ।
मइँ तोहार गुण गावत हउँ, हे मोर परमेस्सर।
29 यहोवा क बड़कई करा काहेकि उ उत्तिम अहइ।
ओकर सच्ची करुणा सदा-सदा बनी रहत ह।
10 “तू लोग इ करत रह्या ह, ‘हमार देस सूनी रेगिस्तान, अहइ। हुआँ कउनो मनई या कउनो जनावर जिअत नाहीं रहेन।’ अब यरूसलेम क सड़कियन अउर यहूदा क नगरन मँ निर्जन सान्ति अहइ। किन्तु हुआँ हाली ही चहल-पहल होइ। 11 हुआँ सुख अउर आनन्द क किलोलन होइहीं। हुआँ दुल्हा-दुलहिन क उमँग भरी चहल होइ। हुआँ यहोवा क मन्दिर मँ आपन भेंट लिआवइवालन क मधुर वाणी होइ। उ पचे कहिहीं, ‘सर्वसक्तिमान यहोवा क स्तुति करा। यहोवा दयालु अहइ। यहोवा क दाया सदा बनी रहत ह।’ लोग इ सबइ बातन कहिहीं काहेकि मइँ फुन यहूदा बरे नीक काक करब। इ वइसा ही होइ जइसा सुरू मँ रहा।” यहोवा कहत ह।
12 सर्वसक्तिमान यहोवा कहत ह, “इ ठउर अब सुना अहइ। हिआँ कउनो लोग या जनावर नाहीं रहि रहेन। किन्तु अब यहूदा क सबहिं नगरन मँ लोग रहिहीं। हुआँ गड़रियन होइहीं अउर चरागाहन होइहीं जहाँ उ पचे आपन खरकन क आराम करइ देइहीं। 13 गड़रियन आपन भेड़िन क तब गनत हीं जब भेड़िन ओनके अगवा चलत हीं। लोग आपन भेड़िन क पूरे देस मँ चारिहुँ कइँती पहाड़ी प्रदेस, पच्छिमी पर्वत चरण, नेगव अउर यहूदा क सबहिं नगरन मँ गिनिहीं।”
अच्छी साखा
14 इ सँदेसा यहोवा क अहइ: “मइँ इस्राएल अउर यहूदा क लोगन क बिसेस बचन दिहेउँ ह। उ समइ आवति बाटइ जब मइँ उ करब जेका करइ क बचन मइँ दिहेउँ ह। 15 उ समइ मइँ दाऊद क परिवारे स एक ठु नीक ‘साखा’ पइदा करब। उ नीक साखा उ सब करी जउन देस बरे अच्छा अउर उचित होइ। 16 इ साखा क समइ यहूदा क लोगन क रच्छा होइ जाई। लोग यरूसलेम मँ सुरच्छित रहिहीं। उ साखा क नाउँ ‘यहोवा हमार धार्मिकता अहइ।’”
ईसू आपन मउत क भविस्सबाणी किहेस
(मत्ती 20:17-19; लूका 18:31-34)
32 फिन उ सबइ यरूसलेम जात जात रस्ता मँ रहेन, ओनमें ईसू सबते आगे चलत जात रहा। उ सबइ खुबइ अचिरजे मँ डेरानेन। जउन पाछे रहेन, उ पचे ससान रहेन। ईसू बारहु प्रेरितन क एक कइँती लइ गवा अउर ओनका बतावइ लाग कि ओकरे संग का घटइवाला अहइ। 33 “सुन, हम पचे यरूसलेम जात अही, अउर मनई क पूत क दुराव स मुख्ययाजकन अउर धरम सास्तिरियन पकड़वाइ के दइ देइहीं। अउर उ सबइ ओका मउत क सजा देइके गैर यहूदी क दइ देइहीं। 34 जउन ओकर हँसी करिहीं अउर उ पचे ओह पइ थुकिहीं। उ सबइ ओका कोड़ा स पिटहीं अउर मारि डइहीं। तीन दिना क पाछे उ जी जाई।”
आँधर क आँखिन
(मत्ती 20:29-34; लूका 18:35-43)
46 फिन उ सबइ यरीहो आएन अउर जब ईसू एक भारी भीर क संग आपन चेलन क लइके यरीहो जात रहा तउ तिमाई क बेटवा बरतिमाई नाउँ क एक ठो आँधर भिखमंगा सरक क किनारे बइठा रहा। 47 जब उ सुनेस कि नासरत क ईसू अहइ, उ चिचिआइ क कहइ लाग, “ईसू, दाऊद क पूत! मो पर दाया कर!”
48 अउर बहोत मिला ओका डाटेन अउर ओका चुप रहइ क कहेन। तब ओकर अवाज ऊँच स ऊँच होत गइ, “दाऊद क पूत! मो प दाया कर!”
49 तउ ईसू रुका अउ कहेस, “ओका मोरे लगे बोलॉवा।”
एह पइ उ सबइ आँधर क बोलाएन अउर ओसे कहेन, “मनवा क मजबूत करा खरा ह्वा। ईसू तोहका बोलावत ह।” 50 उ आँधर आपन लबादा फेंकि दिहस अउर उछरि पड़ा अउर फिन ईसू क लगे गवा।
51 तब ईसू ओसे कहेस, “तू मोसे आपन बरे का करवावइ चाहत ह?”
आँधर ओसे कहेस, “हे गुरु, मइँ पुनि देखइ चाहत हउँ।”
52 तउ ईसू ओनसे कहेस, “जा। तोहरे बिसवास स तोहार उद्धार भवा।” अउर उ फउरन देखइ लायक होइ सका। फिन उ ईसू का पाछे सरक प होइ गवा।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.