Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
आसाप का एक स्तुति गीत।
1 हे परमेश्वर, तू मौन मत रह!
अपने कानों को बंद मत कर!
हे परमेश्वर, कृपा करके कुछ बोल।
2 हे परमेश्वर, तेरे शत्रु तेरे विरोध में कुचक्र रच रहे हैं।
तेरे शत्रु शीघ्र ही वार करेंगे।
3 वे तेरे भक्तों के विरूद्ध षड़यन्त्र रचते हैं।
तेरे शत्रु उन लोगों के विरोध में जो तुझको प्यारे हैं योजनाएँ बना रहे हैं।
4 वे शत्रु कह रहे हैं, “आओ, हम उन लोगों को पूरी तरह मिटा डाले,
फिर कोई भी व्यक्ति ‘इस्राएल’ का नाम याद नहीं करेगा।”
9 हे परमेश्वर, तू शत्रु वैसे हरा
जैसे तूने मिद्यानी लोगों, सिसरा, याबीन को किशोन नदी के पास हराया।
10 तूने उन्हें एन्दोर में हराया।
उनकी लाशें धरती पर पड़ी सड़ती रहीं।
17 हे परमेश्वर, उन लोगों को भयभीत कर दे
और सदा के लिये अपमानित करके उन्हें नष्ट कर दे।
18 वे लोग तभी जानेंगे कि तू परमेश्वर है।
तभी वे जानेंगे तेरा नाम यहोवा है।
तभी वे जानेंगे
तू ही सारे जगत का परम परमेश्वर है!
हामान को प्राणदण्ड
7 फिर राजा और हामान महारानी एस्तेर के साथ भोजन करने के लिये चले गये। 2 इसके बाद जब वे दूसरे दिन के भोज में दाखमधु पी रहे थे तो राजा ने एस्तेर से फिर एक प्रश्न किया, “महारानी एस्तेर, तुम मुझ से क्या माँगना चाहती हो? जो कुछ तुम मांगोगी, पाओगी। बताओ तुम्हें क्या चाहिए? मैं तुम्हें कुछ भी दे सकता हूँ। यहाँ तक कि मेरा आधा राज्य भी।”
3 इस पर महारानी एस्तेर ने जवाब दिया, “हे महाराज! यदि मैं तुम्हें भाती तुम्हारी कृपा पात्र हूँ और यदि यह तुम्हें अच्छा लगता हो तो कृपा करके मुझे जीने दीजिये और मैं तुमसे यह चाहती हूँ कि मेरे लोगों को भी जीने दीजिये! बस मैं यही माँगती हूँ। 4 ऐसा मैं इसलिये चाहती हूँ कि मुझे और मेरे लोगों को विनाश, हत्या और पूरी तरह से नष्ट कर डालने के लिए बेच डाला गया है। यदि हमें दासों के रूप में बेचा जाता, तो मैं कुछ नहीं कहती क्योंकि वह कोई इतनी बड़ी समस्या नहीं होती जिसके लिये राजा को कष्ट दिया जाता।”
5 इस पर महाराजा क्षयर्ष ने महारानी एस्तेर से पूछा, “तुम्हारे साथ ऐसा किसने किया कहाँ है? वह व्यक्ति जिसने तुम्हारे लोगों के साथ ऐसा व्यवहार करने की हिम्मत की?”
6 एस्तेर ने कहा, “हमारा विरोधी और हमारा शत्रु यह दुष्ट हामान ही है।”
तब हामान राजा और रानी के सामने आतंकित हो उठा। 7 राजा बहुत क्रोधित था। वह खड़ा हुआ। उसने अपना दाखमधु वहीं छोड़ दिया और बाहर बगीचे में चला गया। किन्तु हामान, रानी एस्तेर से अपने प्राणों की भीख माँगने के लिये भीतर ही ठहरा रहा। हामान यह जानता था कि राजा ने उसके प्राण लेने का निश्चय कर लिया है। इसलिये वह अपने प्राणों की भीख माँगता रहा। 8 राजा जैसे ही बगीचे से भोज के कमरे की ओर वापस आ रहा था, तो वह क्या देखता है कि जिस बिछौने पर एस्तेर लेटी है, उस पर हामान झुका हुआ है। राजा ने क्रोध भरे स्वर में कहा, “अरे, क्या तू महल में मेरे रहते हुए ही महारानी पर आक्रमण करेगा?”
जैसे ही राजा के मुख से ये शब्द निकले, राजा के सेवकों ने भीतर आ कर हामान का मुँह ढक दिया। 9 राजा के एक खोजे सेवक ने जिसका नाम हर्बोना था, कहा, “हामान के घर के पास पचहत्तर फुट लम्बा फाँसी देने का एक खम्भा बनाया गया है। हामान ने यह खम्भा मोर्दकै को फाँसी पर चढ़ाने के लिये बनाया था। मोर्दकै वही व्यक्ति है जिसने तुम्हारी हत्या के षड़यन्त्र को बताकर तुम्हारी सहायता की थी।”
राजा बोला, “उस खम्भे पर हामान को लटका दिया जाये!”
10 सो उन्होंने उसी खम्भे पर जिसे उसने मोर्दकै के लिए बनाया था हामान को लटका दिया। इसके बाद राजा ने क्रोध करना छोड़ दिया।
अच्छे सेवक और बुरे सेवक
(लूका 12:41-48)
45 “तब सोचो वह भरोसेमंद सेवक कौन है, जिसे स्वामी ने अपने घर के सेवकों के ऊपर उचित समय उन्हें उनका भोजन देने के लिए लगाया है। 46 धन्य है वह सेवक जिसे उसका स्वामी जब आता है तो कर्तव्य करते पाता है। 47 मैं तुमसे सत्य कहता हूँ वह स्वामी उसे अपनी समूची सम्पत्ति का अधिकारी बना देगा।
48 “दूसरी तरफ़ सोचो एक बुरा दास है, जो अपने मन में कहता है मेरा स्वामी बहुत दिनों से वापस नहीं आ रहा है। 49 सो वह अपने साथी दासों से मार पीट करने लगता है और शराबियों के साथ खाना पीना शुरु कर देता है। 50 तो उसका स्वामी ऐसे दिन आ जायेगा जिस दिन वह उसके आने की सोचता तक नहीं और जिसका उसे पता तक नहीं। 51 और उसका स्वामी उसे बुरी तरह दण्ड देगा और कपटियों के बीच उसका स्थान निश्चित करेगा जहाँ बस लोग रोते होंगे और दाँत पीसते होंगे।
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