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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 78:1-7

आसाप का एक गीत।

मेरे भक्तों, तुम मेरे उपदेशों को सुनो।
    उन बातों पर कान दो जिन्हें मैं बताना हूँ।
मैं तुम्हें यह कथा सुनाऊँगा।
    मैं तुम्हें पुरानी कथा सुनाऊँगा।
हमने यह कहानी सुनी है, और इसे भली भाँति जानते हैं।
    यह कहानी हमारे पूर्वजों ने कही।
इस कहानी को हम नहीं भूलेंगे।
    हमारे लोग इस कथा को अगली पीढ़ी को सुनाते रहेंगे।
हम सभी यहोवा के गुण गायेंगे।
    हम उन के अद्भुत कर्मो का जिनको उसने किया है बखान करेंगे।
यहोवा ने याकूब से वाचा किया।
    परमेश्वर ने इस्राएल को व्यवस्था का विधान दिया,
    और परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को आदेश दिया।
    उसने हमारे पूर्वजों को व्यवस्था का विधान अपने संतानों को सिखाने को कहा।
इस तरह लोग व्यवस्था के विधान को जानेंगे। यहाँ तक कि अन्तिम पीढ़ी तक इसे जानेगी।
    नयी पीढ़ी जन्म लेगी और पल भर में बढ़ कर बड़े होंगे, और फिर वे इस कहानी को अपनी संतानों को सुनायेंगे।
अत: वे सभी लोग यहोवा पर भरोसा करेंगे।
    वे उन शाक्तिपूर्ण कामों को नहीं भूलेंगे जिनको परमेश्वर ने किया था।
    वे ध्यान से रखवाली करेंगे और परमेश्वर के आदेशों का अनुसरण करेंगे।

यहोशू 8:30-35

आशीर्वादों तथा अभिशापों का पढ़ा जाना

30 तब यहोशू ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिए एक वेदी बनाई। उसने यह वेदी एबाल पर्वत पर बनायी। 31 यहोवा के सेवक मूसा ने इस्राएल के लोगों को बताया था कि वेदियाँ कैसे बनाई जायें। इसलिए याहोशू ने वेदी को वैसे ही बनाया जैसा मूसा के व्यवस्था की किताब में समझाया गया था। वेदी बिना कटे पत्थरों से बनी थी। उन पत्थरों पर कभी किसी औजार का उपयोग नहीं हुआ था। उन्होंने उस वेदी पर यहोवा को होमबलि और मेलबलि चढ़ाई।

32 उस स्थान पर यहोशू ने मूसा के नियमों को पत्थरों पर लिखा। उसने यह इस्राएल के सभी लोगों के देखने के लिये किया। 33 अग्रज (नेता), अधिकारी, न्यायाधीश और इस्राएल के सभी लोग पवित्र सन्दूक के चारों ओर खड़े थे। वे उन लेवीवंशी याजकों के सामने खड़े थे, जो यहोवा के साक्षीपत्र के पवित्र सन्दूक को ले चलते थे। इस्राएली और गैर इस्राएली सभी लोग वहाँ खड़े थे। आधे लोग एबाल पर्वत के सामने खड़े थे और अन्य आधे लोग गिरिज्जीम पर्वत के सामने खड़े थे। यहोवा के सेवक मूसा ने उनसे ऐसा करने को कहा था। मूसा ने उनसे ऐसा करने को इस आशीर्वाद के लिए कहा था।

34 तब यहोशू ने व्यवस्था के सब वचनों को पढ़ा। यहोशू ने आशीर्वाद और अभिशाप पढ़े। उसने सभी कुछ उस तरह पढ़ा, जिस तरह वह व्यवस्था की किताब में लिखा था। 35 इस्राएल के सभी लोग वहाँ इकट्ठे थे। सभी स्त्रियाँ, बच्चे और इस्राएल के लोगों के साथ रहने वाले सभी विदेशी वहाँ इकट्ठे थे और यहोशू ने मूसा द्वारा दिये गये हर एक आदेश को पढ़ा।

प्रकाशित वाक्य 9:13-21

छठवीं तुरही का बजना

13 फिर छठे स्वर्गदूत ने जैसे ही अपनी तुरही फूँकी, वैसे ही मैंने परमेश्वर के सामने एक सुनहरी वेदी देखी, उसके चार सींगों से आती हुई एक ध्वनि सुनी। 14 तुरही लिए हुए उस छठे स्वर्गदूत से उस आवाज़ ने कहा, “उन चार स्वर्गदूतों को मुक्त कर दो जो फरात महानदी के पास बँधे पड़े हैं।”

15 सो चारों स्वर्गदूत मुक्त कर दिए गए। वे उसी घड़ी, उसी दिन, उसी महीने और उसी वर्ष के लिए तैयार रखे गए थे ताकि वे एक तिहाई मानव जाति को मार डालें। 16 उनकी पूरी संख्या कितनी थी, यह मैंने सुना। घुड़सवार सैनिकों की संख्या बीस करोड़ थी।

17 उस मेरे दिव्य दर्शन में वे घोड़े और उनके सवार मुझे इस प्रकार दिखाई दिए: उन्होंने कवच धारण किए हुए थे जो धधकती आग जैसे लाल, गहरे नीले और गंधक जैसे पीले थे। 18 इन तीन महाविनाशों से यानी उनके मुखों से निकल रही अग्नि, धुआँ और गंधक से एक तिहाई मानव जाति को मार डाला गया। 19 इन घोड़ों की शक्ति उनके मुख और उनकी पूँछों में निहित थी क्योंकि उनकी पूँछें सिरदार साँपों के समान थी जिनका प्रयोग वे मनुष्यों को हानि पहुँचाने के लिए करते थे।

20 इस पर भी बाकी के ऐसे लोगों ने जो इन महा विनाशों से भी नहीं मारे जा सके थे उन्होंने अपने हाथों से किए कामों के लिए अब भी मन न फिराया तथा भूत-प्रेतों की अथवा सोने, चाँदी, काँसे, पत्थर और लकड़ी की उन मूर्तियों की उपासना नहीं छोड़ी, जो न देख सकती हैं, न सुन सकती हैं और न ही चल सकती हैं। 21 उन्होंने अपने द्वारा की गई हत्याओं, जादू टोनों, व्यभिचारों अथवा चोरी-चकारी करने से मन न फिराया।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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