Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
दाऊद का उस समय का एक पद जब वह यहूदा की मरूभूमि में था।
1 हे परमेश्वर, तू मेरा परमेश्वर है।
वैसे कितना मैं तुझको चाहता हूँ।
जैसे उस प्यासी क्षीण धरती जिस पर जल न हो
वैसे मेरी देह और मन तेरे लिए प्यासा है।
2 हाँ, तेरे मन्दिर में मैंने तेरे दर्शन किये।
तेरी शक्ति और तेरी महिमा देख ली है।
3 तेरी भक्ति जीवन से बढ़कर उत्तम है।
मेरे होंठ तेरी बढाई करते हैं।
4 हाँ, मैं निज जीवन में तेरे गुण गाऊँगा।
मैं हाथ उपर उठाकर तेरे नाम पर तेरी प्रार्थना करूँगा।
5 मैं तृप्त होऊँगा मानों मैंने उत्तम पदार्थ खा लिए हों।
मेरे होंठ तेरे गुण सदैव गायेंगे।
6 मैं आधी रात में बिस्तर पर लेटा हुआ
तुझको याद करूँगा।
7 सचमुच तूने मेरी सहायता की है!
मैं प्रसन्न हूँ कि तूने मुझको बचाया है!
8 मेरा मन तुझमें समता है।
तू मेरा हाथ थामे हुए रहता है।
मरियम और हारून मूसा की पत्नी के विरुद्ध कहते हैं
12 मरियम और हारून मूसा के विरुद्ध बात करने लगे। उन्होंने उसकी आलोचना की, क्योंकि उसकी पत्नी कूशी थी। उन्होंने सोचा कि यह अच्छा नहीं कि मूसा ने कूशी लोगों में से एक के साथ विवाह किया। 2 उन्होंने आपस में कहा, “यहोवा ने लोगों से बात करने के लिए मूसा का उपयोग किया है। किन्तु मूसा ही एकमात्र नहीं है। यहोवा ने हम लोगों के द्वारा भी कहा है।”
यहोवा ने यह सुना। 3 (मूसा बहुत विनम्र व्यक्ति था। वह न डींग हाँकता था। न शेखी बघारता था। वह धरती पर के किसी व्यक्ति से अधिक विनम्र था।) 4 इसलिए यहोवा अचानक आया और मूसा, हारून और मरियम से बोला। यहोवा ने कहा, “तुम तीनों को अब मिलापवाले तम्बू में आना चाहिए।”
इसलिए मूसा, हारून और मरियम तम्बू में गए। 5 तब यहोवा बादल में उतरा। यहोवा तम्बू के द्वार पर खड़ा हुआ। यहोवा ने “हारून और मरियम” को अपने पास आने के लिए कहा! जब दोनों उसके समीप आए तो, 6 यहोवा ने कहा, “मेरी बात सुनो जब मैं तुम लोगों में नबी भेजूँगा, तब मैं अर्थात् यहोवा अपने आपको उसके दर्शन में दिखाऊँगा और मैं उससे उसके सपने में बात करूँगा। 7 किन्तु मैंने अपने सेवक मूसा के साथ ऐसा नहीं किया। मैंने उसे अपने सभी लोगों को ऊपर शक्ति दी है। 8 जब मैं उससे बात करता हूँ तो मैं उसके आमने सामने बात करता हूँ। मैं जो बात कहना चाहता हुँ उसे साफ—साफ कहता हुँ मैं छिपे अर्थ वाले विचित्र विचारों को उसके सामने नहीं रखता और मूसा यहोवा के स्वरूप को देख सकता है। इसलिए तुमने मेरे सेवक मूसा के विरुद्ध बोलने का साहस कैसे किया?”
9 तब यहोवा उनके पास से गया। किन्तु वह उनसे बहुत क्रोधित था।
21 फिर एक शक्तिशाली स्वर्गदूत ने चक्की के पाट जैसी एक बड़ी सी चट्टान उठाई और उसे सागर में फेंकते हुए कहा,
“महानगरी! हे बाबुल महानगरी!
ठीक ऐसे ही तू गिरा दी जायेगी तू फिर लुप्त हो जायेगी, और तू नहीं मिल पायेगी।
22 तुझमें फिर कभी नहीं वीणा बजेगी, और गायक कभी भी स्तुति पाठ न कर पायेंगे।
वंशी कभी नहीं गूँजेंगी कोई भी तुरही तान न सुनेगा,
तुझमें अब कोई कला शिल्पी कभी न मिलेगा अब तुझमें कोई भी कला न बचेगी!
अब चक्की पीसने का स्वर कभी भी ध्वनित न होगा।
23 दीप की किंचित किरण तुझमें कभी भी न चमकेगी,
अब तुझमें किसी वर की किसी वधु की मधुर ध्वनि कभी न गुँजेगी।
तेरे व्यापारी जगत के महामनुज थे तेरे जादू ने सब जातों को भरमाया।
24 नगरी ने नबियों का संत जनों का उन सब ही का लहू बहाया था।
इस धरती पर जिनको बलि पर चढ़ा दिया था।”
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