Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
अन्तिम सलाह
4 इसलिए प्रियजन, तुम, जिनसे भेंट करने के लिए मैं लालायित हूँ; तुम, जो मेरा आनन्द और मुकुट हो, प्रभु में स्थिर बने रहो.
2 मैं युओदिया से विनती कर रहा हूँ और मैं सुन्तुखे से भी विनती कर रहा हूँ कि प्रभु में वे आपस में एक मन रहें. 3 मेरे वास्तविक सहकर्मी, तुमसे भी मेरी विनती है कि तुम इन स्त्रियों की सहायता करो, जिन्होंने ईश्वरीय सुसमाचार के लिए क्लेमेन्त, मेरे अन्य सहकर्मियों तथा मेरे साथ मिल कर परिश्रम किया है. इनके नाम जीवन-पुस्तक में लिखे हैं.
4 प्रभु में हमेशा आनन्दित रहो, मैं दोबारा कहूँगा: आनन्दित रहो. 5 तुम्हारी शालीनता सब पर प्रकट हो जाने दो. प्रभु निकट हैं. 6 किसी भी प्रकार की चिन्ता न करो परन्तु हर एक परिस्थिति में तुम्हारी प्रार्थनाएँ धन्यवाद के साथ प्रार्थना और विनती के द्वारा परमेश्वर के सामने प्रस्तुत की जाएँ, 7 तब परमेश्वर की शान्ति, जो मनुष्य की समझ से बाहर है, मसीह येशु में तुम्हारे मन और विचारों की रक्षा करेगी.
8 अन्त में प्रियजन, जो सच है, जो निर्दोष है, जो धर्मी है, जो निर्मल है, जो सुंदर है, जो प्रशंसनीय है अर्थात् जो उत्तम और सराहनीय गुण हैं, उन्हीं पर तुम्हारा मन लगा रहे. 9 इन्हीं विषयों को तुमने मुझसे सीखा; प्राप्त किया और मुझसे सुना व मुझमें देखा है; इन्हीं का स्वभाव किया करो और शान्ति के स्त्रोत परमेश्वर तुम्हारे साथ होंगे.
विवाह-भोज का दृष्टान्त
22 येशु फिर से उन्हें दृष्टान्तों में शिक्षा देने लगे. उन्होंने कहा, 2 “स्वर्ग-राज्य की तुलना एक राजा से की जा सकती है, जिसने अपने पुत्र के विवाह के उपलक्ष्य में एक भोज का आयोजन किया. 3 राजा ने अपने सेवकों को आमन्त्रित अतिथियों को बुला लाने के लिए भेजा किन्तु उन्होंने आना न चाहा.
4 “राजा ने अन्य सेवकों को यह कह कर भेजा, ‘आमन्त्रित अतिथियों से कहो, “मैंने अपने भोज की सारी तैयारी कर ली है. अच्छे व्यंजन बनाए जा चुके हैं. सब कुछ तैयार है, भोज में पधारिए.” ’
5 “किन्तु आमन्त्रितों ने इस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया परन्तु वे सब अपने कामों में लगे रहे—एक अपने खेत में, दूसरा अपने व्यापार में; 6 शेष ने उन सेवकों को पकड़ कर उनके साथ गलत व्यवहार किया और फिर उनकी हत्या कर डाली. 7 गुस्से में आकर राजा ने वहाँ अपनी सेना भेज दी कि वह उन हत्यारों का नाश करे और उनके नगर को स्वाहा कर दे.
8 “तब राजा ने अपने सेवकों को आज्ञा दी, ‘विवाह-भोज तो तैयार है किन्तु जिन्हें आमन्त्रित किया गया था, वे इसके योग्य न थे; 9 इसलिए अब तुम प्रधान चौकों पर चले जाओ और वहाँ तुम्हें जितने भी व्यक्ति मिलें, उन्हें विवाह-भोज में आमन्त्रित करो.’ 10 उन सेवकों ने जा कर रास्ते पर जितने व्यक्ति मिले, उन्हें इकट्ठा कर लिया—योग्य-अयोग्य सभी को, जिससे विवाह-उत्सव का भोजनकक्ष आमन्त्रितों से भर गया.
11 “जब राजा उस कक्ष में उनसे भेंट करने आया, उसने वहाँ एक ऐसे व्यक्ति को देखा, जिसने विवाह-उत्सव के लिए उपयुक्त वस्त्र नहीं पहने थे. 12 राजा ने उससे प्रश्न किया, ‘मित्र, विवाह-उत्सव के लिए सही वस्त्र पहने बिना तुम यहाँ कैसे आ गए?’ उसके पास इसका कोई उत्तर न था. 13 तब राजा ने सेवकों को आज्ञा दी, ‘इसके हाथ-पांव बान्ध कर बाहर अन्धकार में फेंक दो, जहाँ बहुत रोना और दाँत पीसना होता रहेगा.’
14 “बुलाए हुए तो बहुत हैं किन्तु चुने हुए थोड़े.”
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