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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 42

दूसरा भाग

(भजनसंहिता 42–72)

संगीत निर्देशक के लिये कोरह परिवार का एक भक्ति गीत।

जैसे एक हिरण शीतल सरिता का जल पीने को प्यासा है।
    वैसे ही, हे परमेश्वर, मेरा प्राण तेरे लिये प्यासा है।
मेरा प्राण जीवित परमेश्वर का प्यासा है।
    मै उससे मिलने के लिये कब आ सकता हुँ?
रात दिन मेरे आँसू ही मेरा खाना और पीना है!
    हर समय मेरे शत्रु कहते हैं, “तेरा परमेश्वर कहाँ है?”

सो मुझे इन सब बातों को याद करने दे। मुझे अपना हृदय बाहर ऊँडेलने दे।
    मुझे याद है मैं परमेश्वर के मन्दिर में चला और भीड़ की अगुवाई करता था।
मुझे याद है वह लोगों के साथ आनन्द भरे प्रशंसा गीत गाना
    और वह उत्सव मनाना।

5-6 मैं इतना दुखी क्यों हूँ?
    मैं इतना व्याकुल क्यों हूँ?
मुझे परमेश्वर के सहारे की बाट जोहनी चाहिए।
    मुझे अब भी उसकी स्तुति का अवसर मिलेगा।
    वह मुझे बचाएगा।
हे मेरे परमेश्वर, मैं अति दुखी हूँ। इसलिए मैंने तुझे यरदन की घाटी में,
    हेर्मोन की पहाड़ी पर और मिसगार के पर्वत पर से पुकारा।
जैसे सागर से लहरे उठ उठ कर आती हैं।
    मैं सागर तंरगों का कोलाहल करता शब्द सुनता हूँ, वैसे ही मुझको विपतियाँ बारम्बार घेरी रहीं।
हे यहोवा, तेरी लहरों ने मुझको दबोच रखा है।
    तेरी तरंगों ने मुझको ढाप लिया है।

यदि हर दिन यहोवा सच्चा प्रेम दिखएगा, फिर तो मैं रात में उसका गीत गा पाऊँगा।
    मैं अपने सजीव परमेश्वर की प्रार्थना कर सकूँगा।
मैं अपने परमेश्वर, अपनी चट्टान से बातें करता हूँ।
    मैं कहा करता हूँ, “हे यहोवा, तूने मूझको क्यों बिसरा दिया हे
    यहोवा, तूने मुझको यह क्यों नहीं दिखाया कि मैं अपने शत्रुऔं से बच कैसे निकलूँ?”
10 मेरे शत्रुओं ने मुझे मारने का जतन किया।
    वे मुझ पर निज घृणा दिखाते हैं जब वे कहते हैं, “तेरा परमेश्वर कहाँ है?”

11 मैं इतना दुखी क्यों हूँ?
    मैं क्यों इतना व्याकुल हूँ?
मुझे परमेश्वर के सहारे की बाट जोहनी चाहिए।
    मुझे अब भी उसकी स्तुति करने का अवसर मिलगा।
    वह मुझे बचाएगा।

निर्गमन 18:1-12

मूसा को उसके ससुर की सलाह

18 मूसा का ससुर यित्रो मिद्यान में याजक था। परमेश्वर ने मूसा और इस्राएल के लोगों की अनेक प्रकार से जो सहायता की उसके बारे में यित्रो ने सुना। यित्रो ने इस्राएल के लोगों को यहोवा द्वारा मिस्र से बाहर ले जाए जाने के बारे में सुना। इसलिए यित्रो मूसा के पास गया जब वह परमेश्वर के पर्वत के पास डेरा डाले था। वह मूसा की पत्नी सिप्पोरा को अपने साथ लाया। (सिप्पोरा मूसा के साथ नहीं थी क्योंकि मूसा ने उसे उसके घर भेज दिया था।) यित्रो मूसा के दोनो पुत्रों को भी साथ लाया। पहले पुत्र का नाम गेर्शोम रखा क्योंकि जब वह पैदा हुआ, मूसा ने कहा, “मैं विदेश में अजनबी हूँ।” दूसरे पुत्र का नाम एलीएजेर रखा क्योंकि जब वह उत्पन्न हुआ तो मूसा ने कहा, “मेरे पिता के परमेश्वर ने मेरी सहायता की और मिस्र के राजा की तलवार से मुझे बचाया है।” इसलिए यित्रो मूसा के पास तब गया जब वह परमेश्वर के पर्वत (सीनै पर्वत) के निकट मरुभूमि में डेरा डाले था। मूसा की पत्नी और उसके दो पुत्र यित्रो के साथ थे।

यित्रो ने मूसा को एक सन्देश भेजा। यित्रो ने कहा, “मैं तुम्हारा ससुर यित्रो हूँ और मैं तुम्हारी पत्नी और उसके दोनों पुत्रों को तुम्हारे पास ला रहा हूँ।”

इसलिए मूसा अपने ससुर से मिलने गया। मूसा उसके सामने झुका और उसे चूमा। दोनों लोगों ने एक दूसरे का कुशल क्षेम पूछा। तब वे मूसा के डेरे में और अधिक बातें करने गए। मूसा ने अपने ससुर यित्रो को हर एक बात बताई जो यहोवा ने इस्राएल के लोगों के लिए की थी। मूसा ने वे चीज़ें भी बताईं जो यहोवा ने फ़िरौन और मिस्र के लोगों के लिए की थीं। मूसा ने रास्ते की सभी समस्याओं के बारे में बताया और मूसा ने अपने ससुर को बताया कि किस तरह यहोवा ने इस्राएली लोगों को बचाया, जब—जब वे कष्ट में थे।

यित्रो उस समय बहुत प्रसन्न हुआ जब उसने यहोवा द्वारा इस्राएल के लिए की गई सभी अच्छी बातों को सुना। यित्रो इसलिए प्रसन्न था कि यहोवा ने इस्राएल के लोगों को मिस्रियों से स्वतन्त्र कर दिया था। 10 यित्रो ने कहा,

“यहोवा की स्तुति करो!
    उसने तुम्हें मिस्र के लोगों से स्वतन्त्र कराया।
    यहोवा ने तुम्हें फ़िरौन से बचाया है।
11 अब मैं जानता हूँ कि यहोवा सभी देवताओं से महान है,
उन्होंने सोचा कि सबकुछ उनके काबू में है लेकिन देखो, परमेश्वर ने क्या किया!”

12 तब यित्रो ने परमेश्वर के सम्मान में बलि तथा भेंटे दीं। तब हारून तथा इस्राएल के सभी बुजुर्ग (नेता) मूसा के ससुर यित्रो के साथ भोजन करने आए। यह उन्होंने परमेश्वर की उपासना की विशेष विधि के रूप में किया।

फिलिप्पियों 1:3-14

पौलुस की प्रार्थना

मैं जब जब तुम्हें याद करता हूँ, तब तब परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ। अपनी हर प्रार्थना में मैं सदा प्रसन्नता के साथ तुम्हारे लिये प्रार्थना करता हूँ। क्योंकि पहले ही दिन से आज तक तुम सुसमाचार के प्रचार में मेरे सहयोगी रहे हो। मुझे इस बात का पूरा भरोसा है कि वह परमेश्वर जिसने तुम्हारे बीच ऐसा उत्तम कार्य प्रारम्भ किया है, वही उसे उसी दिन तक बनाए रखेगा, जब मसीह यीशु फिर आकर उसे पूरा करेगा।

तुम सब के विषय में मेरे लिये ऐसा सोचना ठीक ही है। क्योंकि तुम सब मेरे मन में बसे हुए हो। और न केवल तब, जब मैं जेल में हूँ, बल्कि तब भी जब मैं सुसमाचार के सत्य की रक्षा करते हुए, उसकी प्रतिष्ठा में लगा था, तुम सब इस विशेषाधिकार में मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी रहे हो। परमेश्वर मेरा साक्षी है कि मसीह यीशु द्वारा प्रकट प्रेम से मैं तुम सब के लिये व्याकुल रहता हूँ।

मैं यही प्रार्थना करता रहता हूँ:

तुम्हारा प्रेम गहन दृष्टि और ज्ञान के साथ निरन्तर बढ़े। 10 ये गुण पाकर भले बुरे में अन्तर करके, सदा भले को अपना लोगे। और इस तरह तुम पवित्र व अकलुष बन जाओगे उस दिन को जब मसीह आयेगा। 11 यीशु मसीह की करुणा को पा कर तुम अति उत्तम काम करोगे जो प्रभु को महिमा देते हैं और उसकी स्तुति बनते हो।

पौलुस की विपत्तियाँ प्रभु के कार्य में सहायक

12 हे भाईयों, मैं तुम्हें जना देना चाहता हूँ कि मेरे साथ जो कुछ हुआ है, उससे सुसमाचार को बढ़ावा ही मिला है। 13 परिणामस्वरूप संसार के समूचे सुरक्षा दल तथा अन्य सभी लोगों को यह पता चल गया है कि मुझे मसीह का अनुयायी होने के कारण ही बंदी बनाया गया है। 14 इसके अतिरिक्त प्रभु में स्थित अधिकतर भाई मेरे बंदी होने के कारण उत्साहित हुए हैं और अधिकाधिक साहस के साथ सुसमाचार को निर्भयतापूर्वक सुना रहे हैं।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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