Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
आसाप का एक गीत।
1 मेरे भक्तों, तुम मेरे उपदेशों को सुनो।
उन बातों पर कान दो जिन्हें मैं बताना हूँ।
2 मैं तुम्हें यह कथा सुनाऊँगा।
मैं तुम्हें पुरानी कथा सुनाऊँगा।
3 हमने यह कहानी सुनी है, और इसे भली भाँति जानते हैं।
यह कहानी हमारे पूर्वजों ने कही।
4 इस कहानी को हम नहीं भूलेंगे।
हमारे लोग इस कथा को अगली पीढ़ी को सुनाते रहेंगे।
हम सभी यहोवा के गुण गायेंगे।
हम उन के अद्भुत कर्मो का जिनको उसने किया है बखान करेंगे।
12 परमेश्वर ने उनके पूर्वजों को मिस्र के सोअन में निज महाशक्ति दिखायी।
13 परमेश्वर ने लाल सागर को चीर कर लोगों को पार उतार दिया।
पानी पक्की दीवार सा दोनों ओर खड़ा रहा।
14 हर दिन उन लोगों को परमेश्वर ने महा बादल के साथ अगुवाई की।
हर रात परमेश्वर ने आग के लाट के प्रकाश से राहा दिखाया।
15 परमेश्वर ने मरूस्थल में चट्टान को फाड़ कर
गहरे धरती के निचे से जल दिया।
16 परमेश्वर चट्टान से जलधारा वैसे लाया
जैसे कोई नदी हो!
यहोशू को नया नेता चुना गया
12 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “उस पर्वत के ऊपर चढ़ो। जो अबारीम पर्वत श्रृंखला में से एक है। वहाँ तुम उस प्रदेश को देखोगे जिसे मैं इस्राएल के लोगों को दे रहा हूँ। 13 जब तुम इस प्रदेश को देख लोगे तब तुम अपने भाई हारून की तरह मर जाओगे। 14 उस बात को याद करो जब लोग सीन की मरुभूमि में पानी के लिए क्रोधित हुए थे। तुम और हारून दोनों ने मेरा आदेश मानना अस्वीकार किया था। तुम लोगों ने मेरा सम्मान नहीं किया था और लोगों के सामने मुझे पवित्र नहीं बनाया था।” (यह पानी सीन की मरुभूमि में कादेश के अन्तर्गत मरीबा में था।)
यीशु के अधिकार पर यहूदी नेताओं को संदेह
(मत्ती 21:23-27; लूका 20:1-8)
27 फिर वे यरूशलेम लौट आये। यीशु जब मन्दिर में टहल रहा था तो प्रमुख याजक, धर्मशास्त्री और बुजुर्ग यहूदी नेता उसके पास आये। 28 और बोले, “तू इन कार्यों को किस अधिकार से करता है? इन्हें करने का अधिकार तुझे किसने दिया है?”
29 यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुमसे एक प्रश्न पूछता हूँ, यदि मुझे उत्तर दे दो तो मैं तुम्हें बता दूँगा कि मैं यह कार्य किस अधिकार से करता हूँ। 30 जो बपतिस्मा यूहन्ना दिया करता था, वह उसे स्वर्ग से प्राप्त हुआ था या मनुष्य से? मुझे उत्तर दो!”
31 वे यीशु के प्रश्न पर यह कहते हुए आपस में विचार करने लगे, “यदि हम यह कहते हैं, ‘यह उसे स्वर्ग से प्राप्त हुआ था,’ तो यह कहेगा, ‘तो तुम उसका विश्वास क्यों नहीं करते?’ 32 किन्तु यदि हम यह कहते हैं, ‘वह मनुष्य से प्राप्त हुआ था,’ तो लोग हम पर ही क्रोध करेंगे।” (वे लोगों से बहुत डरते थे क्योंकि सभी लोग यह मानते थे कि यूहन्ना वास्तव में एक भविष्यवक्ता है।)
33 इसलिये उन्होंने यीशु को उत्तर दिया, “हम नहीं जानते।”
इस पर यीशु ने उनसे कहा, “तो फिर मैं भी तुम्हें नहीं बताऊँगा कि मैं ये कार्य किस अधिकार से करता हूँ।”
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