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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 105:1-6

यहोवा का धन्यवाद करो! तुम उसके नाम की उपासना करो।
    लोगों से उनका बखान करो जिन अद्भुत कामों को वह किया करता है।
यहोवा के लिये तुम गाओ। तुम उसके प्रशंसा गीत गाओ।
    उन सभी आश्चर्यपूर्ण बातों का वर्णन करो जिनको वह करता है।
यहोवा के पवित्र नाम पर गर्व करो।
    ओ सभी लोगों जो यहोवा के उपासक हो, तुम प्रसन्न हो जाओ।
सामर्थ्य पाने को तुम यहोवा के पास जाओ।
    सहारा पाने को सदा उसके पास जाओ।
उन अद्भुत बातों को स्मरण करो जिनको यहोवा करता है।
    उसके आश्चर्य कर्म और उसके विवेकपूर्ण निर्णयों को याद रखो।
तुम परमेश्वर के सेवक इब्राहीम के वंशज हो।
    तुम याकूब के संतान हो, वह व्यक्ति जिसे परमेश्वर ने चुना था।

भजन संहिता 105:37-45

37 फिर परमेश्वर निज भक्तों को मिस्र से निकाल लाया।
    वे अपने साथ सोना और चाँदी ले आये।
    परमेश्वर का कोई भी भक्त गिरा नहीं न ही लड़खड़ाया।
38 परमेश्वर के लोगों को जाते हुए देख कर मिस्र आनन्दित था,
    क्योंकि परमेश्वर के लोगों से वे डरे हुए थे।
39 परमेश्वर ने कम्बल जैसा एक मेघ फैलाया।
    रात में निज भक्तों को प्रकाश देने के लिये परमेश्वर ने अपने आग के स्तम्भ को काम में लाया।
40 लोगों ने खाने की माँग की और परमेश्वर उनके लिये बटेरों को ले आया।
    परमेश्वर ने आकाश से उनको भरपूर भोजन दिया।
41 परमेश्वर ने चट्टान को फाड़ा और जल उछलता हुआ बाहर फूट पड़ा।
    उस मरुभूमि के बीच एक नदी बहने लगी।

42 परमेश्वर ने अपना पवित्र वचन याद किया।
    परमेश्वर ने वह वचन याद किया जो उसने अपने दास इब्राहीम को दिया था।
43 परमेश्वर अपने विशेष को मिस्र से बाहर निकाल लाया।
    लोग प्रसन्न गीत गाते हुए और खुशियाँ मनाते हुए बाहर आ गये!
44 फिर परमेश्वर ने निज भक्तों को वह देश दिया जहाँ और लोग रह रहे थे।
    परमेश्वर के भक्तों ने वे सभी वस्तु पा ली जिनके लिये औरों ने श्रम किया था।
45 परमेश्वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि लोग उसकी व्यवस्था माने।
    परमेश्वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि वे उसकी शिक्षाओं पर चलें।

यहोवा के गुण गाओ!

निर्गमन 16:1-21

16 तब लोगों ने एलीम से यात्रा की और सीनै मरुभूमि में पहुँचे। यह स्थान एलीम और सीनै के बीच था। वे इस स्थान पर दूसरे महीने के पन्द्रहवें दिन[a] मिस्र छोड़ने के बाद पहुँचे। तब इस्राएल के लोगों ने फिर शिकायत करनी शुरु की। उन्होंने मूसा और हारुन से मरुभूमि में शिकायत की। लोगों ने मूसा और हारुन से कहा, “यह हमारे लिए अच्छा होता कि यहोवा ने हम लोगों को मिस्र में मार डाला होता। मिस्र में हम लोगों के पास खाने को बहुत था। हम लोगों के पास वह सारा भोजन था जिसकी हमें आवश्यकता थी। किन्तु अब तुम हमें मरुभूमि में ले आये हो। हम सभी यहाँ भूख से मर जाएंगे।”

तब यहोवा ने मूसा से कहा, “मैं आकाश से भोजन गिराऊँगा। वह भोजन तुम लोगों के खाने के लिए होगा। हर एक दिन लोग बाहर जायें और उस दिन खाने की जरूरत के लिए भोजन इकट्ठा करें। मैं यह इसलिए करूँगा कि मैं देखूँ कि क्या लोग वही करेंगे जो मैं करने को कहूँगा। हर एक दिन लोग प्रत्येक दिन के लिए पर्याप्त भोजन इकट्ठा करें। किन्तु शुक्रवार को जब भोजन तैयार करने लगें तो देखें कि वे दो दिन के लिए पर्याप्त भोजन रखते हैं।”[b]

इसलिए मूसा और हारून ने इस्राएल के लोगों से कहा, “आज की रात तुम लोग यहोवा की शक्ति देखोगे। तुम लोग जानोगे कि एक मात्र वह ही ऐसा है जिसने तुम लोगों को मिस्र देश से बचा कर बाहर निकाला। कल सवेरे तुम लोग यहोवा की महिमा देखोगे। तुम लोगों ने यहोवा से शिकायत की। उसने तुम लोगों की सुनी। तुम लोग हम लोगों से शिकायत पर शिकायत कर रहे हो। संभव है कि हम लोग अब कुछ आराम कर सकें।”

और मूसा ने कहा, “तुम लोगों ने शिकायत की और यहोवा ने तुम लोगों की शिकायतें सुन ली है। इसलिए रात को यहोवा तुम लोगों को माँस देगा और हर सवेरे तुम लोग वह सारा भोजन पाओगे, जिसकी तुम को ज़रुरत है। तुम लोग मुझसे और हारून से शिकायत करते रहे हो। याद रखो तुम लोग मेरे और हारून के विरुद्ध शिकायत नहीं कर रहे हो। तुम लोग यहोवा के विरुद्ध शिकायत कर रहे हो।”

तब मूसा ने हारून से कहा, “इस्राएल के लोगों को सम्बोधित करो। उनसे कहो, ‘यहोवा के सामने इकट्ठे हों क्योंकि उसने तुम्हारी शिकायतें सुनी हैं।’”

10 हारून ने इस्राएल के सभी लोगों को सम्बोधित किया। वे सभी एक स्थान पर इकट्ठे थे। जब हारून बातें कर रहा था तभी लोग मुड़े और उन्होंने मरूभूमि की ओर देखा और उन्होंने यहोवा की महिमा को बादल में प्रकट होते देखा।

11 यहोवा ने मूसा से कहा, 12 “मैंने इस्राएल के लोगों की शिकायत सुनी है। इसलिए उनसे मेरी बातें कहो। मैं कहता हूँ, ‘आज साँझ को तुम माँस खाओगे और कल सवेरे तुम लोग भरपेट रोटियाँ खाओगे, तब तुम लोग जानोगे कि तुम लोग अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास कर सकते हो।’”

13 उस रात बटेरें (पक्षियाँ) डेरे के चारों ओर आईं। लोगों ने इन बटेरों को माँस के लिए पकड़ा। सवेरे डेरे के पास ओस पड़ी होती थी। 14 सूरज के निकलने पर ओस पिघल जाती थी किन्तु ओस के पिघलने पर पाले की तह की तरह ज़मीन पर कुछ रह जाता था। 15 इस्राएल के लोगों ने इसे देखा और परस्पर कहा, “वह क्या है?”[c] उन्होंने यह प्रश्न इसलिए पूछा कि वे नहीं जानते थे कि वह क्या चीज है। इसलिए मूसा ने उनसे कहा, “यह भोजन है जिसे यहोवा तुम्हें खाने को दे रहा है। 16 यहोवा कहता है, ‘हर व्यक्ति उतना इकट्ठा करे जितना उसे आवश्यक है। तुम लोगों में से हर एक लगभग दो क्वार्ट[d] अपने परिवार के हर व्यक्ति के लिए इकट्ठा करे।’”

17 इसलिए इस्राएल के लोगों ने ऐसा ही किया। हर व्यक्ति ने इस भोजन को इकट्ठा किया। कुछ व्यक्तियों ने अन्य लोगों से अधिक इकट्ठा किया। 18 उन लोगों ने अपने परिवार के हर एक व्यक्ति को भोजन दिया। जब भोजन नापा गया तो हर एक व्यक्ति के लिए सदा पर्याप्त रहा, किन्तु कभी भी आवश्यकता से अधिक नहीं हुआ। हर व्यक्ति ने ठीक अपने लिए तथा अपने परिवार के खाने के लिए पर्याप्त इकट्ठा किया।

19 मूसा ने उनसे कहा, “अगले दिन खाने के लिए वह भोजन मत बचाओ।” 20 किन्तु लोगों ने मूसा की बात न मानी। कुछ लोगों ने अपना भोजन बचाया जिससे वे उसे अगले दिन खा सकें। किन्तु जो भोजन बचाया गया था उसमें कीड़े पड़ गए और वह दुर्गन्ध देने लगा। मूसा उन लोगों पर क्रोधित हुआ जिन्होंने यह किया था।

21 हर सवेरे लोग भोजन इकट्ठा करते थे। हर एक व्यक्ति उतना इकट्ठा करता था जितना वह खा सके। किन्तु जब धूप तेज होती थी भोजन गल जाता था और वह समाप्त हो जाता था।

2 कुरिन्थियों 13:5-10

यह देखने के लिए अपने आप को परखो कि क्या तुम विश्वासपूर्वक जी रहे हो। अपनी जाँच पड़ताल करो अथवा क्या तुम नहीं जानते कि वह यीशु मसीह तुम्हारे भीतर ही है। यदि ऐसा नहीं है, तो तुम इस परीक्षा में पूरे नहीं उतरे। मैं आशा करता हूँ कि तुम यह जान जाओगे कि हम इस परीक्षा में किसी भी तरह विफल नहीं हुए। हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि तुम कोई बुराई न करो। इसलिए वही करो जो उचित है। चाहे हम इस परीक्षा में विफल हुए ही क्यों न दिखाई दें। वास्तव में हम सत्य के विरुद्ध कुछ कर ही नहीं सकते। हम तो जो करते हैं, सत्य के लिये ही करते हैं।

हमारी निर्बलता और तुम्हारी सबलता हमें प्रसन्न करती है और हम इसी के लिये प्रार्थना करते रहते हैं कि तुम दृढ़ से दृढ़तर बनों। 10 इसलिए तुमसे दूर रहते हुए भी मैं इन बातों को तुम्हें लिख रहा हूँ ताकि जब मैं तुम्हारे बीच होऊँ तो मुझे प्रभु के द्वारा दिये गये अधिकार से तुम्हें हानि पहुँचाने के लिए नहीं बल्कि तुम्हारे आध्यात्मिक विकास के लिए तुम्हारे साथ कठोरता न बरतनी पड़े।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International