Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
दाऊद का प्रार्थना गीत।
1 हे यहोवा, मेरी प्रार्थना न्याय के निमित्त सुन।
मैं तुझे ऊँचे स्वर से पुकार रहा हूँ।
मैं अपनी बात ईमानदारी से कह रहा हूँ।
सो कृपा करके मेरी प्रार्थना सुन।
2 यहोवा तू ही मेरा उचित न्याय करेगा।
तू ही सत्य को देख सकता है।
3 मेरा मन परखने को तूने उसके बीच
गहरा झाँक लिया है।
तू मेरे संग रात भर रहा, तूने मुझे जाँचा, और तुझे मुझ में कोई खोट न मिला।
मैंने कोई बुरी योजना नहीं रची थी।
4 तेरे आदेशों को पालने में मैंने कठिन यत्न किया
जितना कि कोई मनुष्य कर सकता है।
5 मैं तेरी राहों पर चलता रहा हूँ।
मेरे पाँव तेरे जीवन की रीति से नहीं डिगे।
6 हे परमेश्वर, मैंने हर किसी अवसर पर तुझको पुकारा है और तूने मुझे उत्तर दिया है।
सो अब भी तू मेरी सुन।
7 हे परमेश्वर, तू अपने भक्तों की सहायता करता है।
उनकी जो तेरे दाहिने रहते हैं।
तू अपने एक भक्त की यह प्रार्थना सुन।
15 मेरी विनय न्याय के लिये है। सो मैं यहोवा के मुख का दर्शन करुँगा।
हे यहोवा, तेरा दर्शन करते ही, मैं पूरी तरह सन्तुष्ट हो जाऊँगा।
विदा होने के समय याकूब भागता है
31 एक दिन याकूब ने लाबान के पुत्रों को बात करते सुना। उन्होंने कहा, “हम लोगों के पिता का सब कुछ याकूब ने ले लिया है। याकूब धनी हो गया है, और यह सारा धन उसने हमारे पिता से लिया है।” 2 याकूब ने यह देखा कि लाबान पहले की तरह प्रेम भाव नहीं रखता है। 3 परमेश्वर ने याकूब से कहा, “तुम अपने पूर्वजों के देश को वापस लौट जाओ जहाँ तुम पैदा हुए। मैं तुम्हारे साथ रहूँगा।”
4 इसलिए याकूब ने राहेल और लिआ से उस मैदान में मिलने के लिए कहा जहाँ वह बकरियों और भेड़ों की रेवड़े रखता था। 5 याकूब ने राहेल और लिआ से कहा, “मैंने देखा है कि तुम्हारे पिता मुझ से क्रोधित हैं। उन का मेरे प्रति वह पहले जैसा प्रेम—भाव अब नहीं रहा। 6 तुम दोनों जानती हो कि मैंने तुम लोगों के पिता के लिए उतनी कड़ी मेहनत की, जितनी कर सकता था। 7 लेकिन तुम लोगों के पिता ने मुझे धोखा दिया। तुम्हारे पिता ने मेरा वेतन दस बार बदला है। लेकिन इस पूरे समय में परमेश्वर ने लाबान के सारे धोखों से मुझे बचाया है।”
8 “एक बार लाबान ने कहा, ‘तुम दागदार सभी बकरियों को रख सकते हो। यह तुम्हारा होगा।’ जब से उसने यह कहा तब से सभी जानवरों ने धारीदार बच्चे दिए। इस प्रकार वे सभी मेरे थे। लेकिन लाबान ने तब कहा, ‘मैं दागदार बकरियों को रखूँगा। तुम सारी धारीदार बकरियाँ ले सकते हो। यही तुम्हारा वेतन होगा।’ उसके इस तरह कहने के बाद सभी जानवरों न धारीदार बच्चे दिये। 9 इस प्रकार परमेश्वर ने जानवरों को तुम लोगों के पिता से ले लिया है और मुझे दे दिया है।
10 “जिस समय जानवर गाभिन होने के लिए मिल रहे थे मैंने एक स्वप्न देखा। मैंने देखा कि केवल नर जानवर जो गाभिन करने के लिए मिल रहे थे धारीदार और दागदार थे। 11 स्वप्न में परमेश्वर के दूत ने मुझ से बातें की। स्वर्गदूत ने कहा, ‘याकूब!’
“मैंने उत्तर दिया, ‘हाँ!’
12 “स्वर्गदूत ने कहा, ‘देखो, केवल दागदार और धारीदार बकरियाँ ही गाभिन होने के लिए मिल रही हैं। मैं ऐसा कर रहा हूँ। मैंने वह सब बुरा देखा है जो लाबान तुम्हारे लिए करता है। मैं यह इसलिए कर रहा हूँ कि सभी नये बकरियों के बच्चे तुम्हारे हो जायें। 13 मैं वही परमेश्वर हूँ जिस से तुमने बेतेल में वाचा बाँधी थी। उस जगह तुमने एक स्मरण स्तम्भ बनाया था और जैतून के तेल से उसका अभिषेक किया था और उस जगह तुमने मुझसे एक प्रतिज्ञा की थी। अब, उठो और यह जगह छोड़ दो और वापस अपने जन्म भूमि को लौट जाओ।’”
14 राहेल और लिआ ने याकूब को उत्तर दिया, “हम लोगों के पिता के पास मरने पर हम लोगों को देने के लिए कुछ नहीं है। 15 उसने हम लोगों के साथ अजनबी जैसा व्यवहार किया है। उसने हम लोगों को और तुमको बेच दिया और इस प्रकार हम लोगों का सारा धन उसने खर्च कर दिया। 16 परमेश्वर ने यह सारा धन हमारे पिता से ले लिया है और अब यह हमारा है। इसलिए तुम वही करो जो परमेश्वर ने करने के लिए कहा है।”
17 इसलिए याकूब ने यात्रा की तैयारी की। उसने अपनी पत्नियों और पुत्रों को ऊँटो पर बैठाया। 18 तब वे कनान की ओर लौटने लगे जहाँ उसका पिता रहता था। जानवरों की भी सभी रेवड़ें, जो याकूब की थीं, उनके आगे चल रही थीं। वह वो सभी चीजें साथ ले जा रहा था जो उसने पद्दनराम में रहते हुए प्राप्त की थीं।
19 इस समय लाबान अपनी भेड़ों का ऊन काटने गया था। जब वह बाहर गया तब राहेल उसके घर में घुसी और अपने पिता के गृह देवताओं को चुरा लाई।
20 याकूब ने अरामी लाबान को धोखा दिया। उसने लाबान को वह नहीं बताया कि वह वहाँ से जा रहा है। 21 याकूब ने अपने परिवार और अपनी सभी चीजों को लिया तथा शीघ्रता से चल पड़ा। उन्होंने फरात नदी को पार किया और गिलाद पहाड़ की ओर यात्रा की।
जो कुछ चाहते हो, उसके लिये परमेश्वर से प्रार्थना करते रहो
(लूका 11:9-13)
7 “परमेश्वर से माँगते रहो, तुम्हें दिया जायेगा। खोजते रहो तुम्हें प्राप्त होगा खटखटाते रहो तुम्हारे लिए द्वार खोल दिया जायेगा। 8 क्योंकि हर कोई जो माँगता ही रहता है, प्राप्त करता है। जो खोजता है पा जाता है और जो खटखटाता ही रहता है उसके लिए द्वार खोल दिया जाएगा।
9 “तुम में से ऐसा पिता कौन सा है जिसका पुत्र उससे रोटी माँगे और वह उसे पत्थर दे? 10 या जब वह उससे मछली माँगे तो वह उसे साँप दे दे। बताओ क्या कोई देगा? ऐसा कोई नहीं करेगा। 11 इसलिये यदि चाहे तुम बुरे ही क्यों न हो, जानते हो कि अपने बच्चों को अच्छे उपहार कैसे दिये जाते हैं। सो निश्चय ही स्वर्ग में स्थित तुम्हारा परम-पिता माँगने वालों को अच्छी वस्तुएँ देगा।
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