Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
8 जिन अद्भुत बातों को परमेश्वर करता है, उनसे धरती का हर व्यक्ति डरता है।
परमेश्वर तू ही हर कहीं सूर्य को उगाता और छिपाता है। लोग तेरा गुणगान करते हैं।
9 पृथ्वी की सारी रखवाली तू करता है।
तू ही इसे सींचता और तू ही इससे बहुत सारी वस्तुएं उपजाता है।
हे परमेश्वर, नदियों को पानी से तू ही भरता है।
तू ही फसलों की बढ़वार करता है। तू यह इस विधि से करता है।
10 जुते हुए खेतों पर वर्षा कराता है।
तू खेतों को जल से सराबोर कर देता,
और धरती को वर्षा से नरम बनाता है,
और तू फिर पौधों की बढ़वार करता है।
11 तू नये साल का आरम्भ उत्तम फसलों से करता है।
तू भरपूर फसलों से गाड़ियाँ भर देता है।
12 वन औक पर्वत दूब घास से ढक जाते हैं।
13 भेड़ों से चरागाहें भर गयी।
फसलों से घाटियाँ भरपूर हो रही हैं।
हर कोई गा रहा और आनन्द में ऊँचा पुकार रहा है।
याकूब ने लाबान के साथ चाल चली
25 यूसुफ के जन्म के बाद याकूब ने लाबान से कहा, “अब मुझे अपने घर लौटने दो। 26 मुझे मेरी पत्नियाँ और बच्चे दो। मैंने चौदह वर्ष तक तुम्हारे लिए काम करके उन्हें कमाया है। तुम जानते हो कि मैंने तुम्हारी अच्छी सेवा की है।”
27 लाबान ने उससे कहा, “मुझे कुछ कहने दो।[a] मैं अनुभव करता हूँ[b] कि यहोवा ने तुम्हारी वजह से मुझ पर कृपा की है। 28 बताओ कि तुम्हें मैं क्या दूँ और मैं वही तुमको दूँगा।”
29 याकूब ने उत्तर दिया, “तुम जानते हो, कि मैंने तुम्हारे लिए कठिन परिश्रम किया है। तुम्हारी रेवड़े बड़ी हैं और जब तक मैंने उनकी देखभाल की है, ठीक रही हैं। 30 जब मैं आया था, तुम्हारे पास थोड़ी सी थीं। अब तुम्हारे पास बहुत अधिक हैं। हर बार जब मैंने तुम्हारे लिए कुछ किया है यहोवा ने तुम पर कृपा की है। अब मेरे लिए समय आ गया है कि मैं अपने लिए काम करूँ, यह मेरे लिए अपना घर बनाने का समय है।”
31 लाबान ने पूछा, “तब मैं तुम्हें क्या दूँ?”
याकूब ने उत्तर दिया, “मैं नहीं चाहता कि तुम मुझे कुछ दो। मैं केवल चाहता हूँ कि तुम जो मैंने काम किया है उसकी कीमत चुका दो। केवल यही एक काम करो। मैं लौटूँगा और तुम्हारी भेड़ों की देखभाल करूँगा। 32 मुझे अपनी सभी रेवड़ों के बीच से जाने दो और दागदार या धारीदार हर एक मेमने को मुझे ले लेने दो और काली नई बकरी को ले लेने दो हर एक दागदार और धारीदार बकरी को ले लेने दो। यही मेरा वेतन होगा। 33 भविष्य में तुम सरलता से देख लोगे कि मैं इमान्दार हूँ। तुम मेरी रेवड़ों को देखने आ सकते हो। यदि कोई बकरी दागदार नहीं होगी या कोई भेड़ काली नहीं होगी तो तुम जान लोगे कि मैंने उसे चुराया है।”
34 लाबान ने उत्तर दिया, “मैं इसे स्वीकार करता हूँ। हम तुमको जो कुछ मागोगे देंगे।” 35 लेकिन उस दिन लाबान ने दागदार बकरों को छिपा दिया और लाबान ने सभी दागदार या धारीदार बकरियों को छिपा दिया। लाबान ने सभी काली भेड़ों को भी छिपा दिया। लाबान ने अपने पुत्रों को इन भेंडें की देखभाल करने को कहा। 36 इसलिए पुत्रों ने सभी दागदार जानवरों को लिया और वे दूसरी जगह चले गए। उन्होंने तीन दिन तक यात्रा की। याकूब रूक गया और बचे हुए जानवरों की देखभाल करने लगा। किन्तु उनमें कोई जानवर दागदार या काला नहीं था।
सच्चा विवेक
13 भला तुम में, ज्ञानी और समझदार कौन है? जो है, उसे अपने व्यवहार से यह दिखाना चाहिए कि उसके कर्म उस सज्जनता के साथ किए गए हैं जो ज्ञान से जुड़ी है। 14 किन्तु यदि तुम लोगों के हृदयों में भयंकर ईर्ष्या और स्वार्थ भरा हुआ है, तो अपने ज्ञान का ढोल मत पीटो। ऐसा करके तो तुम सत्य पर पर्दा डालते हुए असत्य बोल रहे हो। 15 ऐसा “ज्ञान” तो ऊपर अर्थात् स्वर्ग से, प्राप्त नहीं होता, बल्कि वह तो भौतिक है। आत्मिक नहीं है। तथा शैतान का है। 16 क्योंकि जहाँ ईर्ष्या और स्वार्थपूर्ण महत्त्वकाँक्षाएँ रहती हैं, वहाँ अव्यवस्था और हर प्रकार की बुरी बातें रहती है। 17 किन्तु स्वर्ग से आने वाला ज्ञान सबसे पहले तो पवित्र होता है, फिर शांतिपूर्ण, सहनशील, सहज-प्रसन्न, करुणापूर्ण होता है। और उससे उत्तम कर्मों की फ़सल उपजती है। वह पक्षपात-रहित और सच्चा भी होता है। 18 शांति के लिए काम करने वाले लोगों को ही धार्मिक जीवन का फल प्राप्त होगा यदि उसे शांतिपूर्ण वातावरण में बोया गया है।
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