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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
उत्पत्ति 28:10-19

10 याकूब ने बेर्शेबा को छोड़ा और वह हारान को गया। 11 याकूब के यात्रा करते समय ही सूरज डूब गया था। इसलिए याकूब रात बिताने के लिए एक जगह ठहरने गया। याकूब ने उस जगह एक चट्टान देखी और सोने के लिए इस पर अपना सिर रखा। 12 याकूब ने सपना देखा। उसने देखा कि एक सीढ़ी पृथ्वी से स्वर्ग तक पहुँची है। 13 याकूब ने स्वर्गदूतों को उस सीढ़ी पर चढ़ते उतरते देखा और यहोवा को सीढ़ी के पास खड़ा देखा। यहोवा ने कहा, “मैं तुम्हारे पितामह इब्राहीम का परमेश्वर यहोवा हूँ। मैं इसहाक का परमेश्वर हूँ। मैं तुम्हें वह भूमि दूँगा जिस पर तुम अब सो रहे हो। मैं यह भूमि तुम्हें और तुम्हारे वंशजों को दूँगा। 14 तुम्हारे वंशज उतने होंगे जितने पृथ्वी पर मिट्टी के कण हैं। वे पूर्व, पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण में फैलेंगे। पृथ्वी के सभी परिवार तुम्हारे वंशजों के कारण वरदान पाएँगे।

15 “मैं तुम्हारे साथ हूँ और मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा जहाँ भी जाओगे और मैं इस भूमि पर तुम्हें लौटा ले आऊँगा। मैं तुमको तब तक नहीं छोड़ूँगा जब तक मैं वह नहीं कर लूँगा जो मैंने करने का वचन दिया है।”

16 तब याकूब अपनी नींद से उठा और बोला, “मैं जानता हूँ कि यहोवा इस जगह पर है। किन्तु यहाँ जब तक मैं सोया नहीं था, मैं नहीं जानता था कि वह यहाँ है।”

17 याकूब डर गया। उसने कहा, “यह बहुत महान जगह है। यह तो परमेश्वर का घर है। यह तो स्वर्ग का द्वार है।”

18 याकूब दूसरे दिन बहुत सबेरे उठा। याकूब ने उस शिला को उठाया और उसे किनारे से खड़ा कर दिया। तब उसने इस पर तेल चढ़ाया। इस तरह उसने इसे परमेश्वर का स्मरण स्तम्भ बनाया। 19 उस जगह का नाम लूज था किन्तु याकूब ने उसे बेतेल नाम दिया।

भजन संहिता 139:1-12

संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का स्तुति गीत।

हे यहोवा, तूने मुझे परखा है।
    मेरे बारे में तू सब कुछ जानता है।
तू जानता है कि मैं कब बैठता और कब खड़ा होता हूँ।
    तू दूर रहते हुए भी मेरी मन की बात जानता है।
हे यहोवा, तुझको ज्ञान है कि मैं कहाँ जाता और कब लेटता हूँ।
    मैं जो कुछ करता हूँ सब को तू जानता है।
हे यहोवा, इससे पहले की शब्द मेरे मुख से निकले तुझको पता होता है
    कि मैं क्या कहना चाहता हूँ।
हे यहोवा, तू मेरे चारों ओर छाया है।
    मेरे आगे और पीछे भी तू अपना निज हाथ मेरे ऊपर हौले से रखता है।
मुझे अचरज है उन बातों पर जिनको तू जानता है।
    जिनका मेरे लिये समझना बहुत कठिन है।
हर जगह जहाँ भी मैं जाता हूँ, वहाँ तेरी आत्मा रची है।
    हे यहोवा, मैं तुझसे बचकर नहीं जा सकता।
हे यहोवा, यदि मैं आकाश पर जाऊँ वहाँ पर तू ही है।
    यदि मैं मृत्यु के देश पाताल में जाऊँ वहाँ पर भी तू है।
हे यहोवा, यदि मैं पूर्व में जहाँ सूर्य निकलता है जाऊँ
    वहाँ पर भी तू है।
10 वहाँ तक भी तेरा दायाँ हाथ पहुँचाता है।
    और हाथ पकड़ कर मुझको ले चलता है।

11 हे यहोवा, सम्भव है, मैं तुझसे छिपने का जतन करुँ और कहने लगूँ,
    “दिन रात में बदल गया है
    तो निश्चय ही अंधकार मुझको ढक लेगा।”
12 किन्तु यहोवा अन्धेरा भी तेरे लिये अंधकार नहीं है।
    तेरे लिये रात भी दिन जैसी उजली है।

भजन संहिता 139:23-24

23 हे यहोवा, मुझ पर दृष्टि कर और मेरा मन जान ले।
    मुझ को परख ले और मेरा इरादा जान ले।
24 मुझ पर दृष्टि कर और देख कि मेरे विचार बुरे नहीं है।
    तू मुझको उस पथ पर ले चल जो सदा बना रहता है।

रोमियों 8:12-25

12 इसलिए मेरे भाईयों, हम पर इस भौतिक शरीर का कर्ज़ तो है किन्तु ऐसा नहीं कि हम इसके अनुसार जियें। 13 क्योंकि यदि तुम भौतिक शरीर के अनुसार जिओगे तो मरोगे। किन्तु यदि तुम आत्मा के द्वारा शरीर के व्यवहारों का अंत कर दोगे तो तुम जी जाओगे।

14 जो परमेश्वर की आत्मा के अनुसार चलते हैं, वे परमेश्वर की संतान हैं। 15 क्योंकि वह आत्मा जो तुम्हें मिली है, तुम्हें फिरसे दास बनाने या डराने के लिए नहींहै, बल्कि वह आत्मा जो तुमने पाया है तुम्हें परमेश्वर की संपालित संतान बनाती है। जिस से हम पुकार उठते हैं, “हे अब्बा, हे पिता!” 16 वह पवित्र आत्मा स्वयं हमारीआत्मा के साथ मिलकर साक्षी देती है कि हम परमेश्वर की संतान हैं। 17 और क्योंकि हम उसकी संतान हैं, हम भी उत्तराधिकारी हैं, परमेश्वर के उत्तराधिकारी और मसीह के साथ हम उत्तराधिकारी यदि वास्तव में उसके साथ दुःख उठाते हैं तो हमें उसके साथ महिमा मिलेगी ही।

हमें महिमा मिलेगी

18 क्योंकि मेरे विचार में इस समय की हमारी यातनाएँ प्रकट होने वाली भावी महिमा के आगे कुछ भी नहीं है। 19 क्योंकि यह सृष्टि बड़ी आशा से उस समय का इंतज़ार कर रही है जब परमेश्वर की संतान को प्रकट किया जायेगा। 20 यह सृष्टि निःसार थी अपनी इच्छा से नहीं, बल्कि उसकी इच्छा से जिसने इसे इस आशा के अधीन किया 21 कि यह भी कभी अपनी विनाशमानता से छुटकारा पाकर परमेश्वर की संतान की शानदार स्वतन्त्रता का आनन्द लेगी।

22 क्योंकि हम जानते हैं कि आज तक समूची सृष्टि पीड़ा में कराहती और तड़पती रही है। 23 न केवल यह सृष्टि बल्कि हम भी जिन्हें आत्मा का पहला फल मिला है, अपने भीतर कराहते रहे है। क्योंकि हमें उसके द्वारा पूरी तरह अपनाये जाने का इंतजार है कि हमारी देह मुक्ति हो जायेगी। 24 हमारा उद्धार हुआ है। इसी से हमारे मन में आशा है किन्तु जब हम जिसकी आशा करते है, उसे देख लेते हैं तो वह आशा नहीं रहती। जो दिख रहा है उसकी आशा कौन कर सकता है। 25 किन्तु यदि जिसे हम देख नहीं रहे उसकी आशा करते हैं तो धीरज और सहनशीलता के साथ उसकी बाट जोहते हैं।

मत्ती 13:24-30

गेहूँ और खरपतवार का दृष्टान्त

24 यीशु ने उनके सामने एक और दृष्टान्त कथा रखी: “स्वर्ग का राज्य उस व्यक्ति के समान है जिसने अपने खेत में अच्छे बीज बोये थे। 25 पर जब लोग सो रहे थे, उस व्यक्ति का शत्रु आया और गेहूँ के बीच जंगली बीज बोया गया। 26 जब गेहूँ में अंकुर निकले और उस पर बालें आयीं तो खरपतवार भी दिखने लगी। 27 तब खेत के मालिक के पास आकर उसके दासों ने उससे कहा, ‘मालिक, तूने तो खेत में अच्छा बीज बोया था, बोया था ना? फिर ये खरपतवार कहाँ से आई?’

28 “तब उसने उनसे कहा, ‘यह किसी शत्रु का काम है।’

“उसके दासों ने उससे पूछा, ‘क्या तू चाहता है कि हम जाकर खरपतवार उखाड़ दें?’

29 “वह बोला, ‘नहीं, क्योंकि जब तुम खरपतवार उखाड़ोगे तो उनके साथ, तुम गेहूँ भी उखाड़ दोगे। 30 जब तक फसल पके दोनों को साथ-साथ बढने दो, फिर कटाई के समय में फसल काटने वालों से कहूँगा कि पहले खरपतवार की पुलियाँ बना कर उन्हें जला दो, और फिर गेहूँ को बटोर कर मेरे खते में रख दो।’”

मत्ती 13:36-43

गेहूँ और खरपतवार के दृष्टान्त की व्याख्या

36 फिर यीशु उस भीड़ को विदा करके घर चला आया। तब उसके शिष्यों ने आकर उससे कहा, “खेत के खरपतवार के दृष्टान्त का अर्थ हमें समझा।”

37 उत्तर में यीशु बोला, “जिसने उत्तम बीज बोया था, वह है मनुष्य का पुत्र। 38 और खेत यह संसार है। अच्छे बीज का अर्थ है, स्वर्ग के राज्य के लोग। खरपतवार का अर्थ है, वे व्यक्ति जो शैतान की संतान हैं। 39 वह शत्रु जिसने खरपतवार बीजे थे, शैतान है और कटाई का समय है, इस जगत का अंत और कटाई करने वाले हैं स्वर्गदूत।

40 “ठीक वैसे ही जैसे खरपतवार को इकट्ठा करके आग में जला दिया गया, वैसे ही सृष्टि के अंत में होगा। 41 मनुष्य का पुत्र अपने दूतों को भेजेगा और वे उसके राज्य से सभी पापियों को और उनको, जो लोगों को पाप के लिये प्रेरित करते हैं, 42 इकट्ठा करके धधकते भाड़ में झोंक देंगे जहाँ बस दाँत पीसना और रोना ही रोना होगा। 43 तब धर्मी अपने परम पिता के राज्य में सूरज की तरह चमकेंगे। जो सुन सकता है, सुन ले!

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International