Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
दाऊद का एक कला गीत।
1 मैं सहायता पाने के लिये यहोवा को पुकारुँगा।
मै यहोवा से प्रार्थना करुँगा।
2 मैं यहोवा के सामने अपना दु:ख रोऊँगा।
मैं यहोवा से अपनी कठिनाईयाँ कहूँगा।
3 मेरे शत्रुओं ने मेरे लिये जाल बिछाया है।
मेरी आशा छूट रही है किन्तु यहोवा जानता है।
कि मेरे साथ क्या घट रहा है।
4 मैं चारों ओर देखता हूँ
और कोई अपना मिस्र मुझको दिख नहीं रहा
मेरे पास जाने को कोई जगह नहीं है।
कोई व्यक्ति मुझको बचाने का जतन नहीं करता है।
5 इसलिये मैंने यहोवा को सहारा पाने को पुकारा है।
हे यहोवा, तू मेरी ओट है।
हे यहोवा, तू ही मुझे जिलाये रख सकता है।
6 हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन।
मुझे तेरी बहुत अपेक्षा है।
तू मुझको ऐसे लोगों से बचा ले
जो मेरे लिये मेरे पीछे पड़े हैं।
7 मुझको सहारा दे कि इस जाल से बच भागूँ।
फिर यहोवा, मैं तेरे नाम का गुणगान करुँगा।
मैं वचन देता हूँ। भले लोग आपस में मिलेंगे और तेरा गुणगान करेंगे
क्योकि तूने मेरी रक्षा की है।
सभी राष्ट्रों का न्याय होना
15 सभी राष्ट्रों पर शीघ्र ही यहोवा का दिन आ रहा है।
तुमने दूसरे लोगों के साथ बुरा किया।
वे ही बुराईयाँ तुम्हारे साथ घटित होंगी।
वे सभी बुराईयाँ तुम्हारे ही सिर पर उतर आएंगी।
16 क्योंकि जैसे तुमने मेरे पवित्र पर्वत पर
दाखमधु पीकर विजय की खुशी मनाई।
वैसे ही सभी जातियाँ निरन्तर मेरे दण्ड को पीएंगी
और उसे निगलेंगी और उनका लोप हो जायेगा।
17 किन्तु सिय्योन पर्वत पर कुछ बचकर रह जाने वाले होंगे।
यह मेरा पवित्र स्थान होगा।
याकूब का राष्ट्र उन चीजों को वापस पाएगा
जो उसकी थीं।
18 याकूब का परिवार जलती आग—सा होगा।
यूसुफ का राष्ट्र जलती लपटों जैसा बन जायेगा।
किन्तु एसाव का राष्ट्र राख की तरह होगा।
यहूदा के लोग एदोमी लोगों को नष्ट करेंगे।
एसाव के राष्ट्र में कोई जीवित नहीं रहेगा।
क्यों क्योंकि परमेश्वर यहोवा ने ऐसा कहा।
19 तब नेगव के लोग एसाव पर्वत पर रहेंगे
और पर्वत की तराईयों के लोग पलिश्ती प्रदेश को लेंगे।
परमेश्वर के वे लोग एप्रैम और शोमरोन की भूमि पर रहेंगे।
गिलाद, बिन्यामीन का होगा।
20 इस्राएल के लोग घर छोड़ने को विवश किये गए थे।
किन्तु वे लोग कनानियों का प्रदेश सारपत तक ले लेंगे।
यहूदा के लोग यरूशलेम छोड़ने और सपाराद में रहने को विवश किये गये थे।
किन्तु वे लोग नेगव के नगरों को लेंगे।
21 विजयी सिय्योन पर्वत पर होंगे।
वे लोग एसाव पर्वत के निवासियों पर शासन करेंगे
और राज्य यहोवा का होगा।
दृष्टान्त-कथाओं का प्रयोजन
(मरकुस 4:10-12; लूका 8:9-10)
10 फिर यीशु के शिष्यों ने उसके पास जाकर उससे पूछा, “तू उनसे बातें करते हुए दृष्टान्त कथाओं का प्रयोग क्यों करता है?”
11 उत्तर में उसने उनसे कहा, “स्वर्ग के राज्य के भेदों को जानने का अधिकार सिर्फ तुम्हें दिया गया है, उन्हें नहीं। 12 क्योंकि जिसके पास थोड़ा बहुत है, उसे और भी दिया जायेगा और उसके पास बहुत अधिक हो जायेगा। किन्तु जिसके पास कुछ भी नहीं है, उससे जितना सा उसके पास है, वह भी छीन लिया जायेगा। 13 इसलिये मैं उनसे दृष्टान्त कथाओं का प्रयोग करते हुए बात करता हूँ। क्योंकि यद्यपि वे देखते हैं, पर वास्तव में उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता, वे यद्यपि सुनते हैं पर वास्तव में न वे सुनते हैं, न समझते हैं। 14 इस प्रकार उन पर यशायाह की यह भविष्यवाणी खरी उतरती है:
‘तुम सुनोगे और सुनते ही रहोगे
पर तुम्हारी समझ में कुछ भी न आयेगा,
तुम बस देखते ही रहोगे
पर तुम्हें कुछ भी न सूझ पायेगा।
15 क्योंकि इनके हृदय जड़ता से भर गये।
इन्होंने अपने कान बन्द कर रखे हैं
और अपनी आखें मूँद रखी हैं
ताकि वे अपनी आँखों से कुछ भी न देखें
और वे कान से कुछ न सुन पायें या
कि अपने हृदय से कभी न समझें
और कभी मेरी ओर मुड़कर आयें और जिससे मैं उनका उद्धार करुँ।’(A)
16 किन्तु तुम्हारी आँखें और तुम्हारे कान भाग्यवान् हैं क्योंकि वे देख और सुन सकते हैं। 17 मैं तुमसे सत्य कहता हूँ, बहुत से भविष्यवक्ता और धर्मात्मा जिन बातों को देखना चाहते थे, उन्हें तुम देख रहे हो। वे उन्हें नहीं देख सके। और जिन बातों को वे सुनना चाहते थे, उन्हें तुम सुन रहे हो। वे उन्हें नहीं सुन सके।
© 1995, 2010 Bible League International