Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
नुन्
105 हे यहोवा, तेरा वचन मेरे पाँव के लिये दीपक
और मार्ग के लिये उजियाला है।
106 तेरे नियम उत्तम हैं।
मैं उन पर चलने का वचन देता हूँ, और मैं अपने वचन का पालन करूँगा।
107 हे यहोवा, बहुत समय तक मैंने दु:ख झेले हैं,
कृपया मुझे अपना आदेश दे और तू मुझे फिर से जीवित रहने दे!
108 हे यहोवा, मेरी विनती को तू स्वीकार कर,
और मुझ को अपनी विधान कि शिक्षा दे।
109 मेरा जीवन सदा जोखिम से भरा हुआ है।
किन्तु यहोवा मैं तेरे उपदेश भूला नहीं हूँ।
110 दुष्ट जन मुझको फँसाने का यत्न करते हैं
किन्तु तेरे आदेशों को मैंने कभी नहीं नकारा है।
111 हे यहोवा, मैं सदा तेरी वाचा का पालन करूँगा।
यह मुझे अति प्रसन्न किया करता है।
112 मैं सदा तेरे विधान पर चलने का
अति कठोर यत्न करूँगा।
जलती हुई झाड़ी
3 मूसा के ससुर का नाम यित्रो था। यित्रो मिद्यान का याजक था। मूसा यित्रो की भेड़ों का चरवाहा था। एक दिन मूसा भेड़ों को मरुभूमि के पश्चिम की ओर ले गया। मूसा होरेब नाम के उस एक पहाड़ को गया, जो परमेश्वर का पहाड़ था। 2 मूसा ने उस पहाड़ पर यहोवा के दूत को एक जलती हुई झाड़ी में देखा। यह इस प्रकार घटित हुआ।
मूसा ने एक झाड़ी को जलते हुए देखा जो भस्म नहीं हो रही थी। 3 इसलिए मूसा ने कहा कि मैं झाड़ी के निकट जाऊँगा और देखूँगा कि बिना राख हुए कोई झाड़ी कैसे जलती रह सकती है।
4 यहोवा ने देखा कि मूसा झाड़ी को देखने आ रहा है। इसलिए परमेश्वर ने झाड़ी से मूसा को पुकारा। उसने कहा, “मूसा, मूसा।”
और मूसा ने कहा, “हाँ, यहोवा।”
5 तब यहोवा ने कहा, “निकट मत आओ। अपनी जूतियाँ उतार लो। तुम पवित्र भूमि पर खड़े हो। 6 मैं तुम्हारे पूर्वजों का परमेश्वर हूँ। मैं इब्राहीम का परमेश्वर इसहाक का परमेश्वर तथा याकूब का परमेश्वर हूँ।”
मूसा ने अपना मूँह ढक लिया क्योंकि वह परमेश्वर को देखने से डरता था।
12 जिन्होंने व्यवस्था को पाये बिना पाप किये, वे व्यवस्था से बाहर रहते हुए नष्ट होंगे। और जिन्होंने व्यवस्था में रहते हुए पाप किये उन्हें व्यवस्था के अनुसार ही दण्ड मिलेगा। 13 क्योंकि वे जो केवल व्यवस्था की कथा सुनते हैं परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी नहीं है। बल्कि जो व्यवस्था पर चलते है वे ही धर्मी ठहराये जायेंगे।
14 सो जब ग़ैर यहूदी लोग जिनके पास व्यवस्था नहीं है स्वभाव से ही व्यवस्था की बातों पर चलते हैं तो चाहे उनके पास व्यवस्था नहीं है तो भी वे अपनी व्यवस्था आप हैं। 15 वे अपने मन पर लिखे हुए, व्यवस्था के कर्मों को दिखाते हैं। उनका विवेक भी इसकी ही साक्षी देता है और उनका मानसिक संघर्ष उन्हें अपराधी बताता है या निर्दोष कहता है।
16 ये बातें उस दिन होंगी जब परमेश्वर मनुष्य की छूपी बातों का, जिसका मैं उपदेश देता हूँ उस सुसमाचार के अनुसार यीशु मसीह के द्वारा न्याय करेगा।
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