); Isaiah 51:1-3 (Look to Abraham and Sarah); Matthew 11:20-24 (Jesus prophesies against the cities) (Hindi Bible: Easy-to-Read Version)
Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
संगीत निर्देशक के लिए कोरह परिवार का एक भक्ति गीत।
1 हे सभी लोगों, तालियाँ बजाओ।
और आनन्द में भर कर परमेश्वर का जय जयकार करो।
2 महिमा महिम यहोव भय और विस्मय से भरा है।
सरी धरती का वही सम्राट है।
3 उसने अदेश दिया और हमने राष्ट्रों को पराजित किया
और उन्हें जीत लिया।
4 हमारी धरती उसने हमारे लिये चुनी है।
उसने याकूब के लिये अद्भुत धरती चुनी। याकूब वह व्यक्ति है जिसे उसने प्रेम किया।
5 यहोवा परमेश्वर तुरही की ध्वनि
और युद्ध की नरसिंगे के स्वर के साथ ऊपर उठता है।
6 परमेश्वर के गुणगान करते हुए गुण गाओ।
हमारे राजा के प्रशंसा गीत गाओ। और उसके यशगीत गाओ।
7 परमेश्वर सारी धरती का राजा है।
उसके प्रशंसा गीत गाओ।
8 परमेश्वर अपने पवित्र सिंहासन पर विराजता है।
परमेश्वर सभी राष्ट्रों पर शासन करता है।
9 राष्ट्रों के नेता,
इब्राहीम के परमेश्वर के लोगों के साथ मिलते हैं।
सभी राष्ट्रों के नेता, परमेश्वर के हैं।
परमेश्वर उन सब के ऊपर है।
इस्राएल को इब्राहीम के जैसा होना चाहिए
51 “तुममें से कुछ लोग उत्तम जीवन जीने का कठिन प्रयत्न करते हो। तुम सहायता पाने को यहोवा के निकट जाते हो। मेरी सुनो। तुम्हें अपने पिता इब्राहीम की ओर देखना चाहिये। इब्राहीम ही वह पत्थर की खदान है जिससे तुम्हें काटा गया है। 2 इब्राहीम तुम्हारा पिता है और तुम्हें उसी की ओर देखना चाहिये। तुम्हें सारा की ओर निहारना चाहिये क्योंकि सारा ही वह स्त्री है जिसने तुम्हें जन्म दिया है। इब्राहीम को जब मैंने बुलाया था, वह अकेला था। तब मैंने उसे वरदान दिया था और उसने एक बड़े परिवार की शुरूआत की थी। उससे अनगिनत लोगों ने जन्म लिया।”
3 सिय्योन पर्वत को यहोवा वैसे ही आशीर्वाद देगा। यहोवा को यरूशलेम और उसके खंडहरों के लिये खेद होगा और वह उस नगर के लिये कोई बहुत बड़ा काम करेगा। यहोवा रेगिस्तान को बदल देगा। वह रेगिस्तान अदन के उपवन के जैसे एक उपवन में बदल जायेगा। वह उजाड़ स्थान यहोवा के बगीचे के जैसा हो जाएगा। लोग अत्याधिक प्रसन्न होंगे। लोग वहाँ अपना आनन्द प्रकट करेंगे। वे लोग धन्यवाद और विजय के गीत गायेंगे।
अविश्वासियों को यीशु की चेतावनी
(लूका 10:13-15)
20 फिर यीशु ने उन नगरों को धिक्कारा जिनमें उसने बहुत से आश्चर्यकर्म किये थे। क्योंकि वहाँ के लोगों ने पाप करना नहीं छोड़ा और अपना मन नहीं फिराया था। 21 अरे अभागे खुराजीन, अरे अभागे बैतसैदा[a] तुम में जो आश्चर्यकर्म किये गये, यदि वे सूर और सैदा में किये जाते तो वहाँ के लोग बहुत पहले से ही टाट के शोक वस्त्र ओढ़ कर और अपने शरीर पर राख मल[b] कर खेद व्यक्त करते हुए मन फिरा चुके होते। 22 किन्तु मैं तुम लोगों से कहता हूँ न्याय के दिन सूर और सैदा की स्थिति तुमसे अधिक सहने योग्य होगी।[c]
23 “और अरे कफरनहूम, क्या तू सोचता है कि तुझे स्वर्ग की महिमा तक ऊँचा उठाया जायेगा? तू तो अधोलोक में नरक को जायेगा। क्योंकि जो आश्चर्यकर्म तुझमें किये गये, यदि वे सदोम में किये जाते तो वह नगर आज तक टिका रहता। 24 पर मैं तुम्हें बताता हूँ कि न्याय के दिन तेरे लोगों की हालत से सदोम की हालत कहीं अच्छी होगी।”
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