Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।
1 हे यहोवा, तू कब तक मुझ को भूला रहेगा?
क्या तू मुझे सदा सदा के लिये बिसरा देगा कब तक तू मुझको नहीं स्वीकारेगा?
2 तू मुझे भूल गया यह कब तक मैं सोचूँ?
अपने ह्रदय में कब तक यह दु:ख भोगूँ?
कब तक मेरे शत्रु मुझे जीतते रहेंगे?
3 हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, मेरी सुधि ले! और तू मेरे प्रश्न का उत्तर दे!
मुझको उत्तर दे नहीं तो मैं मर जाऊँगा!
4 कदाचित् तब मेरे शत्रु यों कहने लगें, “मैंने उसे पीट दिया!”
मेरे शत्रु प्रसन्न होंगे कि मेरा अंत हो गया है।
5 हे यहोवा, मैंने तेरी करुणा पर सहायता पाने के लिये भरोसा रखा।
तूने मुझे बचा लिया और मुझको सुखी किया!
6 मैं यहोवा के लिये प्रसन्नता के गीत गाता हूँ,
क्योंकि उसने मेरे लिये बहुत सी अच्छी बातें की हैं।
यहोवा की स्तुति
18 तेरे समान कोई परमेश्वर नहीं है।
तू पापी जनों को क्षमा कर देता है।
तू अपने बचे हुये लोगों के पापों को क्षमा करता है।
यहोवा सदा ही क्रोधित नहीं रहेगा,
क्योंकि उसको दयालु ही रहना भाता है।
19 हे यहोवा, हमारे पापों को दूर करके फिर हमको सुख चैन देगा,
हमारे पापों को तू दूर गहरे सागर में फेंक देगा।
20 याकूब के हेतु तू सच्चा होगा।
इब्राहीम के हेतु तू दयालु होगा, तूने ऐसी ही प्रतिज्ञा बहुत पहले हमारे पूर्वजो के साथ की थी।
2 सुनो! स्वयं मैं, पौलुस तुमसे कह रहा हूँ कि यदि ख़तना करा कर तुम फिर से व्यवस्था के विधान की ओर लौटते हो तो तुम्हारे लिये मसीह का कोई महत्त्व नहीं रहेगा। 3 अपना ख़तना कराने देने वाले प्रत्येक व्यक्ति को, मैं एक बार फिर से जताये देता हूँ कि उसे समूचे व्यवस्था के विधान पर चलना अनिवार्य है। 4 तुममें से जितने भी लोग व्यवस्था के पालन के कारण धर्मी के रूप में स्वीकृत होना चाहते हैं, वे सभी मसीह से दूर हो गये हैं और परमेश्वर के अनुग्रह के क्षेत्र से बाहर हैं। 5 किन्तु हम विश्वास के द्वारा परमेश्वर के सामने धर्मी स्वीकार किये जाने की आशा रखते हैं। आत्मा की सहायता से हम इसकी बाट जोह रहे हैं। 6 क्योंकि मसीह यीशु में स्थिति के लिये न तो ख़तना कराने का कोई महत्त्व है और न ख़तना नहीं कराने का बल्कि उसमें तो प्रेम से पैदा होने वाले विश्वास का ही महत्त्व है।
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