Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
दाऊद की प्रार्थना।
1 मैं एक दीन, असहाय जन हूँ।
हे यहोवा, तू कृपा करके मेरी सुन ले, और तू मेरी विनती का उत्तर दे।
2 हे यहोवा, मैं तेरा भक्त हूँ।
कृपा करके मुझको बचा ले। मैं तेरा दास हूँ। तू मेरा परमेश्वर है।
मुझको तेरा भरोसा है, सो मेरी रक्षा कर।
3 मेरे स्वामी, मुझ पर दया कर।
मैं सारे दिन तेरी विनती करता रहा हूँ।
4 हे स्वामी, मैं अपना जीवन तेरे हाथ सौंपता हूँ।
मुझको तू सुखी बना मैं तेरा दास हूँ।
5 हे स्वामी, तू दयालु और खरा है।
तू सचमुच अपने उन भक्तों को प्रेम करता है, जो सहारा पाने को तुझको पुकारते हैं।
6 हे यहोवा, मेरी विनती सुन।
मैं दया के लिये जो प्रार्थना करता हूँ, उस पर तू कान दे।
7 हे यहोवा, अपने संकट की घड़ी में मैं तेरी विनती कर रहा हूँ।
मैं जानता हूँ तू मुझको उत्तर देगा।
8 हे परमेश्वर, तेरे समान कोई नहीं।
जैसे काम तूने किये हैं वैसा काम कोई भी नहीं कर सकता।
9 हे स्वामी, तूने ही सब लोगों को रचा है।
मेरी कामना यह है कि वे सभी लोग आयें और तेरी आराधना करें! वे सभी तेरे नाम का आदर करें!
10 हे परमेश्वर, तू महान है!
तु अद्भुत कर्म करता है! बस तू ही परमेश्वर है!
3 कहो, ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
“‘मिस्र के राजा फिरौन, मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ।
तुम नील नदी के किनारे विश्राम करते हुए विशाल दैत्य हो।
तुम कहते थे, “यह मेरी नदी है!
मैंने यह नदी बनाई है!”
4-5 “‘किन्तु मैं तुम्हारे जबड़े में आँकड़े दूँगा।
नील नदी की मछलियाँ तुम्हारी चमड़ी से चिपक जाएंगी।
मैं तुमको और तुम्हारी मछलियाँ को तुम्हारी नदियों से बाहर कर
सूखी भूमि पर फेंक दूँगा,
तुम धरती पर गिरोगे,
और कोई न तुम्हें उठायेगा, न ही दफनायेगा।
मैं तुम्हें जंगली जानवरों और पक्षियों को दूँगा,
तुम उनके भोजन बनोगे।
6 तब मिस्र में रहने वाले सभी लोग
जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ!
“‘मैं इन कामों को क्यों करूँगा?
क्योंकि इस्राएल के लोग सहारे के लिये मिस्र पर झुके,
किन्तु मिस्र केवल दुर्बल घास का तिनका निकला।
7 इस्राएल के लोग सहारे के लिये मिस्र पर झुके
और मिस्र ने केवल उनके हाथों और कन्धों को विदीर्ण किया।
वे सहारे के लिये तुम पर झुके
किन्तु तुमने उनकी पीठ को तोड़ा और मरोड़ दिया।’”
53 और फिर जब यीशु वहाँ से चला गया तो वे धर्मशास्त्री और फ़रीसी उससे घोर शत्रुता रखने लगे। बहुत सी बातों के बारे में वे उससे तीखे प्रश्न पूछने लगे। 54 क्योंकि वे उसे उसकी कही किसी बात से फँसाने की टोह में लगे थे।
फरीसियों जैसे मत बनो
12 और फिर जब हजारों की इतनी भीड़ आ जुटी कि लोग एक दूसरे को कुचल रहे थे तब यीशु पहले अपने शिष्यों से कहने लगा, “फरीसियों के ख़मीर से, जो उनका कपट है, बचे रहो। 2 कुछ छिपा नहीं है जो प्रकट नहीं कर दिया जायेगा। ऐसा कुछ अनजाना नहीं है जिसे जाना नहीं दिया जायेगा। 3 इसीलिये हर वह बात जिसे तुमने अँधेरे में कहा है, उजाले में सुनी जायेगी। और एकांत कमरों में जो कुछ भी तुमने चुपचाप किसी के कान में कहा है, मकानों की छतों पर से घोषित किया जायेगा।
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