Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
1 हे सज्जन लोगों, यहोवा में आनन्द मनाओ!
सज्जनो सत पुरुषों, उसकी स्तुति करो!
2 वीणा बजाओ और उसकी स्तुति करो!
यहोवा के लिए दस तार वाले सांरगी बजाओ।
3 अब उसके लिये नया गीत गाओ।
खुशी की धुन सुन्दरता से बजाओ!
4 परमेश्वर का वचन सत्य है।
जो भी वह करता है उसका तुम भरोसा कर सकते हो।
5 नेकी और निष्पक्षता परमेश्वर को भाती है।
यहोवा ने अपने निज करुणा से इस धरती को भर दिया है।
6 यहोवा ने आदेश दिया और सृष्टि तुरंत अस्तित्व में आई।
परमेश्वर के श्वास ने धरती पर हर वस्तु रची।
7 परमेश्वर ने सागर में एक ही स्थान पर जल समेटा।
वह सागर को अपने स्थान पर रखता है।
8 धरती के हर मनुष्य को यहोवा का आदर करना और डरना चाहिए।
इस विश्व में जो भी मनुष्य बसे हैं, उनको चाहिए कि वे उससे डरें।
9 क्योंकि परमेश्वर को केवल बात भर कहनी है, और वह बात तुरंत घट जाती है।
यदि वह किसी को रुकने का आदेश दे, तो वह तुरंत थम दाती है।
10 परमेश्वर चाहे तो सभी सुझाव व्यर्थ करे।
वह किसी भी जन के सब कुचक्रों को व्यर्थ कर सकता है।
11 किन्तु यहोवा के उपदेश सदा ही खरे होते है।
उसकी योजनाएँ पीढी पर पीढी खरी होती हैं।
12 धन्य हैं वे मनुष्य जिनका परमेश्वर यहोवा है।
परमेश्वर ने उन्हें अपने ही मनुष्य होने को चुना है।
अब्राम के साथ परमेश्वर की वाचा
15 इन बातों के हो जाने के बाद यहोवा का आदेश अब्राम को एक दर्शन में आया। परमेश्वर ने कहा,
“अब्राम, डरो नहीं।
मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा
और मैं तुम्हें एक बड़ा पुरस्कार दूँगा।”
2 किन्तु अब्राम ने कहा, “हे यहोवा ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे तू मुझे देगा और वह मुझे प्रसन्न करेगा। क्यों? क्योंकि मेरे पुत्र नहीं है। इसलिए मेरा दास दमिश्क का निओवासी एलीएजेर मेरे मरने के बाद मेरा सब कुछ पाएगा।” 3 अब्राम ने कहा, “तू ही देख, तूने मुझे कोई पुत्र नहीं दिया है। इसलिए मेरे घर में पैदा एक दास मेरी सभी चीज़ें पाएगा।”
4 तब यहोवा ने अब्राम से बातें कीं। परमेश्वर ने कहा, “तुम्हारी चीज़ों को तुम्हारा यह दास नहीं पाएगा। तुमको एक पुत्र होगा और तुम्हारा पुत्र ही तुम्हारी चीज़ें पाएगा।”
5 तब परमेश्वर अब्राम को बाहर ले गया। परमेश्वर ने कहा, “आकाश को देखो। अनेक तारों को देखो। ये इतने हैं कि तुम गिन नहीं सकते। भविष्य में तुम्हारा कुटुम्ब ऐसा ही होगा।”
6 अब्राम ने परमेश्वर पर विश्वास किया और परमेश्वर ने उसके विश्वास को एक अच्छा काम माना, 7 परमेश्वर ने अब्राम से कहा, “मैं ही वह यहोवा हूँ जो तुम्हें कसदियों के ऊर से बाहर लाया। यह मैंने इसलिए किया कि यह प्रदेश मैं तुम्हें दे सकूँ, तुम इस प्रदेश को अपने कब्ज़े में कर सको।”
8 किन्तु अब्राम ने कहा, “हे यहोवा, मेरे स्वामी, मुझे कैसे विश्वास हो कि यह प्रदेश मुझे मिलेगा?”
9 परमेश्वर ने अब्राम से कहा, “हम लोग एक वाचा बांधेंगे। तुम मुझको तीन वर्ष की एक गाय, तीन वर्ष की एक बकरी, और तीन वर्ष की एक भेड़ लाओ। एक फ़ाख्ता और एक कबूतर का बच्चा भी लाओ।”
10 अब्राम ये सभी चीज़ें परमेश्वर के पास लाया। अब्राम ने इन प्राणियों को मार डाला और हर एक के दो टुकड़े कर डाले। अब्राम ने एक आधा टुकड़ा एक तरफ तथा उसका दूसरा आधा टुकड़ा उसके विपरीत दूसरी तरफ रखा। अब्राम ने पक्षियों के दो टुकड़े नहीं किए। 11 थोड़ी देर बाद माँसहारी पक्षी वेदी पर चढ़ाए हुए मृत जीवों को खाने के लिए नीचे आए किन्तु अब्राम ने उनको भगा दिया।
12 बाद में सूरज डूबने लगा। अब्राम को गहरी नींद आ गयी। घन—घोर अंधकार ने उसे चारों तरफ से घेर लिया। 13 तब यहोवा ने अब्राम से कहा, “तुम्हें ये बातें जाननी चहिए। तुम्हारे वंशज विदेशी बनेंगे और वे उस देश में जांएगे जो उनका नहीं होगा। वे वहाँ दास होंगे। चार सौ वर्ष तक उनके साथ बुरा व्यवहार होगा। 14 मैं उस राष्ट्र का न्याय करूँगा तथा उसे सजा दूँगा, जिसने उन्हें गुलाम बनाया और जब तुम्हारे बाद आने बाले लोग उस देश को छेड़ेंगे तो अपने साथ अनेक अच्छी वस्तुएं ले जायेंगे।”
15 “तुम बहुत लम्बी आयु तक जीवित रहोगे। तुम शान्ति के साथ मरोगे और तुम अपने पुरखाओं के पास दफनाए जाओगे। 16 चार पीढ़ियों के बाद तुम्हारे लोग इसी प्रदेश में फिर आएंगे। उस समय तुम्हारे लोग एमोरियों को हरांएगे। यहाँ रहने वाले एमोरियों को, दण्ड देने के लिए मैं तुम्हारे लोगों का प्रयोग करूँगा। यह बात भविष्य में होगी क्योंकि एमोरी दण्ड पाने येग्य बुरे अभी नहीं हुए हैं।”
17 जब सूरज ढ़ल गया, तो बहुत अंधेरा छा गया। मृत जानवर अभी तक जमीन पर पड़े हुए थे। हर जानवर दो भागों में कटे पड़े थे। उसी समय धुएँ तथा आग का एक खम्भा[a] मरे जानवरों के तुकड़ों के बीच से गुजरा।[b]
18 इस तरह उस दिन यहोवा ने अब्राम को वचन दिया और उसके साथ वाचा की। यहोवा ने कहा, “मैं यह प्रदेश तुम्हारे वंशजों को दूँगा। मैं मिस्र की नदी और बड़ी नदी परात के बीच का प्रदेश उनको दूँगा। 19 यह देश केनी, कनिज्जी, कदमोनी, 20 हित्ती, परीज्जी, रपाई,
यीशु द्वारा बहुतों का उपचार
27 यीशु जब वहाँ से जाने लगा तो दो अन्धे व्यक्ति उसके पीछे हो लिये। वे पुकार रहे थे, “हे दाऊद के पुत्र, हम पर दया कर।”
28 यीशु जब घर के भीतर पहुँचा तो वे अन्धे उसके पास आये। तब यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम्हें विश्वास है कि मैं, तुम्हें फिर से आँखें दे सकता हूँ?” उन्होंने उत्तर दिया, “हाँ प्रभु!”
29 इस पर यीशु ने उन की आँखों को छूते हुए कहा, “तुम्हारे लिए वैसा ही हो जैसा तुम्हारा विश्वास है।” 30 और अंधों को दृष्टि मिल गयी। फिर यीशु ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा, “इसके विषय में किसी को पता नहीं चलना चाहिये।” 31 किन्तु उन्होंने वहाँ से जाकर इस समाचार को उस क्षेत्र में चारों ओर फैला दिया।
32 जब वे दोनों वहाँ से जा रहे थे तो कुछ लोग यीशु के पास एक गूँगे को लेकर आये। गूँगे में दुष्ट आत्मा समाई हुई थी और इसीलिए वह कुछ बोल नहीं पाता था। 33 जब दुष्ट आत्मा को निकाल दिया गया तो वह गूँगा, जो पहले कुछ भी नहीं बोल सकता था, बोलने लगा। तब भीड़ के लोगों ने अचरज से भर कर कहा, “इस्राएल में ऐसी बात पहले कभी नहीं देखी गयी।”
34 किन्तु फ़रीसी कह रहे थे, “वह दुष्टात्माओं को शैतान की सहायता से बाहर निकालता है।”
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