Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
1 यहोवा क स्तुति करा,
हे यहोवा क सेवकन, ओकर स्तुति करा।
यहोवा क नाउँ क बड़कई करा।
2 यहोवा क नाउँ अबहुँ
अउर सदा सदा बरे आसीसित होइ।
3 मोर इ कामना अहइ, यहोवा क नाउँ क गुण पूरब स जहाँ सूरज उगत ह,
पच्छिउँ तलक उ ठउरे मँ जहाँ सूरज बूड़त ह गावा जाइ।
4 यहोवा सबहिं रास्ट्रन स महान अहइ।
ओकर महिमा अकासे तलक उठति ह।
5 यहोवा हमरे परमेस्सर क नाई कउनो भी मनई नाहीं अहइ
जउन ऊँचाइ पइ विराजमान अहइ।
6 भले ही उ सबइ बातन क जउन धरती अउर आकासे पइ घटत ह,
लखइ बरे उ नीचे झुकिके निगाह डावइ ह।
7 परमेस्सर गरीब मनइयन क धूरि स उठावत ह।
उ ओनका क गन्दगी स निकारत ह।
8 परमेस्सर ओनका महत्वपूर्ण बनावत ह।
परमेस्सर ओन लोगन क महत्वपूर्ण मुखिया बनावत ह।
9 कउनो मेहरारू बे औलाद होइ सकत ह, किन्तु परमेस्सर ओका बच्चा स आसीसित करी,
अउर ओका खुस करी।
यहोवा क गुणगान करा।
30 राहेल लखेस कि उ याकूब बरे कउनो बच्चा क जन्म नाही देति अहइ। राहेल आपन बहिनी लिआ स जलन करइ लाग। ऍह बरे राहेल याकूब स कहेस, “मोका बच्चा द्या, वरना मइँ मरि जाब।”
2 याकूब राहेल प किरोध किहस। उ कहेस, “मइँ परमेस्सर नाही अहउँ। उ परमेस्सर ही बाटइ जउन तोहका बच्चन क जन्मइ स रोक दिहस ह।”
3 तब राहेल कहेस, “तू मोर दासी बिल्हा क लइ सकत ह। ओकरे संग सोआ अउ उ मोरे बरे बच्चा क जन्मी। तब मइँ ओकरे जरिये महतारी बनब।”
4 इ तरह राहेल आपन भतार याकूब बरे बिल्हा क दिहस। याकूब बिल्हा क संग तने क संबंध किहस। 5 बिल्हा गरभ धारण किहस अउ याकूब बरे एक पूत क जन्मेस।
6 राहेल कहेस, “परमेस्सर मोर पराथना सुनि लिहेस ह। उ मोका एक पूत देइ क ठान लिहस ह।” ऍह बरे राहेल इ पूत क नाउँ दान राखेस।
7 बिल्हा दुसरी दाईं गरभ धारण किहस अउ उ याकूब क दूसर पूत दिहस। 8 राहेल कहेस, “मइँ आपन बहिनी क संग कठोर संघर्स किहेउँ अउर मइँ जीत गएउँ ह।” ऍह बरे उ इ पूत क नाउँ नप्ताली धरेउँ ह।
9 लिआ सोचेस कि उ अउर जियादा बच्चन क जन्म नाही दइ सकित। ऍह बरे उ आपन दासी जिल्पा क याकूब बरे दिहस। 10 तब जिल्पा एक पूत क जन्म दिहस। 11 लिआ कहेस, “मोर भाग्य बाटइ। अब मेहररुअन मोका भाग्यवती कइही।” ऍह बरे उ पूत क नाउँ गाद राखेस। 12 जिल्पा दूसर पूत क जन्मेस। 13 लिआ कहेस, “मइँ बहोतइ खुस अहउँ। मेहरारु मोका ‘खुस’ नाउँ स पुकारब्या।” ऍह बरे उ लरिका क नाउँ आसेर धरेस।
14 गोहु कटनी क समइ रूबेन खेतन मँ गवा अउ कछू दूदाफल[a] न क लखेस। रूबेन इ दूदाफलन क आपन महतारी लिआ क लगे लिआवा। मुला राहेल लिआ स कहेस, “कृपा कइके आपन पूत क दूदाफलन मँ स कछू मोका दइ द्या।”
15 लिआ जवाब दिहस, “तू तउ मोरे भतार क पहिले ही लइ लिहे ह। अब तू मोरे पूत क दूदाफलन क भी लइ लेइ चाहत अहा।”
मुला राहेल जवाब दिहस, “अगर तू आपन पूत क दूदाफल मोका देब्या तू आज रात याकूब क संग सोइ सकित ह।”
16 उ रात याकूब खेते स लउटा। लिआ ओका लखेस अउ उ ओसे मिलइ गइ। उ कहेस, “आज राति तू मोरे संग सोउब्या। मइँ आपन पूत क दूदाफलन क तोहरे दाम क रुप मँ दिहेउँ ह।” ऍह बरे याकूब उ रात लिआ क संग सोवा।
17 तब परमेस्सर लिआ क फुन गरभधारण करइ दिहस। उ पाँचवें पूत क जन्म दिहस। 18 लिआ कहेस, “परमेस्सर मोका इ बात क ईनाम दिहस ह कि मइँ आपन दासी क आपन भतार क दिहेउँ ह।” ऍह बरे लिआ आपन पूत क नाउँ इस्साकार धरेस।
19 लिआ फुन गरभधारण किहस अउ उ छठवें पूत क जन्म दिहस। 20 लिआ कहेस, “परमेस्सर मोका एक ठु सुन्नर भेंट दिहस ह। अब सचमुच ही याकूब मोका अपनाई, काहेकि मइँ ओका छ: लरिका दिहेउँ ह।” ऍह बरे लिआ पूत क नाउँ जबूलून धरेस।
21 एकरे पाछे लिआ एक बिटिया क जन्म दिहस। उ बिटिया क नाउँ दीना राखेस।
22 तब परमेस्सर राहेल क पराथना सुनेस। परमेस्सर राहेल बरे बच्चा पइदा करब संभव बनाएस। 23 राहेल गरभ धारण किहेस अउ एक पूत क जन्म दिहस। राहेल कहेस, “परमेस्सर मोर लाज खतम कइ दिहस ह अउ मोका एक पूत दिहस ह।” 24 ऍह बरे राहेल आपन पूत क नाउ यूसूफ राखेस। अउर उ कहेस, “परमेस्सर मोका एक अउर पूत देइ।”
हमका महिमा मिले
18 काहेकि मोरे बिचार मँ एह समइ क हमार सबइ यातना क परगट होइवाली भावी महिमा क आगे कछूउ नाहीं बा। 19 काहेकि इ सृस्टि बड़ी आसा स ओह समइ क इन्तजार करत बाटइ जब परमेस्सर क संतान क परगट कीन्ह जाई। 20 इ सृस्टि निःसार रही अपने इच्छा स नाहीं, बल्कि ओकरी इच्छा स जे एका एह परिवर्तन क अधीन किहेस 21 कि इहउ कभउँ आपन बिनासमान होइ स छुटकारा पाइ क परमेस्सर क सन्तान क सानदार स्वतन्त्रता क आनन्द लेई।
22 काहेकि हम जानित ह कि आजु तलक समूची सृस्टि प्रसव पीड़ा मँ कराहत अउ तड़पत रही बाटइ। 23 न केवल इ सृस्टि बल्कि हमहूँ जेका आतिमा क पहिला फल मिला बा, अपने भितर कराहत रहे बाटेन। काहेकि हमका ओकरे जरिये पूरी तरह अपनावा जाइ क इन्तजार अहइ कि हमार देह मुक्त होइ जाइ। 24 हमार उदूधार भवा बा। इही स हमरे मने मँ आसा बा परन्तु जब हम जेकर आसा करित ह ओका देखि लेइत ह तउ उ आसा नाहीं रहत। जउन देखात बाटइ ओकर आसा कउन कई सकत ह। 25 परन्तु अगर जेका हम देखत नाहीं अही ओकर आसा करित ह तउ धीरज अउर सहनसीलता क साथे ओकर रस्ता जोहित ह।
26 अइसन ही जइसेन हम कराहत अही, आतिमा हमरे दुर्बलता मँ हमार सहायता करइ आवत ह काहेकि हम नाहीं जानित ह कि हम केकरे बरे पराथना करी! परन्तु आतिमा खुद अइसेन आह भरिके जेकर सबदन मँ जाहिर नाहीं कीन्ह जाइ सकत हमरे बरे बिनती करत ह। 27 परन्तु उ जउन लोगन क दिल क देख सकत ह वह जानत ह कि आतिमा क मन्सा का अहइ। काहेकि परमेस्सर क इच्छा स ही उ परमेस्सर क पवित्तर लोग क बरे बीच बिचाऊ करत ह।
28 अउर हम जानित ह कि हर परिस्थिति मँ उ आतिमा परमेस्सर क भक्तन क साथे मिलिके उ काम करत ह जउन भलाइ ही लियावत हीं ओन्हन सबके बरे जेका ओकरे प्रयोजन क अनुसार इ बोलावा गवा बा। 29 जेका उ पहिले ही चुनेस ओनका पहिलौटी क पूत क रूप मँ ठहराएस ताकि बहुत स भाइयो तथा बहिनियो! मँ उ पहलौठी बनि सकइ। 30 जेनका उ पहिले स निस्चित किहेस उहूँ क उ बोलाएस अउर जेनका उ बोलाएस, ओनका उ धर्मी ठहराएस। अउर जेका उ धर्मी ठहराएस, ओनका महिमा प्रदान किहेस।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.