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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 22:1-15

प्रभात की हरिणी नामक राग पर संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक भजन।

हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर!
    तूने मुझे क्यों त्याग दिया है? मुझे बचाने के लिये तू क्यों बहुत दूर है?
    मेरी सहायता की पुकार को सुनने के लिये तू बहुत दूर है।
हे मेरे परमेश्वर, मैंने तुझे दिन में पुकारा
    किन्तु तूने उत्तर नहीं दिया,
और मैं रात भर तुझे पुकाराता रहा।

हे परमेश्वर, तू पवित्र है।
    तू राजा के जैसे विराजमान है। इस्राएल की स्तुतियाँ तेरा सिंहासन हैं।
हमारे पूर्वजों ने तुझ पर विश्वस किया।
    हाँ! हे परमेश्वर, वे तेरे भरोसे थे! और तूने उनको बचाया।
हे परमेश्वर, हमारे पूर्वजों ने तुझे सहायता को पुकारा और वे अपने शत्रुओं से बच निकले।
    उन्होंने तुझ पर विश्वास किया और वे निराश नहीं हुए।
तो क्या मैं सचमुच ही कोई कीड़ा हूँ,
    जो लोग मुझसे लज्जित हुआ करते हैं और मुझसे घृणा करते हैं
जो भी मुझे देखता है मेरी हँसी उड़ाता है,
    वे अपना सिर हिलाते और अपने होठ बिचकाते हैं।
वे मुझसे कहते हैं कि, “अपनी रक्षा के लिये तू यहोवा को पुकार ही सकता है।
    वह तुझ को बचा लोगा।
    यदि तू उसको इतना भाता है तो निश्चय ही वह तुझ को बचा लोगा।”

हे परमेश्वर, सच तो यह है कि केवल तू ही है जिसके भरोसा मैं हूँ। तूने मुझे उस दिन से ही सम्भाला है, जब से मेरा जन्म हुआ।
    तूने मुझे आश्वस्त किया और चैन दिया, जब मैं अभी अपनी माता का दूध पीता था।
10 ठीक उसी दिन से जब से मैं जन्मा हूँ, तू मेरा परमेश्वर रहा है।
    जैसे ही मैं अपनी माता की कोख से बाहर आया था, मुझे तेरी देखभाल में रख दिया गया था।

11 सो हे, परमेश्वर! मुझको मत बिसरा,
    संकट निकट है, और कोई भी व्यक्ति मेरी सहायता को नहीं है।
12 मैं उन लोगों से घिरा हूँ,
    जो शक्तिशाली साँड़ों जैसे मुझे घेरे हुए हैं।
13 वे उन सिंहो जैसे हैं, जो किसी जन्तु को चीर रहे हों
    और दहाड़ते हो और उनके मुख विकराल खुले हुए हो।

14 मेरी शक्ति
    धरती पर बिखरे जल सी लुप्त हो गई।
मेरी हड्डियाँ अलग हो गई हैं।
    मेरा साहस खत्म हो चुका है।
15 मेरा मुख सूखे ठीकर सा है।
    मेरी जीभ मेरे अपने ही तालू से चिपक रही है।
    तूने मुझे मृत्यु की धूल में मिला दिया है।

अय्यूब 17

17 “मेरा मन टूट चुका है।
    मेरा मन निराश है।
मेरा प्राण लगभग जा चुका है।
    कब्र मेरी बाट जोह रही है।
लोग मुझे घेरते हैं और मुझ पर हँसते हैं।
    जब लोग मुझे सताते हैं और मेरा अपमान करते है, मैं उन्हें देखता हूँ।

“परमेश्वर, मेरे निरपराध होने का शपथ—पत्र मेरा स्वीकार कर।
    मेरी निर्दोषता की साक्षी देने के लिये कोई तैयार नहीं होगा।
मेरे मित्रों का मन तूने मूँदा अत:
    वे मुझे कुछ नहीं समझते हैं।
    कृपा कर उन को मत जीतने दे।
लोगों की कहावत को तू जानता है।
    मनुष्य जो ईनाम पाने को मित्र के विषय में गलत सूचना देते हैं,
    उनके बच्चे अन्धे हो जाया करते हैं।
परमेश्वर ने मेरा नाम हर किसी के लिये अपशब्द बनाया है
    और लोग मेरे मुँह पर थूका करते हैं।
मेरी आँख लगभग अन्धी हो चुकी है क्योंकि मैं बहुत दु:खी और बहुत पीड़ा में हूँ।
    मेरी देह एक छाया की भाँति दुर्बल हो चुकी है।
मेरी इस दुर्दशा से सज्जन बहुत व्याकुल हैं।
    निरपराधी लोग भी उन लोगों से परेशान हैं जिनको परमेश्वर की चिन्ता नहीं है।
किन्तु सज्जन नेकी का जीवन जीते रहेंगे।
    निरपराधी लोग शक्तिशाली हो जायेंगे।

10 “किन्तु तुम सभी आओ और फिर मुझ को दिखाने का यत्न करो कि सब दोष मेरा है।
    तुममें से कोई भी विवेकी नहीं।
11 मेरा जीवन यूँ ही बात रहा है।
    मेरी याजनाऐं टूट गई है और आशा चली गई है।
12 किन्तु मेरे मित्र रात को दिन सोचा करते हैं।
    जब अन्धेरा होता है, वे लोग कहा करते हैं, ‘प्रकाश पास ही है।’

13 “यदि मैं आशा करूँ कि अन्धकारपूर्ण कब्र
    मेरा घर और बिस्तर होगा।
14 यदि मैं कब्र से कहूँ ‘तू मेरा पिता है’
    और कीड़े से ‘तू मेरी माता है अथवा तू मेरी बहन है।’
15 किन्तु यदि वह मेरी एकमात्र आशा है तब तो कोई आशा मुझे नहीं हैं
    और कोई भी व्यक्ति मेरे लिये कोई आशा नहीं देख सकता है।
16 क्या मेरी आशा भी मेरे साथ मृत्यु के द्वार तक जायेगी?
    क्या मैं और मेरी आशा एक साथ धूल में मिलेंगे?”

इब्रानियों 3:7-19

अविश्वास के विरुद्ध चेतावनी

इसलिए पवित्र आत्मा कहता है:

“आज यदि उसकी आवाज़ सुनो!
    अपने हृदय जड़ मत करो, जैसे बगावत के दिनों में किये थे।
    जब मरुस्थल में परीक्षा हो रही थी।
मुझे तुम्हारे पूर्वजों ने परखा था, उन्होंने मेरे धैर्य की परीक्षा ली और मेरे कार्य देखे,
    जिन्हें मैं चालीस वर्षों से करता रहा!
10 वह यही कारण था जिससे मैं
    उन जनों से क्रोधित था, और फिर मैंने कहा था,
    ‘इनके हृदय सदा भटकते रहते हैं ये मेरे मार्ग जानते नहीं हैं।’
11 मैंने क्रोध में इसी से तब शपथ
    लेकर कहा था, ‘वे कभी मेरे विश्राम में सम्मिलित नहीं होंगे।’”(A)

12 हे भाईयों, देखते रहो कहीं तुममें से किसी के मन में पाप और अविश्वास न समा जाये जो तुम्हें सजीव परमेश्वर से ही दूर भटका दे। 13 जब तक यह “आज” का दिन कहलाता है, तुम प्रतिदिन परस्पर एक दूसरे का धीरज बँधाते रहो ताकि तुममें से कोई भी पाप के छलावे में पड़कर जड़ न बन जाये। 14 यदि हम अंत तक दृढ़ता के साथ अपने प्रारम्भ के विश्वास को थामे रहते हैं तो हम मसीह के भागीदार बन जाते हैं। 15 जैसा कि कहा भी गया है:

“यदि आज उसकी आवाज सुनो,
    अपने हृदय जड़ मत करो, जैसे बगावत के दिनों में किये थे।”(B)

16 भला वे कौन थे जिन्होंने सुना और विद्रोह किया? क्या वे, वे ही नहीं थे जिन्हें मूसा ने मिस्र से बचा कर निकाला था? 17 वह चालीस वर्षों तक किन पर क्रोधित रहा? क्या उन्हीं पर नहीं जिन्होंने पाप किया था और जिनके शव मरुस्थल में पड़े रहे थे? 18 परमेश्वर ने किनके लिए शपथ उठायी थी कि वे उसकी विश्राम में प्रवेश नहीं कर पायेंगे? क्या वे ही नहीं थे जिन्होंने उसकी आज्ञा का उल्लंघन किया था? 19 इस प्रकार हम देखते हैं कि वे अपने अविश्वास के कारण ही वहाँ प्रवेश पाने में समर्थ नहीं हो सके थे।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International