Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
अगमबानी अऊ अनजान भासा के बरदान
14 मया म चलव अऊ आतमिक बरदानमन के धुन म रहव, खास करके अगमबानी करे के बरदान पाय के धुन म रहव। 2 कहूं कोनो अनजान भासा म बोलथे, त ओह मनखेमन ले नइं, पर परमेसर ले गोठियाथे, काबरकि ओकर बात ला कोनो नइं समझंय; ओह अपन आतमा म भेद के बात गोठियाथे। 3 पर जऊन ह अगमबानी करथे, ओह मनखेमन ले ओमन के उन्नति, उत्साह अऊ सांति के बात करथे। 4 जऊन ह अनजान भासा म गोठियाथे, ओह अपन खुद के मदद करथे, पर जऊन ह अगमबानी करथे, ओह कलीसिया के उन्नति म मदद करथे। 5 मेंह चाहथंव कि तुमन जम्मो झन अनजान भासा म गोठियावव, पर ओकर ले घलो जादा मेंह ए चाहथंव कि तुमन अगमबानी करव। काबरकि जऊन ह अनजान भासा म गोठियाथे, यदि ओह कलीसिया के उन्नति बर अनुवाद नइं करय, त फेर अगमबानी करइया के महत्व ओकर ले बढ़ के ए।
6 एकरसेति, हे भाईमन हो, कहूं मेंह तुम्हर करा आके अनजान भासामन म गोठियावंव, अऊ तुम्हर ले नवां बात, या गियान या अगमबानी या उपदेस के बात नइं करंव, त फेर मोर ले तुमन ला का फायदा होही? 7 एहीच किसम ले ओ निरजीव बाजामन, जेमन ले अवाज निकरथे, जइसने कि बांसुरी या बीना; यदि एमन के स्वर म फरक नइं ए, त कोनो कइसने जानही कि का बाजा ह बजत हवय? 8 अऊ यदि बिगुल के अवाज ह साफ सुनई नइं देवय, त फेर कोन ह लड़ई बर तियार होही? 9 वइसनेच बात, तुम्हर संग घलो अय। यदि तुमन साफ-साफ बात नइं कहिथव, त फेर कोनो कइसने जानही कि तुमन का गोठियावत हव? तुमन तो हवा ले बात करइया होहू। 10 संसार म कतको किसम के भासा हवय; पर ओम के कोनो घलो भासा बिगर अर्थ के नइं ए। 11 यदि कोनो गोठियावत हवय अऊ मेंह ओकर भासा ला नइं समझत हवंव, त मेंह ओकर नजर म परदेसी ठहरहूं अऊ ओह मोर नजर म परदेसी ठहरही। 12 वइसनेच बात तुम्हर संग घलो अय। जब तुमन आतमिक बरदान के धुन म हवय, त ए कोसिस करव कि ए बरदानमन के जादा से जादा उपयोग कलीसिया के उन्नति बर होवय।
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