Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
12 तुमन पबितर अऊ बहुंते मयारू अव। एकरसेति, परमेसर के चुने मनखेमन सहीं, अपन-आप ला तरस, दया, दीनता, नमरता अऊ धीरज ले भर लेवव। 13 एक-दूसर के सहन करव अऊ एक-दूसर ला छेमा करव, चाहे एक-दूसर के बिरोध म कोनो घलो किसम के सिकायत होवय। छेमा करव, जइसने परभू ह तुमन ला छेमा करिस। 14 अऊ ए जम्मो बात के ऊपर मया ला बनाय रखव, जऊन ह तुमन ला सही एकता म एक संग बांधके रखथे।
15 मसीह के सांति तुम्हर हिरदय म बने रहय, जइसने कि तुमन एक देहें के अंग के रूप म बलाय गे हवव। अऊ धनबाद देवइया बने रहव। 16 मसीह के बचन ह तुमन म बहुंतायत से बने रहय, जइसने कि तुमन बड़ समझदारी के संग एक-दूसर ला सीखोथव अऊ सलाह देथव, अऊ जइसने कि अपन हिरदय म धनबाद सहित परमेसर बर भजन, इस्तुति अऊ आतमिक गीत गाथव। 17 अऊ जऊन कुछू घलो तुमन कहिथव अऊ करथव, ए जम्मो बात परभू यीसू के नांव म करव अऊ परभू यीसू के जरिये परमेसर ददा ला धनबाद देवव।
यीसू ह मंदिर म
41 हर एक साल यीसू के दाई-ददा फसह के तिहार खातिर यरूसलेम जाय करत रिहिन। 42 जब यीसू ह बारह साल के होईस, त ओमन रीति-रिवाज के मुताबिक तिहार मनाय बर गीन। 43 जब तिहार ह सिरा गे, त ओमन वापिस घर लहुंटत रिहिन, पर यीसू ह यरूसलेम म रूक गीस, अऊ ओकर दाई-ददा ए बात ला नइं जानत रहंय। 44 ए सोचत कि ओह मनखेमन के संग म होही, ओमन एक दिन के रसता चल दीन। तब ओमन ओला अपन सगा-संबंधी अऊ संगवारी मन के बीच म खोजे लगिन। 45 जब ओह नइं मिलिस, त ओमन ओला खोजत यरूसलेम वापिस चल दीन। 46 तीन दिन के बाद, ओमन ओला मंदिर के अंगना म गुरूमन के बीच म बईठे पाईन। ओह गुरूमन के बात ला सुनत अऊ ओमन ले सवाल पुछत रहय। 47 जऊन मन ओकर बात ला सुनत रहंय, ओ जम्मो झन ओकर समझ अऊ जबाब ले चकित होवत रहंय। 48 जब ओकर दाई-ददा ओला देखिन, त अचम्भो करिन। ओकर दाई ह कहिस, “बेटा, तेंह हमर संग अइसने काबर करे? देख! तोर ददा अऊ में फिकर म पड़के तोला खोजत रहेंन।”
49 ओह अपन दाई-ददा ला कहिस, “तुमन मोला काबर खोजत रहेव? का तुमन ए नइं जानत रहेव कि मोला अपन ददा (परमेसर) के घर म रहना जरूरी ए?” 50 पर ओमन ओकर बात ला नइं समझिन।
51 तब यीसू ह ओमन के संग नासरत गीस अऊ ओमन के अधीन म रिहिस। पर ओकर दाई ह ए जम्मो बात ला अपन मन म रखिस। 52 अऊ यीसू ह बुद्धि अऊ डील-डौल म, अऊ परमेसर अऊ मनखेमन के अनुग्रह म बढ़त गीस।
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