Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
9 गरीब आदमी ए बात के घमंड करय कि ओह परमेसर के नजर म बड़े अय। 10 अऊ धनवान मनखे ह खुस होवय कि परमेसर ह ओला दीन-हीन करे हवय। काबरकि ओह जंगली फूल सहीं खतम हो जाही। 11 जब सूरज ह निकरथे, त अब्बड़ घाम पड़थे अऊ पौधा ला सूखा देथे; ओकर फूल ह झर जाथे अऊ ओकर सुघरपन ह खतम हो जाथे; ओहीच किसम ले, धनवान घलो अपन काम ला करत नास हो जाही।
12 धइन ए ओ मनखे, जऊन ह जिनगी के परिछा म डोले नइं; काबरकि ओह चोखा निकरके जिनगी के ओ मुकुट ला पाही याने कि सदाकाल के जिनगी पाही, जेकर वायदा परभू ह अपन मया करइयामन ले करे हवय। 13 जब काकरो परिछा होथे, त ओह ए झन कहय कि मोर परिछा परमेसर ह करत हवय, काबरकि न तो खराप बात ले परमेसर के परिछा हो सकथे अऊ न ही ओह काकरो परिछा खुद करथे।
14 पर हर एक मनखे अपनेच खराप ईछा के कारन फंसथे अऊ परिछा म पड़थे। 15 तब खराप ईछा ह बढ़के पाप ला जनमथे अऊ जब पाप ह बढ़ जाथे, त मनखे के आतमिक मिरतू हो जाथे।
16 हे मोर भाईमन, भोरहा म झन रहव।
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