Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
परभू के अवई बर तियार रहव
5 अब हे भाईमन हो, परभू के आय के समय अऊ तारिख के बारे म तुमन ला लिखे के जरूरत नइं ए? 2 काबरकि तुमन खुद जानत हव कि परभू के दिन ह अइसने आही, जइसने चोर ह रतिहा आथे। 3 जब मनखेमन कहत होहीं कि सांति हवय अऊ जम्मो बने हवय, तभे जइसने देहें बोहे माईलोगन ला छुवारी होय के पीरा होथे, वइसने अचानक बिनास ह ओमन के ऊपर आ पड़ही अऊ ओमन बिनास ले बच नइं सकहीं।
4 पर हे भाईमन हो, तुमन तो अंधियार म नइं अव कि ए दिन ह तुमन ला एक चोर के सहीं अचम्भो म डारय। 5 तुमन जम्मो झन अंजोर के संतान अऊ दिन के संतान अव। हमन रतिहा या अंधियार के संतान नो हन। 6 एकरसेति, आवव, हमन आने मन सहीं सोवत नइं रहन, पर जागत अऊ सचेत रहन। 7 काबरकि जऊन मन सुतथें, ओमन रतिहा सुतथें अऊ जऊन मन पीके मतवाल बनथें, ओमन रतिहा पीके मतवाल बनथें। 8 पर जब हमन ह दिन के अन, त आवव, हमन छाती के कवच के रूप म बिसवास अऊ मया ला पहिरके अऊ टोप के रूप म उद्धार के आसा ला पहिरके सचेत रहन। 9 काबरकि परमेसर ह हमन ला दंड भोगे बर नइं, पर हमर परभू यीसू मसीह के दुवारा उद्धार पाय बर ठहिराय हवय। 10 मसीह ह हमर खातिर मर गीस, ताकि चाहे हमन जीयत रहन या मर जावन, हमन ओकरे संग रहन। 11 एकर खातिर, एक-दूसर ला उत्साहित करव अऊ एक-दूसर के बढ़ती म मदद करव, जइसने कि तुमन अभी करत घलो हवव।
सिक्कामन के पटंतर
(लूका 19:11-27)
14 “स्वरग के राज ह ओ मनखे के सहीं अय, जऊन ह परदेस जावत बेरा अपन सेवकमन ला बलाईस अऊ ओमन ला अपन संपत्ति सऊंप दीस। 15 हर एक ला ओह ओमन के काबिलियत के मुताबिक दीस; एक सेवक ला ओह पांच सिक्का, दूसर ला दू सिक्का अऊ तीसरा ला एक सिक्का दीस। अऊ तब ओह परदेस चल दीस[a]। 16 जऊन सेवक ला पांच सिक्का मिले रिहिस, ओह तुरते गीस अऊ ओ सिक्का ले लेन-देन करके पांच सिक्का अऊ कमा लीस। 17 वइसने जऊन सेवक ला दू सिक्का मिले रिहिस, ओह घलो दू सिक्का अऊ कमाईस। 18 पर जऊन सेवक ला एक ठन सिक्का मिले रिहिस, ओह गीस अऊ भुइयां ला खन के अपन मालिक के पईसा ला उहां लुका दीस।
19 बहुंत समय के बाद, ओ सेवकमन के मालिक ह लहुंटिस अऊ ओमन ले हिसाब मांगिस। 20 जऊन सेवक ला पांच सिक्का मिले रिहिस, ओह पांच सिक्का अऊ लेके आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, तेंह मोला पांच सिक्का देय रहय। देख, मेंह पांच सिक्का अऊ कमाय हवंव।’
21 ओकर मालिक ह ओला कहिस, ‘बहुंत अछा करय। तेंह बने अऊ ईमानदार सेवक अस। तेंह थोरकन म ईमानदार रहय। मेंह तोला बहुंत चीजमन ऊपर अधिकार दूहूं। आ अऊ अपन मालिक के खुसी म सामिल हो जा।’
22 जऊन सेवक ला दू सिक्का मिले रिहिस, ओह घलो आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, तेंह मोला दू ठन सिक्का देय रहय। देख, मेंह दू ठन सिक्का अऊ कमाय हवंव।’
23 ओकर मालिक ह ओला कहिस, ‘बहुंत अछा करय। तेंह बने अऊ ईमानदार सेवक अस। तेंह थोरकन म ईमानदार रहय। मेंह तोला बहुंत चीजमन ऊपर अधिकार दूहूं। आ अऊ अपन मालिक के खुसी म सामिल हो जा।’
24 तब जऊन सेवक ला एक सिक्का मिले रिहिस, ओह आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, मेंह जानत रहेंव कि तेंह एक कठोर मनखे अस। तेंह जिहां नइं बोए रहस, उहां ले लूथस, अऊ जिहां बीजा नइं बगराय रहस, उहां ले संकेलथस। 25 एकरसेति मेंह डर्रा गेंव अऊ बाहिर जाके मेंह तोर सिक्का ला भुइयां म गड़िया देंव; ए हवय तोर सिक्का।’
26 ओकर मालिक ह ओला कहिस, ‘दुस्ट अऊ अलाल सेवक! जब तेंह जानत रहय कि जिहां मेंह नइं बोए रहंव, उहां ले लूथंव, अऊ जिहां बीजा नइं बगराय रहंव, उहां ले संकेलथंव। 27 त तोला मोर पईसा ला साहूकारमन के इहां जमा कर देना रिहिस, ताकि जब मेंह वापिस आयेंव, त ओला बियाज सहित ले लेतेंव।’
28 मालिक ह अपन आने सेवकमन ला कहिस, ‘ए सिक्का ला एकर ले लेय लव, अऊ ओला दे दव, जेकर करा दस ठन सिक्का हवय। 29 काबरकि जेकर करा हवय ओला अऊ देय जाही अऊ ओकर करा बहुंत हो जाही; पर जेकर करा नइं ए, ओकर ले ओला घलो ले लिये जाही, जऊन ह ओकर करा हवय। 30 ए बेकार सेवक ला बाहिर अंधियार म फटिक दव, जिहां ओह रोही अऊ अपन दांत पीसही।’ ”
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