Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
20 हे भाईमन हो, अपन सोच-समझ म, लइकामन सहीं झन बनव। बुरई के बात म छोटे लइका सहीं बने रहव, पर अपन सोच-समझ म सियान बनव। 21 मूसा के कानून म लिखे हवय:
“परभू ह कहिथे,
‘अनजान भासा बोलइया मनखे के जरिये अऊ
परदेसी मनखेमन के जरिये
मेंह मनखेमन ले गोठियाहूं।’[a]”
22 अनजान भासा ह बिसवासीमन बर नइं, पर अबिसवासीमन बर एक चिन्हां अय, जबकि अगमबानी ह अबिसवासीमन बर नइं, पर बिसवासीमन बर चिन्हां ए। 23 एकरसेति कहूं जम्मो कलीसिया एक जगह जुरथे अऊ हर एक जन अनजान भासा म गोठियाय लगथे; तब कहूं कुछू बाहिर के मनखे या फेर कुछू अबिसवासी मनखे उहां आथें, त का ओमन ए नइं कहिहीं कि तुम्हर दिमाग ह खराप हो गे हवय? 24 पर यदि जम्मो झन अगमबानी करे लगंय अऊ कोनो अबिसवासी या फेर कोनो बाहिर के मनखे उहां आ जावय, त उहां जऊन कुछू सुनथे, ओकर दुवारा ओला बिसवास हो जाही कि ओह एक पापी मनखे ए, अऊ जऊन कुछू ओह सुनथे, ओकर दुवारा ओह परखे जाही, 25 अऊ ओकर मन के भेद ह खुल जाही। तब ओह माड़ी के भार गिरके परमेसर के अराधना करही अऊ चिचियाके कहिही, “परमेसर ह सही म तुम्हर बीच म हवय।”
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