Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
बाबूल सहर के बिनास
18 एकर बाद मेंह एक अऊ स्वरगदूत ला स्वरग ले उतरत देखेंव। ओकर करा बड़े अधिकार रिहिस अऊ धरती ह ओकर सोभा ले जगमगा गीस। 2 ओह ऊंचहा अवाज म चिचियाके कहिस,
“सतियानास हो गीस! बड़े सहर बाबूल ह सतियानास हो गीस!
ओह भूतमन के अऊ जम्मो दुस्ट आतमामन के
अऊ जम्मो असुध अऊ घिन-घिन चिरईमन के डेरा हो गे हवय।
3 काबरकि जम्मो देस के मनखेमन ओकर छिनारीपन के मंद ला पीये हवंय।
धरती के राजामन ओकर संग छिनारी करिन
अऊ धरती के बेपारीमन ओकर बिलासिता के धन ले धनवान हो गे हवंय।”
4 तब मेंह स्वरग ले एक अऊ अवाज सुनेंव, जऊन ह ए कहत रहय:
“हे मोर मनखेमन, ओ सहर म ले निकर आवव,
ताकि तुमन ओकर पाप के भागी झन होवव
अऊ ओकर कोनो बिपत्ती तुम्हर ऊपर झन पड़य।
5 काबरकि ओकर पाप के घघरी ह भर गे हवय,
अऊ परमेसर ह ओकर अपराध ला सुरता करे हवय।
6 ओकर संग वइसने करव,
जइसने ओह तुम्हर संग करे हवय।
ओकर कुकरम के दू गुना बदला चुकावव।
जऊन कटोरा म ओह भरे हवय,
ओ कटोरा म ओकर बर दू गुना भर देवव।
7 ओह जतेक डींग मारे हवय अऊ जतेक भोग-बिलास करे हवय,
ओला ओतके दुःख अऊ तकलीफ देवव।
ओह अपन मन म कहिथे,
‘मेंह रानी सहीं बईठथंव;
मेंह बिधवा नो हंव, अऊ मेंह कभू दुःख नइं मनाहूं।’
8 एकरसेति एकेच दिन म ओकर ऊपर मिरतू,
सोक अऊ अकाल के बिपत्ती आ पड़ही।
ओह आगी म भसम हो जाही।
काबरकि जऊन ह ओकर नियाय करथे, ओह सर्वसक्तिमान परभू परमेसर ए।
9 धरती के जऊन राजामन ओकर संग छिनारी अऊ भोग-बिलास करिन, ओमन जब ओकर जरे के धुआं ला देखहीं, त ओमन रोहीं अऊ ओकर बर सोक मनाहीं। 10 ओमन ओकर पीरा ले डरके दूरिहा म ठाढ़ होहीं अऊ ए कहिहीं,
‘हे महान सहर! हाय! तोर ऊपर हाय!
हे बाबूल, सक्तिसाली सहर! एकेच घंटा म तोला तोर दंड मिल गीस।’
19 ओमन अपन मुड़ी ऊपर धूर्रा ला डारहीं, अऊ रोवत अऊ कलपत ओमन चिचिया-चिचियाके कहिहीं:
‘हे महान सहर! हाय! तोर ऊपर हाय!
एह ओ सहर ए,
जेकर धन के जरिये समुंदर के जम्मो जहाज के मालिकमन धनी हो गीन।
एकेच घंटा म, ओह नास हो गीस।’
20 हे स्वरग म रहइयामन अऊ पबितर मनखे अऊ प्रेरित अऊ अगमजानीमन!
ओकर बिनास ऊपर आनंद मनावव।
ओह तुम्हर संग जइसने बरताव करे रिहिस,
परमेसर ह ओला ओकर सजा दे हवय।”
Copyright: New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) Copyright © 2012, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.