Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
13 अब मेंह तुमन ले गोठियावत हंव, आनजातमन हो! जब तक मेंह तुमन खातिर प्रेरित अंव, तब तक मेंह अपन सेवा ला बढ़ावत हंव, 14 ताकि कोनो भी किसम ले, मेंह अपन यहूदी मनखेमन म जलन पैदा करंव अऊ ओम के कुछू झन के उद्धार होवय। 15 काबरकि यदि ओमन के तियागे जवई ह परमेसर के संग संसार के मेल मिलाप के कारन बनिस, त ओमन के गरहन करे जवई के मतलब ओमन बर जिनगी होही, जऊन मन मर गे हवंय। 16 यदि पहिली फर के रूप म, परमेसर ला चघाय गुंथे पिसान के कुछू भाग ह पबितर अय, त फेर जम्मो गुंथे पिसान ह घलो पबितर अय, अऊ यदि रूख के जरी ह पबितर अय, त फेर ओ रूख के डंगालीमन घलो पबितर अंय।
17 यदि जैतून रूख के कुछू डंगालीमन ला टोर देय गे हवय; अऊ ओमन के जगह म, तुमन ला जऊन मन जंगली जैतून रूख के पीका सहीं अव, जोड़े गे हवय अऊ तुम्हर पालन-पोसन ओ जैतून रूख के जरी ले होवत हवय, याने कि तुम आनजातमन यहूदीमन के आसिस म भागीदार हो गे हवव, 18 त ओ डंगाली ऊपर घमंड झन कर। यदि तेंह घमंड करथस, त ए बात ला सुरता रख कि तेंह जरी ला नइं संभाले हवस, पर जरी ह तोला संभाले हवय। 19 तब तेंह कहिबे, “डंगालीमन ला टोरे गीस ताकि मेंह ओमन के जगह म जोड़े जावंव।” 20 एह सही ए। ओमन ला ओमन के अबिसवास के कारन टोरे गीस, पर तेंह बिसवास के दुवारा ओम बने हवस। एकरसेति, घमंड झन कर, पर परमेसर के भय मानके चल। 21 काबरकि यदि परमेसर ह यहूदीमन ला नइं छोंड़िस, जऊन मन असली डंगाली अंय, त ओह तोला घलो नइं छोंड़य।
22 एकरसेति, परमेसर के दया अऊ कठोरता के बारे म सोच। जऊन मन गिर गीन, ओमन ऊपर ओह कठोरता देखाईस, पर तोर ऊपर ओह दया देखाईस, त तेंह ओकर दया म बने रह। नइं तो ओह तोला घलो काटके अलग कर दिही। 23 अऊ यदि ओ यहूदीमन अपन अबिसवास ला छोंड़ देथें, त ओमन घलो जोड़े जाहीं, काबरकि परमेसर करा ओमन ला फेर जोड़े के सामरथ हवय। 24 जब तुम आनजातमन सुभाव ले जंगली जैतून के डंगाली अव, अऊ सुभाव के उल्टा, तुमन ला काटके असली जैतून रूख म जोड़े गे हवय, त फेर ए यहूदी जऊन मन सुभाविक डंगाली अंय, अपन ही जैतून रूख म काबर अऊ बने ढंग ले जोड़े नइं जाही?
जम्मो इसरायलीमन बंचाय जाहीं
25 हे भाईमन हो, अइसन झन होवय कि तुमन घमंडी हो जावव, एकरसेति मेंह चाहत हंव कि तुमन ए भेद ला जानव: जब तक आनजात म ले चुने जम्मो मनखेमन परमेसर करा नइं आ जावंय, तब तक इसरायलीमन के एक भाग ह अइसनेच अपन हिरदय ला कठोर बनाय रखही। 26 अऊ ए किसम ले जम्मो इसरायलीमन उद्धार पाहीं, जइसने परमेसर के बचन म लिखे हवय:
“मुक्ति देवइया ह सियोन ले आही;
ओह याकूब के बंस ले अभक्ति ला दूरिहा कर दिही[a]।
27 अऊ ओमन के संग मोर ए करार होही,
जब मेंह ओमन के पाप ला दूरिहा कर दूहूं।”
28 जहां तक सुघर संदेस के बात ए, त ओमन तुम्हर हित म परमेसर के बईरी अंय; पर जहां तक चुने गय मनखेमन के बात ए, त ओमन अपन पुरखामन के कारन परमेसर के मयारू अंय। 29 काबरकि जब परमेसर ह कोनो ला बरदान देथे अऊ चुनथे, त ओह अपन बिचार ला फेर नइं बदलय।
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