Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
इफिसुस के कलीसिया ला संदेस
2 “इफिसुस के कलीसिया के दूत ला ए लिख:
जऊन ह जेवनी हांथ म सात ठन तारा धरे हवय अऊ सोन के सात ठन दीवट के बीच म चलते-फिरथे, ओकर ए बचन अय: 2 मेंह तुम्हर काम, तुम्हर कठोर मिहनत अऊ तुम्हर धीरज ला जानत हंव। मेंह जानत हंव कि तुमन दुस्ट मनखेमन ला सहे नइं सकव। जऊन मन अपन-आप ला प्रेरित कहिथें, पर हवंय नइं, तुमन ओमन ला परखे हवव अऊ ओमन ला लबरा पाय हवव। 3 तुमन धीरज धरे हवव; मोर खातिर तुमन दुःख सहे हवव अऊ हिम्मत नइं हारे हवव।
4 तभो ले मेंह तुम्हर बिरोध म, ए कहत हंव: तुमन अब मोला वइसने मया नइं करव, जइसने पहिली करत रहेव। 5 सोचव कि तुमन कतेक गिर गे हवव। पछताप करव अऊ ओ काम करव, जऊन ला तुमन पहिली करत रहेव। यदि तुमन पछताप नइं करहू, त मेंह तुम्हर करा आके तुम्हर दीवट ला ओकर जगह ले टार दूहूं। 6 पर तुमन म एक बने बात ए हवय कि मोर सहीं, तुमन घलो नीकुलईमन के काम ले घिन करथव[a]।
7 जेकर कान हवय, ओह सुन ले कि पबितर आतमा ह कलीसियामन ला का कहिथे। जऊन ह बिजयी होही, ओला मेंह जिनगी के रूख के फर खाय बर अधिकार दूहूं, जऊन ह परमेसर के स्वरग-लोक के बगीचा म हवय।”
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