Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
17 जब ओ परतिगियां के पूरा होय के समय लकठा आईस, जऊन ला परमेसर ह अब्राहम ले करे रिहिस, त ओ समय मिसर देस म हमर मनखेमन के संख्या बहुंत बढ़ गे रहय। 18 तब मिसर देस म एक आने झन राजा होईस, जऊन ह यूसुफ के बारे म कुछू नइं जानत रिहिस। 19 ओह हमर मनखेमन ले छल-कपट करिस अऊ हमर पुरखामन के ऊपर बहुंत अतियाचार करिस अऊ दबाव डालिस कि ओमन अपन नवां जनमे लइकामन ला मरे बर बाहिर फटिक देवंय।
20 ओही समय म मूसा के जनम होईस अऊ ओह बहुंत सुघर रिहिस। ओह तीन महिना तक ले अपन ददा के घर म पाले-पोसे गीस। 21 पर जब ओह फटिक दिये गीस, त फिरौन के बेटी ह ओला ले लीस, अऊ अपन बेटा बनाके ओला पालिस-पोसिस। 22 मूसा ला मिसर देस के जम्मो गियान सिखाय-पढ़ाय गीस। ओह बात अऊ काम करे म सामरथी रिहिस।
23 जब मूसा ह चालीस साल के होईस, त अपन मन म कहिस कि मेंह अपन इसरायली भाईमन ले मुलाकात करंव। 24 मूसा ह अपन एक जाति-भाई के ऊपर अनियाय होवत देखके ओला बंचाईस अऊ ओ मिसरी मनखे ला मारके बदला लीस, जऊन ह अनियाय करत रहय। 25 मूसा ह सोचिस कि मोर जाति-भाईमन समझहीं कि परमेसर ह मोर दुवारा ओमन के जान बंचाही, पर ओमन नइं समझिन। 26 दूसर दिन जब दू झन इसरायलीमन आपस म लड़त रिहिन, त मूसा ह उहां आईस अऊ ए कहिके ओमन म मेल कराय के कोसिस करिस, ‘ए मनखेमन! तुमन त भाई-भाई अव; एक दूसर के संग काबर लड़त हवव?’
27 पर जऊन इसरायली ह दूसर ऊपर अनियाय करत रिहिस, ओह ए कहिके मूसा ला हटा दीस कि तोला कोन ह हमर ऊपर हाकिम अऊ नियाय करइया ठहराय हवय। 28 का तेंह जइसने कल एक झन मिसरी मनखे ला मार डारे, वइसने मोला घलो मार डारे चाहत हवस। 29 ए बात ला सुनके मूसा ह उहां ले भाग गीस अऊ मिदयान देस म आके परदेसी सहीं रहे लगिस। उहां ओकर दू झन बेटा पैदा होईन।
30 जब चालीस साल बीत गे, तब एक स्वरगदूत ह सीनै पहाड़ के लकठा म निरजन प्रदेस म मूसा ला बरत झाड़ी के आगी म दरसन दीस। 31 मूसा ह ओ दरसन ला देखके अचम्भो करिस। जब ओह ओला देखे बर अऊ लकठा म गीस, तब ओह परभू के ए अवाज सुनिस, 32 ‘मेंह तोर पुरखा – अब्राहम, इसहाक अऊ याकूब के परमेसर अंव।’[a] एला सुनके मूसा ह डर के मारे कांपे लगिस, अऊ ओह ऊपर देखे के घलो हिम्मत नइं करिस।
33 तब परभू ह मूसा ला कहिस, ‘अपन पांव के पनही ला उतार, काबरकि जऊन ठऊर म तेंह ठाढ़े हवस, ओह पबितर भुइयां ए। 34 मेंह सही म मिसर देस म अपन मनखेमन के दुरदसा ला देखे हवंव। मेंह ओमन के दुःख अऊ रोवई सुने हवंव। एकरसेति, मेंह ओमन ला छोंड़ाय बर उतरे हवंव। अब तेंह आ, मेंह तोला मिसर देस वापिस पठोहूं।’[b]
35 जऊन मूसा ला ओमन ए कहिके नकारे रिहिन कि तोला कोन ह हमर ऊपर हाकिम अऊ नियाय करइया ठहराय हवय? ओही मूसा ला परमेसर ह हाकिम अऊ उबार करइया ठहराके, ओ स्वरगदूत के दुवारा ओला पठोईस, जऊन ह ओला झाड़ी म दरसन दे रिहिस, 36 एही मनखे मूसा ह मिसर देस म अऊ लाल समुंदर अऊ निरजन प्रदेस म चालीस साल तक अचरज के काम अऊ चमतकार के चिन्हां देखा-देखाके ओमन ला गुलामी ले निकारके ले आईस। 37 एह ओही मूसा ए, जऊन ह इसरायलीमन ले कहे रिहिस, ‘परमेसर ह तुम्हर मनखे म ले तुम्हर खातिर मोर सहीं एक अगमजानी ला पठोही।’[c] 38 एह ओही मूसा ए, जऊन ह निरजन प्रदेस म सभा के बीच म ओ स्वरगदूत के संग सीनै पहाड़ ऊपर ओकर ले गोठियाईस। ओह हमर पुरखामन के संग रिहिस। ओही मूसा ला परमेसर के जीयत बचन मिलिस कि ओह ओ जीयत बचन ला हमर करा पहुंचावय।
39 पर हमर पुरखामन मूसा के बात ला नइं मानिन। ओमन मूसा ला नकारके अपन हिरदय ला फेर मिसर देस कोति लगाईन। 40 ओमन हारून ला कहिन, ‘हमर बर कुछू देवता बना, जऊन ह हमर आघू-आघू चलय, काबरकि ए मूसा जऊन ह हमन ला मिसर देस ले निकारके लानिस, हमन नइं जानन कि ओला का होईस?’[d]
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