Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
51 सुनव, मेंह तुमन ला एक भेद के बात बतावत हंव: हमन जम्मो झन नइं मरन, पर हमन जम्मो झन बदल जाबो, 52 अऊ एह एक पल म, पलक झपकत, आखिरी तुरही फूंकते ही हो जाही। काबरकि जब तुरही ह फूंके जाही, त मरे मनखेमन अबिनासी रूप म जी उठहीं अऊ हमन बदल जाबो। 53 काबरकि ए जरूरी अय कि ए नासमान सुभाव ह अबिनासी सुभाव ला पहिर ले अऊ ए मरनहार सुभाव ह अमरता ला पहिर ले। 54 जब नासमान ह अबिनासी ला अऊ मरनहार ह अमरता ला पहिर लिही, तब परमेसर के बचन म लिखे ए बात ह सही होही: “मिरतू ला नास करे गीस, अऊ जीत ह पूरा होईस।”[a]
55 “हे मिरतू, तोर जीत कहां हवय?
हे मिरतू, तोर डंक कहां हवय?”[b]
56 मिरतू के डंक तो पाप ए, अऊ पाप के ताकत मूसा के कानून ए। 57 पर परमेसर के धनबाद होवय! ओह हमन ला हमर परभू यीसू मसीह के दुवारा जीतवाथे।
58 एकरसेति, हे मोर मयारू भाईमन हो, मजबूत अऊ अटल रहव। परभू के काम बर अपन-आप ला हमेसा पूरा-पूरी दे दव, काबरकि तुमन जानथव कि जऊन मिहनत तुमन परभू बर करथव, ओह बेकार नइं होवय।
39 यीसू ह ओमन ला ए पटंतर घलो कहिस, “का एक अंधरा ह दूसर अंधरा ला रसता देखा सकथे? का ओमन दूनों खंचवा म नइं गिर जाहीं? 40 चेला ह अपन गुरू ले बड़े नइं होवय, पर पूरा सिकछा पाय के बाद ओह अपन गुरू सहीं हो जाथे।
41 तेंह काबर अपन भाई के आंखी के छोटे कचरा ला देखथस, जबकि तेंह अपन खुद के आंखी के बड़े कचरा ला धियान नइं देवस? 42 जब तेंह अपन खुद के आंखी के बड़े कचरा ला नइं देख सकत हस, त अपन भाई ले कइसने कह सकत हस, ‘ए भाई, लान, मेंह तोर आंखी के कचरा ला निकार देथंव?’ हे ढोंगी मनखे! पहिली अपन आंखी के बड़े कचरा ला निकार, तभे तेंह अपन भाई के आंखी के छोटे कचरा ला बने करके देखबे अऊ ओला निकार सकबे।
रूख अऊ ओकर फर
(मत्ती 7:16-20)
43 बने रूख म खराप फर नइं फरय, अऊ न ही खराप रूख म बने फर फरथे। 44 हर एक रूख ह ओकर फर ले पहिचाने जाथे। काबरकि मनखेमन कंटिली झाड़ीमन ले अंजीर के फर नइं टोरंय, अऊ न ही झरबेरी रूख ले अंगूर। 45 बने मनखे ह अपन दिल के बने भंडार ले बने बात ला निकारथे, अऊ खराप मनखे ह अपन दिल के खराप भंडार ले खराप बात ला निकारथे। काबरकि जऊन बात ले ओकर दिल भरे रहिथे, ओहीच ला अपन मुहूं ले गोठियाथे।
बुद्धिमान अऊ मुरुख मनखे के पहिचान
(मत्ती 7:24-27)
46 जब तुमन मोर कहे ला नइं मानव, त मोला काबर ‘हे परभू, हे परभू’ कहिथव? 47 जऊन ह मोर करा आथे, अऊ मोर गोठमन ला सुनथे अऊ ओला मानथे – मेंह तुमन ला बतावत हंव कि ओह काकर सहीं अय। 48 ओह ओ घर बनइया मनखे सहीं अय, जऊन ह भुइयां ला गहिरा कोड़िस अऊ चट्टान ऊपर नींव डारिस। जब बाढ़ (पुरा) आईस अऊ पानी ओ घर ले टकराईस, पर ओला हलाय नइं सकिस, काबरकि ओ घर ह मजबूत बने रिहिस। 49 पर जऊन ह मोर गोठ ला सुनथे अऊ ओला नइं मानय, ओह ओ मनखे के सहीं अय, जऊन ह भुइयां म बिगर नींव डारे घर बनाईस, अऊ जब बाढ़ के पानी ओ घर ले टकराईस, त ओह गिरके बरबाद हो गीस।”
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