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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
Error: 'यहेजकेल 37:1-14' not found for the version: Saral Hindi Bible
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रोमियों 8:6-11

5-6 वे, जो पापी स्वभाव के हैं, उनका मन शारीरिक विषयों पर ही लगा रहता है, जिसका फल है मृत्यु तथा वे, जो पवित्रात्मा के स्वभाव के हैं, उनका मन पवित्रात्मा की अभिलाषाओं को पूरा करने पर लगा रहता है, जिसका परिणाम है जीवन और शान्ति. पापी स्वभाव का मस्तिष्क परमेश्वर-विरोधी होता है क्योंकि वह परमेश्वर की व्यवस्था की अधीनता स्वीकार नहीं करता—वास्तव में यह करना उसके लिए असम्भव है. पापी स्वभाव के मनुष्य परमेश्वर को संतुष्ट कर ही नहीं सकते.

किन्तु तुम पापी स्वभाव के नहीं परन्तु पवित्रात्मा में हो—यदि वास्तव में तुममें परमेश्वर की आत्मा वास करती है. जिस किसी में मसीह की आत्मा वास नहीं करती, वह मसीह का है ही नहीं. 10 अब इसलिए कि तुममें मसीह वास करता है, पाप के कारण शरीर के मृत होने पर भी धार्मिकता के कारण तुम्हारी आत्मा जीवित है 11 यदि तुममें परमेश्वर का आत्मा वास करता है, जिन्होंने मसीह येशु को मरे हुओं में से जीवित किया, तो वह, जिन्होंने मसीह येशु को मरे हुओं में से जीवित किया, तुम्हारे नाशमान शरीर को अपने उसी आत्मा के द्वारा, जिनका तुममें वास है, जीवित कर देंगे.

योहन 11:1-45

लाज़रॉस की मृत्यु

11 लाज़रॉस नामक व्यक्ति बीमार था, जो मरियम तथा उसकी बहन मार्था के गाँव बैथनियाह का निवासी था. यह वही मरियम थी, जिसने कीमती और शुद्ध सुगन्ध-द्रव्य से मसीह येशु के चरणों को मलकर उन्हें अपने केशों से पोंछा था, उसी का भाई लाज़रॉस अस्वस्थ था. इसलिए बहनों ने मसीह येशु को सन्देश भेजा, “प्रभु, आपका प्रिय, लाज़रॉस बीमार है.”

यह सुन कर मसीह येशु ने कहा, “यह बीमारी मृत्यु की नहीं, परन्तु परमेश्वर की महिमा का साधन बनेगी, जिससे परमेश्वर का पुत्र महिमित हो.” मार्था, मरियम और लाज़रॉस मसीह येशु के प्रियजन थे. उसकी बीमारी के विषय में मालूम होने पर भी मसीह येशु वहीं दो दिन और ठहरे रहे, जहाँ वह थे.

इसके बाद उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, “चलो, हम दोबारा यहूदिया चलें.”

शिष्यों ने उनसे प्रश्न किया, “रब्बी, अभी तो यहूदी पथराव द्वारा आपकी हत्या करना चाह रहे थे, फिर भी आप वहाँ जाना चाहते हैं?”

मसीह येशु ने उत्तर दिया, “क्या दिन में प्रकाश के बारह घण्टे नहीं होते? यदि कोई दिन में चले तो वह ठोकर नहीं खाता क्योंकि वह संसार की ज्योति को देखता है. 10 किन्तु यदि कोई रात में चले तो ठोकर खाता है क्योंकि उसमें ज्योति नहीं.”

11 इसके बाद मसीह येशु ने उनसे कहा, “हमारा मित्र लाज़रॉस सो गया है. मैं जा रहा हूँ कि उसे नींद से जगाऊँ.”

12 तब शिष्यों ने उनसे कहा, “प्रभु, यदि वह मात्र सो गया है तो स्वस्थ हो जाएगा.” 13 मसीह येशु ने तो उसकी मृत्यु के विषय में कहा था किन्तु शिष्य समझे कि वह नींद के विषय में कह रहे थे.

14 इस पर मसीह येशु ने उनसे स्पष्ट शब्दों में कहा, “लाज़रॉस की मृत्यु हो चुकी है. 15 यह तुम्हारे ही हित में है कि मैं वहाँ नहीं था—कि तुम विश्वास करो. आओ, अब हम उसके पास चलें.”

16 तब थोमॉस ने, जिनका उपनाम दिदुमॉस था, अपने साथी शिष्यों से कहा, “आओ, इनके साथ हम भी मरने चलें.”

मार्था और मरियम को धीरज

17 वहाँ पहुँच कर मसीह येशु को मालूम हुआ कि लाज़रॉस को कन्दरा-क़ब्र में रखे हुए चार दिन हो चुके है. 18 बैथनियाह नगर येरूशालेम के पास, लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर था. 19 अनेक यहूदी मार्था और मरियम के पास उनके भाई की मृत्यु पर शान्ति देने आ गए थे. 20 जैसे ही मार्था को मसीह येशु के नगर के पास होने की सूचना मिली, वह उनसे मिलने चली गई किन्तु मरियम घर में ही रही.

21 मार्था ने मसीह येशु से कहा, “प्रभु, यदि आप यहाँ होते तो मेरे भाई की मृत्यु न होती. 22 फिर भी मैं जानती हूँ कि अब भी आप परमेश्वर से जो कुछ माँगेंगे, वह आपको देंगे.”

23 मसीह येशु ने उससे कहा, “तुम्हारा भाई फिर से जीवित हो जाएगा.” 24 मार्था ने मसीह येशु से कहा, “मैं जानती हूँ. अन्तिम दिन पुनरुत्थान के समय वह फिर से जीवित हो जाएगा.”

मसीह येशु—पुनरुत्थान और जीवन

25 मसीह येशु ने उससे कहा, “मैं ही वह पुनरुत्थान और वह जीवन हूँ. जो कोई मुझ में विश्वास करता है, वह जिएगा—भले ही उसकी मृत्यु हो जाए 26 तथा वह जीवित व्यक्ति, जो मुझ में विश्वास करता है, उसकी मृत्यु कभी न होगी. क्या तुम यह विश्वास करती हो?”

27 उसने कहा, “जी हाँ, प्रभु, मुझे विश्वास है कि आप ही मसीह हैं, आप ही परमेश्वर-पुत्र हैं और आप ही वह हैं, जिनके संसार में आने के बारे में पहले से बताया गया था.”

28 यह कह कर वह लौट गई और अपनी बहन मरियम को अलग ले जा कर उसे सूचित किया, “गुरुवर आ गए हैं और तुम्हें बुला रहे हैं.” 29 यह सुन कर मरियम तत्काल मसीह येशु से मिलने निकल पड़ी. 30 मसीह येशु ने अब तक नगर में प्रवेश नहीं किया था. वह वहीं थे, जहाँ मार्था ने उनसे भेंट की थी. 31 जब वहाँ शान्ति देने आए यहूदियों ने मरियम को एकाएक उठ कर बाहर जाते हुए देखा तो वे भी उसके पीछे-पीछे यह समझ कर चले गए कि वह क़ब्र पर रोने के लिए जा रही है.

32 मसीह येशु के पास पहुँच मरियम उनके चरणों में गिर पड़ी और कहने लगी, “प्रभु, यदि आप यहाँ होते तो मेरे भाई की मृत्यु न होती.”

33 मसीह येशु ने उसे और उसके साथ आए यहूदियों को रोते हुए देखा तो उनका हृदय व्याकुल हो उठा. उन्होंने उदास शब्द में पूछा, 34 “तुमने उसे कहाँ रखा है?” उन्होंने उनसे कहा.

“आइए, प्रभु, देख लीजिए.”

35 मसीह येशु के आँसू बहने लगे.

36 यह देख यहूदी कहने लगे, “देखो वह इन्हें कितना प्रिय था!”

37 परन्तु उनमें से कुछ ने कहा, “क्या यह, जिन्होंने अंधे को आँखों की रोशनी दी, इस व्यक्ति को मृत्यु से बचा न सकते थे?”

मृत लाज़रॉस का उज्जीवन

38 दोबारा बहुत उदास हो मसीह येशु क़ब्र पर आए, जो वस्तुत: एक कन्दरा थी, जिसके प्रवेश द्वार पर एक पत्थर रखा हुआ था. 39 मसीह येशु ने वह पत्थर हटाने को कहा. मृतक की बहन मार्था ने आपत्ति प्रकट करते हुए उनसे कहा, “प्रभु, उसे मरे हुए चार दिन हो चुके हैं. अब तो उसमें से दुर्गन्ध आ रही होगी.”

40 मसीह येशु ने उससे कहा, “क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि यदि तुम विश्वास करोगी तो परमेश्वर की महिमा को देखोगी?”

41 इसलिए उन्होंने पत्थर हटा दिया. मसीह येशु ने अपनी आँखें ऊपर उठाईं और कहा, “पिता, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरी सुन ली. 42 मैं जानता हूँ कि आप हमेशा मेरी सुनते हैं किन्तु यहाँ उपस्थित भीड़ के कारण मैंने ऐसा कहा है कि वे सब विश्वास करें कि आप ने ही मुझे भेजा है.” 43 तब उन्होंने ऊँचे शब्द में पुकारा, “लाज़रॉस, बाहर आ जाओ!” 44 वह, जो चार दिन से मरा हुआ था, बाहर आ गया. उसका सारा शरीर पट्टियों में और उसका मुख कपड़े में लिपटा हुआ था. मसीह येशु ने उनसे कहा, “इसे खोल दो और जाने दो.”

45 यह देख मरियम के पास आए यहूदियों में से अनेकों ने मसीह येशु में विश्वास किया.

Saral Hindi Bible (SHB)

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