Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
10 परमेश्वर की सन्तान व शैतान की सन्तान की पहचान इसी से हो जाती है: कोई भी व्यक्ति, जिसका जीवन धर्मी नहीं है, परमेश्वर से नहीं है और न ही वह, जिसे अपने भाई से प्रेम नहीं है.
आपस में प्रेम करो
11 तुमने आरम्भ ही से यह सन्देश सुना है कि हम में आपस में प्रेम हो; 12 हम काइन जैसे न हों, जो उस दुष्ट से था और जिसने अपने भाई की हत्या कर दी. उसने अपने भाई की हत्या किसलिए की? इसलिए कि उसके काम बुरे तथा उसके भाई के काम धार्मिकता के थे. 13 यदि संसार तुमसे घृणा करता है, तो, प्रियजन, चकित न हो. 14 हम जानते हैं कि हम मृत्यु के अधिकार से निकल कर जीवन में प्रवेश कर चुके हैं, क्योंकि हम में आपस में प्रेम है; वह, जिसमें प्रेम नहीं, मृत्यु के अधिकार में ही है. 15 हर एक, जो साथी विश्वासी से घृणा करता है, हत्यारा है. तुम्हें यह मालूम है कि किसी भी हत्यारे में अनन्त जीवन मौजूद नहीं रहता.
16 प्रेम क्या है यह हमने इस प्रकार जाना: मसीह येशु ने हमारे लिए प्राणों का त्याग कर दिया. इसलिए हमारा भी एक-दूसरे के लिए अपने प्राणों का त्याग करना सही है.
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