Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
भीड़ को पेतरॉस का सम्बोधन
14 तब ग्यारह के साथ पेतरॉस ने खड़े होकर ऊँचे शब्द में कहना प्रारम्भ किया: “यहूदियावासियों तथा येरूशालेमवासियों, आपके लिए इस विषय को समझना अत्यन्त आवश्यक है; इसलिए मेरी बातों को ध्यानपूर्वक सुनिए: 15 जैसा आप समझ रहे हैं, ये व्यक्ति नशे में नहीं हैं क्योंकि यह दिन का तीसरा ही घण्टा है! 16 वस्तुत, यह योएल भविष्यद्वक्ता द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति है:
17 “‘यह परमेश्वर की आवाज़ है,
अन्तिम दिनों में मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उण्डेलूंगा.
तुम्हारे पुत्र और पुत्रियां भविष्यवाणी करेंगे,
तुम्हारे नवयुवक दिव्य दर्शन तथा वृद्ध स्वप्न देखेंगे.
18 मैं उन दिनों में अपने दास, और दासियों,
पर अपना आत्मा उण्डेल दूँगा,
और वे भविष्यवाणी करेंगे.
19 मैं ऊपर आकाश में अद्भुत चमत्कार
और नीचे पृथ्वी पर लहू,
आग और धुएँ के बादल के अद्भुत चिह्न दिखाऊँगा.
20 प्रभु के उस वैभवशाली और वर्णननीय दिन के पूर्व सूर्य अंधेरा
और चन्द्रमा लहू समान हो जाएगा.
21 तथा हरेक,
जो प्रभु के नाम की गुहार देगा, बचा रहेगा.’
22 “इस्राएली प्रियजन, ध्यान से सुनिए! नाज़रेथवासी मसीह येशु को, जिन्हें आप जानते हैं, जिन्हें परमेश्वर ने आपके मध्य सामर्थ्य के कामों, चमत्कारों तथा चिह्नों के द्वारा प्रकट किया, 23 परमेश्वर की निर्धारित योजना तथा पूर्वज्ञान में आपके हाथों में अधर्मियों की सहायता से सौंप दिया गया कि उन्हें क्रूस-मृत्युदण्ड दिया जाए; 24 किन्तु परमेश्वर ने उन्हें मृत्यु के दर्द से छुड़ा कर मरे हुओं में से जीवित कर दिया क्योंकि यह असम्भव था कि मृत्यु उन्हें अपने बंधन में रख सके.
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