Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
इफ़ेसॉस नगर में योहन के शिष्य
19 जब अपोल्लॉस कोरिन्थॉस नगर में थे तब पौलॉस दूरवर्तीय प्रदेशों से होते हुए इफ़ेसॉस नगर आए और उनकी भेंट कुछ शिष्यों से हुई. 2 पौलॉस ने उनसे प्रश्न किया, “क्या विश्वास करते समय तुमने पवित्रात्मा प्राप्त किया था?”
उन्होंने उत्तर दिया, “नहीं. हमने तो यह सुना तक नहीं कि पवित्रात्मा भी कुछ होता है.”
3 तब पौलॉस ने प्रश्न किया, “तो तुमने बपतिस्मा कौनसा लिया था?”
उन्होंने उत्तर दिया, “योहन का.”
4 तब पौलॉस ने उन्हें समझाया, “योहन का बपतिस्मा मात्र पश्चाताप का बपतिस्मा था. बपतिस्मा देते हुए योहन यह कहते थे कि लोग विश्वास उनमें करें, जो उनके बाद आ रहे थे अर्थात् मसीह येशु.” 5 जब उन शिष्यों को यह समझ में आया तो उन्होंने प्रभु मसीह येशु के नाम में बपतिस्मा लिया. 6 जब पौलॉस ने उनके ऊपर हाथ रखे, उन पर पवित्रात्मा उतरा और वे अन्य भाषाओं में बातचीत और भविष्यवाणी करने लगे. 7 ये लगभग बारह व्यक्ति थे.
4 बपतिस्मा देने वाले योहन जंगल में पाप-क्षमा के लिए पश्चाताप के बपतिस्मा का प्रचार करते हुए आए. 5 यहूदिया प्रदेश के क्षेत्रों से सारी भीड़ तथा येरूशालेम नगर के सभी लोग उनसे भेंट करने जाने लगे. ये सब पाप स्वीकार करते हुए यरदन नदी में योहन से बपतिस्मा ले रहे थे. 6 योहन का परिधान, ऊँट के रोम से निर्मित वस्त्र और उसके ऊपर चमड़े का कमरबन्द था और उनका भोजन था टिड्डियाँ तथा जंगलीमधु. 7 वह प्रचार कर कहते थे, “मेरे बाद एक ऐसा व्यक्ति आएगा, जो मुझसे अधिक शक्तिमान हैं—मैं तो इस योग्य भी नहीं हूँ कि उनके सामने झुक कर उनकी जूतियों के बन्ध खोलूँ. 8 मैं बपतिस्मा जल में देता हूँ; वह तुम्हें पवित्रात्मा में बपतिस्मा देंगे.”
मसीह येशु का बपतिस्मा
(मत्ति 3:13-17; लूकॉ 3:21, 22)
9 उसी समय मसीह येशु गलील प्रदेश के नाज़रेथ नगर से आए और उन्हें योहन द्वारा यरदन नदी में बपतिस्मा दिया गया. 10 जब मसीह येशु जल से बाहर आ रहे थे, उसी क्षण उन्होंने आकाश को खुलते तथा आत्मा को, जो कबूतर के समान था, अपने ऊपर उतरते हुए देखा 11 और स्वर्ग से निकला एक शब्द भी सुनाई दिया: “तुम मेरे पुत्र हो—मेरे प्रिय—तुमसे में अतिप्रसन्न हूँ.”
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