Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
तीन स्वर्गदूत
6 तब मैंने बीच आकाश में एक स्वर्गदूत को उड़ते हुए देखा, जिसके पास सभी पृथ्वी पर रहने वालों—हर एक राष्ट्र, कुल, भाषा तथा प्रजाति में प्रचार के लिए अनन्त काल का ईश्वरीय सुसमाचार था. 7 उसने ऊँचे शब्द में कहा, “परमेश्वर से डरो. उनकी महिमा करो क्योंकि न्याय का समय आ पहुँचा है. आराधना उनकी करो, जिन्होंने स्वर्ग, पृथ्वी, समुद्र तथा जल के सोतों को बनाया है.”
8 पहिले स्वर्गदूत के बाद दूसरा स्वर्गदूत यह कहते हुए आया, “सर्वनाश हो गया! बड़े बाबेल का सर्वनाश हो गया! बाबेल, जिसने सारे राष्ट्रों को अपने व्यभिचार की मदहोशी का दाख़रस पिलाया है.”
9 इन दोनों के बाद एक तीसरा स्वर्गदूत ऊँचे शब्द में यह कहता हुआ आया, “यदि कोई उस पशु तथा उसकी मूर्ति की पूजा-अर्चना करेगा तथा अपने मस्तक या हाथ पर वह चिह्न अंकित करवाएगा, 10 वह भी परमेश्वर के क्रोध का दाख़रस पिएगा, जो परमेश्वर के क्रोध के प्याले में ही उण्डेली गई है. उसे पवित्र स्वर्गदूतों तथा मेमने की उपस्थिति में आग व गन्धक की घोर पीड़ा दी जाएगी. 11 वे, जो उस पशु तथा उसकी मूर्ति की पूजा-अर्चना करते हैं तथा जिन पर उसके नाम का चिह्न अंकित है, उनकी पीड़ा का धुआँ निरन्तर उठता रहेगा तथा उन्हें न तो दिन में चैन मिलेगा और न रात में.” 12 इसके लिए आवश्यक है पवित्र लोगों का धीरज, जो परमेश्वर के आज्ञाकारी हैं तथा जिनका विश्वास मसीह येशु में है.
13 तब मुझे स्वर्ग से एक शब्द यह आज्ञा देता हुआ सुनाई दिया, “लिखो: धन्य होंगे वे मृत, अब से जिनकी मृत्यु प्रभु में होगी.”
“सच है!” आत्मा ने पुष्टि की. “वे अपने सारे परिश्रम से विश्राम पाएँगे क्योंकि उनके भले काम उनके साथ हैं.”
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